बोकारो, कैंप दो एएनएम टीसी सभागार में मंगलवार को एनएलआर (नीदरलैंड लेप्रोसी रिलीफ) व पीरामल के संयुक्त तत्वावधान में कुष्ठ के लक्षण व निदान पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर मंगलवार से शुरू हुआ. अध्यक्षता कार्यक्रम समन्वयक अनिल कुमार ने की. मुख्य प्रशिक्षक इशान शर्मा व तृप्ति मिश्रा ने प्रशिक्षण को संबोधित किया. इशान ने कहा कि कुष्ठ रोग शरीर पर गंभीर संक्रमण का असर होता है. किसी दैवीय प्रकोप का असर नहीं है. अन्य बीमारियों की तरह भी कुष्ठ का इलाज भी संभव है. यह कुष्ठ रोग के प्रकार व संक्रमण की गंभीरता पर निर्भर करती है. फिजियोथेरेपी के माध्यम से सुधार किया जा सकता है. लक्षण व संकेत अलग-अलग होते है.
शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली हो जाती है कमजोर
तृप्ति मिश्रा ने कहा कि त्वचा पर घाव या धब्बे के साथ सुन्न होना, मांसपेशियों में कमजोरी या लकवा, नाक बंद होना या नाक से खून आना, त्वचा का मोटा होना, रंग बदल जाना, विशेष रूप से चेहरे – हाथों व पैरों पर असर दिखता है. शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है. इस वजह से बैक्टीरिया पूरे शरीर में आसानी से फैल जाता है. मरीज के आंखों में सूखापन, पलकें झपकना कम, लैगोफथाल्मोस (पलकों को पूरी तरह से बंद न कर पाना) या दृष्टि दोष होता है. बुखार व सामान्य रूप से अस्वस्थ होना प्रमुख है.
इनकी रही उपस्थिति
मौके पर सदर अस्पताल के डीएस डॉ अरविंद कुमार, डॉ बीपी गुप्ता, डॉ सुदुप्ति, डॉ प्रीति किस्कू, डॉ आयुषी जायसवाल, डॉ राहुल प्रियदर्शी, डॉ पवन कुमार, डॉ ऋचा मिंज, डॉ स्वीटी भगत, डॉ राखी कुमारी, डॉ पुष्पा कुमारी, डॉ विजेता, डॉ आकांक्षा मिंज, डॉ सोनी पटेल सहित अन्य मौजूद थे.
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