चास : चास मेयर व वार्ड 15 के पार्षद के पति के बीच हुये विवाद के बाद भोलूर बांध इन दिनों पूरे जिला में चर्चा का विषय बना हुआ है. श्रद्धा व भक्ति से जुड़ा बड़कुल्ही स्थित भोलूर बांध तालाब आज विवादित स्थल बन गया है.
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भोलूर बांध : श्रद्धा स्थल बना विवाद स्थल
चास : चास मेयर व वार्ड 15 के पार्षद के पति के बीच हुये विवाद के बाद भोलूर बांध इन दिनों पूरे जिला में चर्चा का विषय बना हुआ है. श्रद्धा व भक्ति से जुड़ा बड़कुल्ही स्थित भोलूर बांध तालाब आज विवादित स्थल बन गया है. सैकड़ों लोग प्रतिदिन भोलूर बांध के तट पर शाम […]
सैकड़ों लोग प्रतिदिन भोलूर बांध के तट पर शाम में टहलने के लिये पहुंचते हैं. स्थानीय लोगों का पूजा-पाठ भोलूर बांध में स्नान करने के बाद ही शुरू होता है. चाहे वह दुर्गा पूजा, मां मनसा पूजा हो या अन्य किसी भी प्रकार की छोटी-मोटी पूजा हो. स्थानीय लोगों के लिये, विशेषकर मेनरोड के बंगाली समुदाय के लिये यह तालाब श्रद्धा, भक्ति व आस्था से जुड़ा है.
इसलिये स्थानीय लोगों के लिये भोलूर बांध काफी महत्व रखता है. स्थानीय लोगों के अनुसार यह तालाब खतियान बनने के साथ सरकारी नक्शे में मौजूद है. करीब छह एकड़ 73 डिसमिल का भोलूर बांध अब चास नगर निगम के अनुसार मात्र पांच एकड़ 84 डिसमिल में ही रह गया है. इनमें जल क्षेत्र 25 फीसदी से भी अधिक घट गया है.
तालाब की जमीन कुछ तो अतिक्रमण का शिकार हुई है, वहीं कुछ हिस्से में कचरा फेंका जाता है. इससे धीरे-धीरे जल क्षेत्र भी घटते जा रहा है. इसके संरक्षण के लिये इससे पूर्व कभी कोई प्रयास तक नहीं किया गया. भोलूर बांध को बचाने के लिये स्थानीय लोग कई वर्षों से जद्दोजहद कर रहे हैं. इसके बावजूद निगम की ओर से तालाब के क्षेत्र में ही सामुदायिक भवन का निर्माण किया गया है.
स्थानीय युवकों ने भोलूर बांध को बनाया सुंदर : कहते हैं भोलूर बांध आने वाले लोगों को काफी बदबू व दुर्गंध का सामना करना पड़ता था. इसकी वजह से बांध के आसपास लोग टहलने भी नहीं जाते थे. यहां के जागरूक युवकों ने कुछ दिनों के प्रयास के बाद ही तालाब को एक सुंदर स्थल बनाया. तालाब के एक किनारे पौधरोपण व बांस की घेराबंदी की. जो कि कुछ दिनों में ही हरा-भरा हो गया और पौधों में फूल खिलने से मनमोहक स्थल बन गया. इसके बाद लोगबाग यहां शाम के समय टहलने के लिये आने लगे.
नालियों का पानी घुसता है बांध में : निगम की ओर से शहर के नालियों का प्रबंधन अब तक नहीं किया गया है. इस कारण दो दर्जन से अधिक मुहल्लों का गंदा पानी नालियों के जरिये भोलूर बांध में घुसता है. इस वजह से तालाब का जल काफी दूषित हो गया है. वहीं तालाब के किनारे ही निगम व आसपास के लोग कचरा फेंकते हैं. यह कचरा भी तालाब को दूषित करता है. नालियों का पानी बांध में नहीं घुसने देने को लेकर भी कई बार स्थानीय लोगों ने निगम का विरोध किया है. लोगों का कहना है कि निगम तालाब के क्षेत्र में जा बूझकर कचरा डंप करवाता है. ताकि यहां का अतिक्रमण कर सके.
एक करोड़ 39 लाख रुपये की लागत से बनना है पार्क : स्थानीय लोगों की मांग व तालाब से जुड़े श्रद्धा-भक्ति की वजह से निगम की ओर से अमृत योजना के तहत यहां पार्क बनाने का प्रस्ताव पारित किया गया. इसके तहत निगम की ओर से तालाब के बीचों-बीच म्यूजिकल फाउंटेन व एक हाई मास्ट लाइट लगाने की योजना है. जल क्षेत्र में ही एक रेस्टूरेंट भी बनाने की योजना है. साथ ही तालाब के चारों ओर कार्य किये जाने हैं. जिनमें फूड कोर्ट, वाहन पार्किंग, लॉन, मंदिर, लोगों के बैठने के लिये कुर्सियां, बच्चों के खेलने का स्थल, सामुदायिक शौचालय, रैन वाटर हार्वेस्टिंग तथा पैदल चलने के लिये पथ का भी निर्माण किया जाना है. इसके अलावा यहां से मछली उत्पादन करने की भी योजना है, लेकिन विवाद होने के बाद यह योजना पूरा होता नहीं दिख रहा है.
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