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पीएम की योजनाओं का ग्राफ नीचे

बोकारो : नौजवान रोजगार मांगने वाले नहीं, देने वाले बने… बिना गारंटर के भी व्यवसाय स्थापित करने के लिए लोन मिल रहा है… महिलाओं को स्वाबलंबी बनाने में वर्तमान की योजना साथ दे रही है… प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी योजनाओं के सहारे कामकाज का हिसाब देते हैं. लेकिन, बोकारो में प्रधानमंत्री की महत्वकांक्षी योजनाओं का ग्राफ […]

बोकारो : नौजवान रोजगार मांगने वाले नहीं, देने वाले बने… बिना गारंटर के भी व्यवसाय स्थापित करने के लिए लोन मिल रहा है… महिलाओं को स्वाबलंबी बनाने में वर्तमान की योजना साथ दे रही है… प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी योजनाओं के सहारे कामकाज का हिसाब देते हैं. लेकिन, बोकारो में प्रधानमंत्री की महत्वकांक्षी योजनाओं का ग्राफ गिरने लगा है. या कहे तो लोगों की रूचि इन योजनाओं के लिए कम हो रही है.स्टैंड अप इंडिया व मुद्रा योजना को स्वरोजगार की दिशा में मास्टर स्ट्रोक बताया जा रहा था.

लेकिन, बोकारो में दोनों योजना का तेज खत्म होता दिख रहा है. कम से कम आंकड़ा तो इसी ओर इशारा कर रहे हैं. एक साल में दोनों योजना के प्रति लोगों का झुकाव कम हुआ है. बोकारो में स्टैंड अप इंडिया तो सही से खड़ा भी नहीं हो पा रहा है. वही मुद्रा योजना के लाभुकों की संख्या में भी कमी आयी है.

एक तिमाही में अंतर 250 का : वित्तीय वर्ष 2017-18 के प्रथम तिमाही में जहां 1377 लोगों ने मुद्रा योजना के तहत लोन लिया था. वहीं चालु वित्तीय वर्ष 2018-19 के प्रथम तिमाही में आंकड़ा घट कर 1110 हो गया है. स्टैंड अप इंडिया योजना के तहत 2017-18 के प्रथम तिमाही में 19 लोगों ने 278 लाख का कर्ज स्वरोजगार के लिए लिया था. वहीं चालु वित्तीय वर्ष में 12 लोग ही योजना के लिए आगे आये. 154 लाख का कर्ज दिया गया.
एमएसएमइ का सालाना लक्ष्य कम किया गया : सबसे अधिक रोजगार देने का दावा करने वाली एमएसएमई (माइक्रो, स्मॉल एंड मिडिल इंटरप्राइजेज) सेक्टर में भी बोकारो का ग्राफ कम हुआ है. इसे देखते हुए बैंकर्स के राज्य स्तरीय समंवय समिति ने एमएसएमई का टारगेट ही कम कर दिया है. 2017-18 वित्तीय वर्ष में बोकारो को 78842 लोगों को इस योजना के तहत लोन देने का लक्ष्य दिया गया था, वहीं 2018-19 वित्तीय वर्ष में टारगेट कम कर 75363 कर दिया गया है.
बनाने के लिए तो भगवान बना दें, पर खरीदेगा कौन : व्यवसाय की गिरती स्थिति को लेकर बौद्धिक जगत में एक कहावत है: बनाने के लिए तो भगवान बना दें, पर खरीदेगा कौन ! बोकारो के लिए यह कहावत सटीक बैठती है. दरअसल बोकारो दिनों-दिन सिकुड़ता जा रहा है. बीएसएल, कोल इंडिया समेत अन्य प्रतिष्ठानों में अधिकारी व कर्मी की संख्या में लगातार कमी आ रही है. इसका असर बोकारो के व्यवसायिक गतिविधियों पर पड़ा है. जिला में कोई नया कल-कारखाना स्थापित नहीं हो रहा है. इस कारण स्टैंड अप इंडिया का आईडिया भी जमीन पर नहीं उतर पा रहा है. मुद्रा लोन अस्थायी से स्थायी दुकान के लिए दिया जाता है. मसलन सब्जी के ठेला से लेकर राशन दुकान तक के लिए लोन दिया जाता है. बोकारो में सिटी सेंटर को अस्थायी बाजार का गढ़ माना जाता है. लेकिन, हाल के दिनों में सिटी सेंटर की स्थिति भी खराब हुई है. कई दुकानदार यहां से पलायन भी कर गये हैं. कई दुकानदार कर्ज के जरिये व्यवसाय को चला रहे हैं. इस कारण नये रोजगार स्थापित करने के पहले लोग कई बार सोच रहे हैं. असर मुद्रा लोन पर हुआ है.
क्या है स्टैंड अप इंडिया
स्टैंड अप इंडिया स्कीम केंद्र सरकार की एक योजना है, जिसके अंतर्गत 10 लाख से एक करोड़ रुपये तक का कर्ज दिया जाता है. कर्ज अनुसूचित जाति/अनुसूचित जन जाति व महिलाओं के बीच उद्यमशीलता को प्रोत्साहन दिया जाता है.
क्या है मुद्रा योजना
छोटा व्यवसाय स्थापित करने के लिए मुद्रा योजना है. कम से कम कागजी कार्रवाई में मुद्रा लोन दिया जाता है. यह तीन प्रकार का होता है. शिशु लोन: इसमें 50,000 रुपये तक का लोन मिलता है, यह उन लोगों के लिए है, जो की अपना काम या व्यापार शुरू कर रहे हैं. किशोर लोन: इसमें 50,000 से 05 लाख रुपये तक का लोन मिलता है. यह उन लोगों के लिए है, जो व्यापार शुरू तो कर चुके हैं पर अभी तक सही से स्थापित नहीं कर पाये हैं. तरुण लोन: इसमें 05 लाख से 10 लाख रुपया तक का लोन मिलता है. यह उन लोगों के लिए है, जिनका व्यापर स्थापित है पर उस बढ़ाना चाहते हैं.
बैंक की कार्यशैली लोगों को रोकती है : संजय
बोकारो चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के संरक्षक संजय बैद मुद्रा लोन व स्टैंड अप इंडिया लोन में गिरावट के लिए बैंक कार्यशैली को जिम्मेदार मानते हैं. बताते हैं लोन लेने के लिए इतनी बार दौड़ना पड़ता है कि नौजवान व्यवसाय करने का आईडिया ही छोड़ देते हैं.
बाजार निष्क्रिय होता जा रहा : शशिभूषण
एमएसएमई एसोसिएशन ऑफ झारखंड के अध्यक्ष शशिभूषण इसके पीछे बोकारो के बाजार को दोष देते हैं. बताते हैं : बाजार आधारित व्यवसाय के लिए बोकारो का दरवाजा बंद हो गया है. औद्योगिक रूप से बोकारो पिछड़ रहा है. बैंक व जिला उद्योग केंद्र को नौजवानों को प्रेरित करने के लिए सेमिनार का आयोजन करना चाहिए.
जहां इक्नॉमी डेवलपमेंट होता है, वहां लेनदार की संख्या बढ़ती है. लेकिन, बोकारो में इक्नॉमिक डेवलपमेंट के नाम पर विस्तृत तौर पर कुछ नहीं हो रहा है. इस कारण लोग योजना का लाभ लेने से हिचक रहे हैं. हाल के दिनों में सेल मुनाफा में आया है, इसका असर बाजार में देखने को मिलेगा.
दिलीप कुमार मजुमदार, एलडीएम, बैंक ऑफ इंडिया

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