23 घंटे बिजली देने के दावे पर पाठकों ने राज्य भर से फोन कर कहा
प्रभात खबर ने गुरुवार (19.6.14) के अंक में अन्य अखबारों की तरह राज्य के ऊर्जा मंत्री राजेंद्र प्रसाद सिंह के उस प्रेस बयान को छापा था कि राज्य में औसतन 23 घंटे बिजली दी जा रही है, उसके बावजूद जनप्रतिनिधि आंदोलन कर रहे हैं. मंत्री ने संवाददाताओं से बातचीत में यह बताया था.
शुक्रवार को राज्य के कई हिस्सों से प्रभात खबर को अनेक फोन आये, जिसमें लोगों ने शिकायत की कि उनके इलाके में उतने घंटे बिजली नहीं मिल रही है, जितनी बिजली का मंत्री दावा कर रहे हैं. फोन करनेवालों ने अपनी पीड़ा भी बतायी कि उनके इलाके में बिजली आपूर्ति की वास्तविक स्थिति क्या है. इन उपभोक्ताओं का कहना था कि सरकार के तथ्य गलत हैं.
रांची : झारखंड में लोगों को रोज औसतन सिर्फ 17-20 घंटे ही बिजली मिल रही है. हर दिन उन्हें आठ-नौ घंटे बगैर बिजली के रहना पड़ रहा है जबकि ऊर्जा मंत्री राजेंद्र सिंह ने कल ही बयान दिया था कि झारखंड में औसतन 20 से 23 घंटे बिजली मिल रही है. बिजली से पीड़ित लोगों ने ऊर्जा मंत्री के दावा को गलत करार दिया और कहा कि कागज पर भले ही बिजली ज्यादा दिखायी जा रही हो लेकिन वास्तविकता अलग है. लोगों को बिजली के लिए तरसना पड़ रहा है. सबसे खराब स्थिति है ग्रामीण क्षेत्रों की. चतरा की स्थिति सबसे खराब है. अगर पिछले तीन दिनों की चर्चा की जाये तो वहां औसतन सिर्फ 12 घंटे बिजली मिल रही है.
झारखंड के तीन प्रमुख शहर रांची, धनबाद और जमशेदपुर में बिजली की स्थिति अन्य जिलों से बेहतर है. इन तीन जिलों में 20-21 घंटे बिजली मिल रही है. गढ़वा और गोड्डा की स्थिति अच्छी नहीं है. वहां 16-17 घंटे ही बिजली मिल रही है. बोकारो झारखंड का प्रमुख औद्योगिक शहर है लेकिन वहां भी औसतन 16 घंटे बिजली मिल रही है. यही हाल सिमडेगा का है जहां आठ घंटे बिजली गायब रहती है. जिला मुख्यालय की तुलना में उन्हीं जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में कम बिजली मिल रही है. हजारीबाग में लोगों ने बताया कि कई बार तो बिजली आती है, पांच मिनट रह कर चली जाती है. बार-बार बिजली कटने की शिकायत ज्यादा आ रही है.