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झारखंड का हाल: दुष्कर्मियों से कम नहीं इनका अपराध, चार साल सोये रहे

चान्हो की नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता की सुध घटना के चार साल बाद भी न जनप्रतिनिधियों ने ली और न ही हुक्मरान ने. अनाथ व मानसिक रूप से बीमार पीड़िता अपने बच्चे को लेकर घुट-घुट कर जीती रही. वहीं उसके साथ दुष्कर्म करनेवाले पांचों आरोपी खुले में घूमते रहे. अब जब प्रभात खबर ने इस मामले […]

चान्हो की नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता की सुध घटना के चार साल बाद भी न जनप्रतिनिधियों ने ली और न ही हुक्मरान ने. अनाथ व मानसिक रूप से बीमार पीड़िता अपने बच्चे को लेकर घुट-घुट कर जीती रही. वहीं उसके साथ दुष्कर्म करनेवाले पांचों आरोपी खुले में घूमते रहे. अब जब प्रभात खबर ने इस मामले को सामने लाया और हाइकोर्ट से लेकर सरकार तक ने इसमें हस्तक्षेप किया है, तब स्थानीय प्रशासन और पुलिस के अधिकारी रेस हुए हैं. मामले में इलाके के स्थानीय जन प्रतिनिधियों ने भी आंखें मूंद लीं. पीड़िता और उसकी बेटी को वैधानिक रूप से जो मदद मिलनी चाहिए थी, वह भी नहीं मिली. इससे सवाल उठ रहे हैं कि जिम्मेवार पदों पर बैठे हुए लोगों ने अपना काम क्यों नहीं किया. क्या ये सिर्फ महीने के आखिरी में वेतन उठाने और आम लोगों पर रौब झाड़ने के लिए कुर्सियों पर बैठाये गये हैं. अगर ये अपनी वैधानिक कर्तव्यों का भी पालन नहीं कर सकते, तो फिर सरकारी सेवा में बने रहने का इन्हें क्या हक है. ये ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब व्यवस्था को सुनिश्चित करना होगा, अन्यथा ऐसी घटनाएं होती रहेंगी.

