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Bokaro News : ढोरी कोलियरी में हुई दुर्घटना में 268 मजदूरों की हुई थी मौत

Bokaro News : देश की दूसरी सबसे बड़ी खान दुर्घटना बेरमो कोलफिल्ड की ढोरी कोलियरी में 28 मई 1965 को हुई थी. इस घटना में 268 मजदूरों और कर्मियों की मौत हो गयी थी.

बेरमो, देश की दूसरी सबसे बड़ी खान दुर्घटना बेरमो कोलफिल्ड (तत्कालीन हजारीबाग) की ढोरी कोलियरी में 28 मई 1965 को हुई थी. 27-28 मई की रात लगभग पौने एक बजे हुई इस घटना में 268 मजदूरों और कर्मियों की मौत हो गयी थी. एकाएक भयानक विस्फोट हो गया और खदान के तीनों मुहानों से लावा फूट पड़ा था. लावा दूर-दूर तक फैल गया था.

आकाश चिंगारियों से भर गया था और जोरों की आवाज हुई थी. खदान के भीतर काम करने वाले एक भी मजदूर बाहर नहीं आ सके थे. अगले दिन खदान से लाशों को निकालने का काम शुरू किया गया. रेस्क्यू की 30 टीमें काम में लगी थी. हर टीम में पांच से छह लोग थे. कई लाशें ऊपर ही पड़ी हुई थीं. जो लाशें खदान के भीतर से निकाली गयी, वह क्षत-विक्षत थी. पहचान पाना तक मुश्किल हो गया था. एक इंकलाइन के मुहाने पर स्थित हाजिरी ऑफिस उड़ गया था. हाजिरी बाबू का क्षत-विक्षत शव 25 फीट दूर मिला था. दूसरी इंकलाइन में कम से कम दो सौ वर्ग फीट का एरिया धंस गया था और इंकलाइन का दरवाजा भी बंद हो गया था. अन्य दो इंकलाइनों की भी ऐसी ही हालत थी. लाशों को ढोने के लिए एनसीडीसी ने ट्रकें मुहैया करायी थी. बताया जाता है कि करीब 20 से 25 दिनों की हड़ताल के बाद मजदूरों को कोलियरी में काम पर भेज दिया गया था. इससे पहले खान का निरीक्षण खान मालिकों ने नहीं कराया था. इसका परिणाम हुआ कि भयानक विस्फोट हो गया. दुर्घटना के समय कोलियरी का प्रधान मैनेजर कोलियरी में नहीं था़ कहते हैं कि दुर्घटना के दिन खानगी मालिक राजा बहादुर के छोटे भाई बसंत नारायण सिंह ढोरी में ही थे. मगर दुर्घटना के बाद वह घर से बाहर नहीं निकले थे. घायल मजदूरों के लिए कंपनी की ओर से कुछ भी नहीं किया गया था.

दूसरे दिन घटनास्थल पर पहुंचे थे मुख्यमंत्री

29 मई की सुबह बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री कृष्ण बल्लभ सहाय घटनास्थल पहुंचे और सुरक्षा में लगे कर्मचारियों, सरकारी अधिकारियों तथा मृतकों परिवार से भेंट की थी. सभी तरह की सहायता करने का आश्वासन दिया. पटना पहुंच कर उन्होंने एक लाख रुपया अनुदान भी भेजा था. 29 मई को केंद्रीय उप श्रम मंत्री आरके मालवीय भी केंद्रीय श्रम सचिव के साथ आये थे और हर इंकलाइन में जाकर लाशों को निकालने का काम देखा. शोक संतप्त परिवारों से भी भेंट कर सांत्वना दी और सरकार की ओर से सहायता का आश्वासन दिया. 30 मई को बिहार के सिंचाई और बिजली मंत्री महेश प्रसाद सिंह और राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस के संगठन मंत्री एपी शर्मा ने दुर्घटना स्थल का निरीक्षण किया था. 31 मई को बिहार के सहकारिता मंत्री हरिनाथ मिश्र घटनास्थल पहुंचे. उसी दिन केंद्रीय श्रम मंत्री डी संजीवैया भी पहुंचे थे.

जांच अदालत का किया गया था गठन

ढोरी खान दुर्घटना के कारणों की जांच के लिए सरकार ने जांच अदालत का गठन किया था. जांच अदालत की बैठक और सुनवाई धनबाद में हुई. घटनास्थल का निरीक्षण किया और स्थानीय लोगों के बयान भी दर्ज किया. मगर शेष सारी सुनवाई धनबाद में ही हुई. जांच के क्रम में खदान में गैस पायी गयी थी. जांच अदालत की रिपोर्ट में कहा गया कि दुर्घटना की जिम्मेवारी प्रबंधकों पर है. बीआई 10 खदान के 15वें दक्षिणी लेबुल में काफी मात्रा में मिथेन गैस जमा हो गया था. एक आदमी खुली बत्ती लेकर उस लेबुल में चला गया था. इसके कारण विस्फोट हो गया और कोयले की धूल जमा रहने के कारण गैस के विस्फोट के साथ-साथ कोयले की धूल का भी विस्फोट हो गया.

देश में हुईं बड़ी खान दुर्घटनाएं

27 दिसंबर 1975 में बोकारो से सटे चासनाला की भूमिगत खदान में पानी भर जाने से 376 कर्मी की मौत.

वर्ष 1989 में इसीएल की महावीरा भूमिगत खदान में 65 कोयला मजदूर फंस गये थे. इसमें फंस गये सभी मजदूरों को बचा लिया गया.

वर्ष 1998 में बीसीसीएल की गजलीटांड़ भूमिगत खदान में पानी भर जाने से 65 कर्मियों की मौत.

वर्ष 2007 में बीसीसीएल की नगदा सेक्शन भूमिगत खदान में हुई दुर्घटना में 52 कर्मी काल कलवित हुए थे.

वर्ष 2010 में सीसीएल की बांसगढ़ा भूमिगत खदान में 14 कर्मियों की मौत.

वर्ष 2012 में इसीएल के अंजन हिल में हुई घटना में 12 अधिकारियों, कोलकर्मियों व ठेका मजदूरों की मौत.

वर्ष 2013-14 में ढोरी एरिया के 4, 5, 6 इंकलाइन में पानी भर जाने से मैनेजर व माइनिंग सरदार की मौत.

वर्ष 2014 सीसीएल के सयाल में हुई खान दुर्घटना में सात मजदूरों की मौत हुई थी.

29 दिसंबर 2016 को इसीएल की राजमहल ललमटिया खुली खदान में 23 मजदूरों की जान गयी थी.

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