रांची: सरना धर्मगुरु बंधन तिग्गा ने स्थानीयता नीति के प्रारूप में दूसरे राज्य से झारखंड आकर पढ़ने वाले छात्रों को झारखंडी दर्जा देने का विरोध किया है. उन्होंने कहा कि इस तरह की नीति से झारखंड के आदिवासियों और मूल वासियों के अधिकारों का हनन होगा.
उन्होंने कहा कि तेलांगाना जैसे नवगठित राज्य भी स्थानीयता नीति बना कर दूसरे राज्य के लोगों को नौकरी देने पर रोक लगाया है. महासभा इसका स्वागत करता है. राज्य सरकार बुधवार को होने वाली बैठक में हर हाल में यह नीति बनायें.
यदि नीति नहीं बनी तो महासभा आंदोलन करेगा. संयोजक एस अली ने कहा कि झारखंड गठन के 13 साल बाद भी स्थानीयता नीति नहीं बनी. जिससे राज्य की दो लाख से अधिक पद रिक्त हैं. जिसका खामियाजा आदिवासी और मूलवासी भुगत रहे हैं. होटल गंगा आश्रम में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में रवि तिग्गा, संतोषा तिर्की, चंपा कुजूर आदि मौजूद थे.
मूलवासियों के साथ न्याय हो: बंधु
विधायक और सरकार द्वारा गठित स्थानीय कमेटी के सदस्य बंधु तिर्की ने कहा है कि मूलवासी के साथ न्याय होना चाहिए. सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि मूल वासियों को कैसे ज्यादा से ज्यादा अधिकार मिलें. राज्य गठन के बाद से ही आदिवासी-मूलवासी को ठगने का प्रयास किया गया. जिस उद्देश्य से राज्य का गठन हुआ, वह आज तक पूरा नहीं हुआ. सरकार ने नियोजन नीति में यहां के लोगों के साथ भेदभाव किया. श्री तिर्की ने कहा कि स्थानीय कमेटी ऐसे प्रावधान करेगी, जिससे स्थानीय लोगों को लाभ मिल सके. हम ऐसे नियम बनाने के पक्ष में हैं, जिससे मूलवासी को अवसर मिलें. साथ ही जिला स्तर पर नियोजन की व्यवस्था हो. कमेटी अधिकारियों की भी जवाबदेही तय करेगी. उन्होंने कहा कि सरकार के प्रावधान को नहीं मानने वाले अधिकारी पर कड़ी कार्रवाई की अनुशंसा की जायेगी.