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मात्र 30 फीसदी स्कूलों में ही हैं खेल के मैदान

रांची: राज्य के 70 फीसदी प्राथमिक व मध्य विद्यालय में खेल का मैदान नहीं है. भारत सरकार मानव संसाधन विकास विभाग ने देश के सभी राज्यों के स्कूलों में खेल के मैदान की स्थिति पर रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट स्कूलों द्वारा दी गयी जानकारी के आधार पर है. रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड में कुल […]

रांची: राज्य के 70 फीसदी प्राथमिक व मध्य विद्यालय में खेल का मैदान नहीं है. भारत सरकार मानव संसाधन विकास विभाग ने देश के सभी राज्यों के स्कूलों में खेल के मैदान की स्थिति पर रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट स्कूलों द्वारा दी गयी जानकारी के आधार पर है. रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड में कुल 41,847 प्राथमिक व मध्य विद्यालय में से मात्र 30 फीसदी स्कूलों में ही खेल के मैदान हैं. इनमें से 29,292 स्कूलों में खेल के मैदान की सुविधा नहीं है. इनमें अधिकांश वैसे स्कूल हैं जिन्हें प्राथमिक शिक्षा केंद्र से प्राथमिक विद्यालय में अपग्रेड किया गया है.

राज्य गठन के समय राज्य में लगभग 20 हजार प्राथमिक व मध्य विद्यालय थे. 13 वर्ष में 20 हजार से अधिक प्राथमिक व मध्य विद्यालय खोले गये. अधिकांश नये विद्यालयों में खेल के मैदान नहीं है. स्कूलों में खेल के मैदान के साथ-साथ शिक्षक भी नहीं हैं. राज्य गठन के बाद से स्कूलों में खेल शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई है. एकीकृत बिहार के समय में वर्ष 1985 में खेल शिक्षकों की नियुक्ति हुई थी.

राष्ट्रीय स्तर पर 57 } स्कूलों में खेल मैदान
झारखंड में खेल मैदान राष्ट्रीय औसत से लगभग 27 फीसदी कम हैं. देश में 57 फीसदी स्कूलों में खेल के मैदान है. जबकि झारखंड में मात्र 30 फीसदी स्कूल में खेल के मैदान हैं. झारखंड में वर्ष 2009-10 में 27 फीसदी स्कूलों में खेल का मैदान था. वर्ष 2012-13 में यह बढ़ कर 30 फीसदी हो गयी. राज्य में तीन वर्ष में तीन फीसदी की बढ़ोतरी हुई. जबकि राष्ट्रीय स्तर पर वर्ष 2009-10 में 51 फीसदी स्कूलों में खेल का मैदान था. वर्ष 2012-13 में यह बढ़ कर 57 फीसदी हो गया.

आरटीइ में खेलकूद अनिवार्य
शिक्षा के अधिकार अधिनियम के अनुरूप स्कूलों में खेल का मैदान होना चाहिए. शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत स्कूल में खेलकूद की गतिविधि को अनिवार्य बनाया गया है, पर राज्य के स्कूलों में खेल का मैदान नहीं होने के कारण इसका पालन नहीं हो पता है. स्कूली बच्चों को खेल की सामान्य जानकारी भी नहीं है.

स्कूलों में खेल की घंटी नहीं
राज्य के सरकारी स्कूलों में खेलकूद की घंटी तक नहीं होती है. खेल शिक्षक व मैदान नहीं होने के कारण स्कूल में खेलकूद की व्यवस्था नहीं है. स्कूल स्तर पर खेलकूद की कोई प्रतियोगिता नहीं होती. शिक्षा विभाग की ओर से भी इसे लेकर कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किया जाता. स्कूल स्तर से जिला व राज्य स्तर के लिए खिलाड़ियों की चयन नहीं होता.

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