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Akshay Navami : अक्षय नवमी आज, इस मंत्र का जप कर भगवान विष्णु को करें प्रसन्न

Akshay Navami : बोकारो (सुनील तिवारी) : अक्षय नवमी इस बार 23 नवंबर सोमवार यानी आज मनायी जायेगी. अक्षय पुण्य फल की कामना के साथ मनाये जाने वाले इस पर्व का काफी महत्व बताया गया है. कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन अक्षय नवमी श्रद्धा व विश्वास के साथ मनाया जाता है. अक्षय नवमी को आंवला नवमी या कुष्मांडा नवमी के नाम से भी जाना जाता है. अक्षय नवमी के नाम से ही स्पष्ट है कि इस दिन की पुण्य व शुभ समस्त कार्यों का फल अक्षय यानी स्थायी होता है.

Akshay Navami : बोकारो (सुनील तिवारी) : अक्षय नवमी इस बार 23 नवंबर सोमवार यानी आज मनायी जायेगी. अक्षय पुण्य फल की कामना के साथ मनाये जाने वाले इस पर्व का काफी महत्व बताया गया है. कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन अक्षय नवमी श्रद्धा व विश्वास के साथ मनाया जाता है. अक्षय नवमी को आंवला नवमी या कुष्मांडा नवमी के नाम से भी जाना जाता है. अक्षय नवमी के नाम से ही स्पष्ट है कि इस दिन की पुण्य व शुभ समस्त कार्यों का फल अक्षय यानी स्थायी होता है.

ज्योतिषाचार्य पंडित शिव कुमार शास्त्री ने बताया कि इस बार अक्षय नवमी 23 नवंबर सोमवार को मनाया जायेगा. व्रत करनेवाले को अपने दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर स्नान-ध्यान के बाद अक्षय नवमी के व्रत का संकल्प लेना चाहिए. भगवान श्री लक्ष्मी नारायण की पंचोपचार व षोडशोपचार पूजा की जाती है. इस दिन भगवान विष्णु मंत्र ‘ओम नमो भगवते वासुदेवाय’ का जप करने पर प्रसन्न होकर भक्तों को उनकी अभिलाषा पूर्ति का आशीर्वाद देते हैं.

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आंवले के वृक्ष की पूजा से अक्षय फल की प्राप्ति होती है. सौभाग्य में वृद्धि होती है. इस पर्व पर आंवले के वृक्ष की पूजा पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य से की जाती है. पूजन के बाद वृक्ष की आरती करके परिक्रमा करनी चाहिए. इस दौरान कुष्मांड यानी कोहड़े का दान भी किया जाता है. आंवले के वृक्ष के नीचे ब्राह्मण को सात्विक भोजन कराकर यथाशक्ति दान-दक्षिणा देकर पुण्य अर्जित करने की मान्यता है. इससे जीवन में जाने-अनजाने में हुए समस्त पापों का शमन हो जाता है.

अक्षय नवमी पर्व को मनाने वाले लोग भगवान विष्णु के प्रतीक आंवला पेड़ की पूजा करते हैं. परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करते हैं. अक्षय नवमी की पूजा आवंले के पेड़ से जुड़ी होने के कारण इस आंवला नवमी भी कहा जाता है. इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करने का विशेष महत्व है. बोकारो-चास सहित ग्रामीण क्षेत्रों में आज के दिन लोग सबसे अच्छा व अपना पसंदीदा पकवान बनाकर आवंले के पेड़ के नीचे जाते हैं. पूजा के बाद सपरिवार प्रसाद ग्रहण करते हैं.

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आवंले में बहुत-सी बीमारियों से लड़ने की ताकत होती है. कहा जाता है कि आंवले को अमृत्व प्राप्त है. कहा जाता है आंवले के नीचे भोजन करने से बीमारियों से छुटकारा मिलता है. शरीर स्वस्थ रहता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जो लोग अक्षय नवमी के दिन आंवला वृक्ष का पूजन करते हैं, उन पर लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं और मनोकामना पूर्ण करती हैं. आंवले के पेड़ की परिक्रमा पूरी होने के बाद प्रसाद बांटना चाहिए. आवंले के पेड़ के नीचे भोजन करना चाहिए.

कहा जाता है कि आंवले के पेड़ में भगवान विष्णु का वास होता है, लेकिन अक्षय नवमी के दिन इसमें सभी देवी-देवता विराजते हैं. यानी अक्षय नवमी के दिन आंवले के पेड़ के पूजन से सभी देवी-देवताओं की पूजा के बराबर पुण्य प्राप्त होता है. इस दिन आवंले के पेड़ के आस-पास सफाई करनी चाहिए. इसके बाद आंवले के पेड़ पर जल चढ़ाना चाहिए. फूल, हल्दी-चावल, कुमकुम/सिंदूर से पूजा करना चाहिए. आंवले के पेड़ के नीचे घी का दीपक जलाना चाहिए.

Posted By : Guru Swarup Mishra

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