रांची : चान्हो में हुई घटना के बाद चामा पंचायत के साथ-साथ उस क्षेत्र के चुने हुए जन प्रतिनिधियों ने और जिम्मेवार अधिकारियों ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया. पदाधिकारियों ने आंखें मूंद ली. यही कारण है कि घटना के चार साल बाद अब जाकर इस मामले में कार्रवाई शुरू हुई है. मामला प्रकाश में आने के बाद नि:शक्तता आयोग ने भी इसे गंभीरता से लिया है. आयोग ने पीड़िता को हर संभव न्याय दिलाने का आश्वासन दिया है.
निराश किया जनप्रतिनिधियों ने : पीड़िता के साथ हुई घटना की सूचना सबसे पहले चामा पंचायत के उस वार्ड सदस्य को मिली होगी, जिसे वहां की जनता ने हक और अधिकार दिलाने के लिए चुना था. अमानवीय घटना पर भी वार्ड सदस्य की मानवता नहीं जागी. यही स्थिति यहां के मुखिया और ग्राम प्रधान की रही. घटना की जानकारी मिलने के बाद मुखिया व समाज के तथाकथित शीर्ष लोगों ने बैठक की.
इसमें एक आरोपी को पीड़िता से शादी करने को कहा, तो उसने इनकार कर दिया. इसके बाद मुखिया ने भी चुप्पी साध ली. मुखिया ने सरकारी सहायता भी नहीं दिलायी. उस क्षेत्र के जिला परिषद सदस्यों ने भी मामले के प्रति संवेदनशीलता नहीं दिखायी. इस कारण यह मामला जिला स्तर पर नहीं उठ पाया. जिला परिषद सदस्य बबीता सिंह बताती हैं कि उस वक्त मामले पर ध्यान नहीं दिया गया था. अब मामला प्रकाश में आया है, तो गंभीरता से ले रहे हैं.
तीन साल की इस मासूम की आंखें हमसे पूछ रही सवाल
नाबालिग पीड़िता की तीन साल की बच्ची की आंखों में तैरते सवालों का जवाब देने में यह समाज अक्षम है. अनचाहे ही मां की कोख में आयी. अब इसका भविष्य क्या होगा यह तय करना समाज और व्यवस्था की जिम्मेवारी है. इसकी आंखें यही पूछ रही है : क्या हम अपनी जिम्मेवारी पूरी कर पायेंगे?
अब रेस हुए प्रशासन और पुलिस के लोग
मामला प्रभात खबर में छपने के बाद स्थानीय प्रशासन की नींद खुली. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पूरे मामले की जांच कर कार्रवाई करने का निर्देश दिया. इसके बाद चान्हो के बीडीओ भी पीड़िता के दरवाजे पर पहुंचे. सरकारी अनुदान से आंबेडकर आवास देने की घोषणा की.
नि:शक्ततता पेंशन की प्रक्रिया पूरी करने की बात कही. चार साल पूर्व भी यह सहायता उसे मिल सकती थी. लेकिन, उस पंचायत के कर्मचारी ने भी मामले पर गंभीरता से कार्रवाई नहीं की. इस कारण पीड़िता को सहायता नहीं मिल पायी. तत्कालीन बीडीओ ने भी मामले की गंभीरता को नहीं समझा.
इसकी जानकारी जिला प्रशासन को नहीं दी. यही कारण रहा कि जिला या प्रखंड स्तर से जो भी सहायता चांदनी को मिलनी चाहिए थी, नहीं मिली.
पीड़िता का रिनपास में हुआ इलाज
रांची जिला विधिक सेवा प्राधिकार (डालसा) की अोर से गैंगरैप पीड़िता का इलाज शनिवार को रिनपास में हुआ. रिनपास के निदेशक सुभाष सोरेन ने पीड़िता का इलाज कराया. पीड़िता अपने अभिभावक के साथ डालसा कार्यालय पहुंची. डालसा के सदस्य सचिव अभिषेक कुमार ने तुरंत टीम का गठन किया. इसमें पैनल अधिवक्ता वीणा पानी बनर्जी, पीएलवी राजेंद्र महतो, शारदा देवी व बबली कुमार को शामिल किया गया. टीम पीड़िता को लेकर रिनपास पहुंची, जहां चिकित्सकों ने पीड़िता की जांच की.
पीड़िता काफी डरी-सहमी हुई थी. इस कारण डालसा की टीम ने रिनपास के चिकित्सकों से पीड़िता का काउंसेलिंग भी कराया.
चार आरोपी गिरफ्तार, एक दे रहा मैट्रिक की परीक्षा
चान्हो : दिव्यांग नाबालिग से गैंगरेप मामले में चान्हो पुलिस ने चार आरोपियों को शनिवार को गिरफ्तार कर लिया, जबकि एक अारोपी फिलहाल मैट्रिक की परीक्षा दे रहा है. उसे 28 फरवरी तक की मोहलत दी गयी है. वह 29 फरवरी को कोर्ट मे सरेंडर करेगा. पांचों आरोपी नाबालिग हैं. चान्हो थाना प्रभारी दिलेश्वर कुमार के अनुसार, घटना के पांचों आरोपियों को कोर्ट से एक-एक साल की सजा हो गयी है.
गिरफ्तार आरोपियों में एक 16 वर्ष, दूसरा 17 वर्ष, तीसरा 15 वर्ष, चौथा 17 वर्ष का है, जबकि 17 साल का आरोपी मैट्रिक की परीक्षा दे रहा है. बता दें कि 2016 में हुई घटना के बाद पुलिस ने पांचों आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में बाल सुधार गृह डुमरदगा भेज दिया था. कुछ माह बाद वे सभी जमानत पर बाहर आ गये थे.
मामला कोर्ट में चल रहा था. कोर्ट ने सभी को 2018 में एक साल की सजा सुनायी थी. इसके बाद तीन आरोपियों ने हाइकोर्ट में सजा के खिलाफ अपील की थी. वहां से इन्हें राहत नहीं मिली थी. ग्रामीण एसपी रिषभ झा के मुताबिक, दो दिन पूर्व ही कोर्ट से आरोपियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ था. इसके बाद पुलिस ने कार्रवाई की.

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