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मनमाने तरीके से दर्शाया गया आयु

तैयारी. गलत तरीके से सेवा पाने वाले हो जाये सावधान, निगरानी की है कड़ी नजर लोग सरकारी सेवा पाने की चाहत में नियमानुकूल उम्र नहीं रहने के बावजूद आवेदन पर अधिक आयु दर्शाकर पद हासिल कर रहे हैं. ऐसे मामले संज्ञान में आने के बाद निगरानी विभाग ने सख्ती से कदम उठाया है. सुपौल : […]

तैयारी. गलत तरीके से सेवा पाने वाले हो जाये सावधान, निगरानी की है कड़ी नजर

लोग सरकारी सेवा पाने की चाहत में नियमानुकूल उम्र नहीं रहने के बावजूद आवेदन पर अधिक आयु दर्शाकर पद हासिल कर रहे हैं. ऐसे मामले संज्ञान में आने के बाद निगरानी विभाग ने सख्ती से कदम उठाया है.
सुपौल : एक जमाना था जब अधिक आयु के लोग अपनी उम्र को कम कर सरकारी सेवा में पद हासिल करते थे. लेकिन वर्तमान समय में बेरोजगारी की समस्या इस कदर जकड़ा हुआ है कि लोग सरकारी सेवा पाने की चाहत में नियमानुकूल उम्र नहीं रहने के बावजूद आवेदन पर अधिक आयु दर्शाकर पद हासिल कर रहे हैं. ऐसे मामले संज्ञान में आने के बाद निगरानी विभाग ने सख्ती से कदम उठाया है. जिले में कुछ ऐसा ही मामला सदर प्रखंड स्थित अमहा पंचायत में संचालित मध्य विद्यालय सपरदाहा में देखने को मिला है.
ज्ञात हो कि दरभंगा जिले स्थित सकतपुर थाना क्षेत्र के पोखरभिंडा निवासी शिक्षिका मोनी कुमारी उक्त विद्यालय में कार्यरत हैं. शिक्षिका की आयु नियोजन के समय विभागीय अहर्ता से कम रहने के बावजूद नियोजन इकाई द्वारा मेधा सूची में शामिल कर लिया गया. लेकिन देर से ही सही आखिरकार अनियमितता व मनमरजी तरीके से कार्य करने व कराने वाले संबंधितों पर कार्रवाई का आदेश दिया गया.
गौरतलब हो कि शिक्षिका मोनी कुमारी ने वर्ष 2006 के समय शिक्षक नियोजन के आवेदन प्रपत्र में अपनी जन्म तिथि पांच जुलाई 1988 अंकित किया है. साथ ही एक जनवरी 2006 को अपनी आयु 18 वर्ष नौ महीना 26 दिन बताया है. जबकि प्रतिवेदन के साथ संलग्न किये गये मैट्रिक प्रमाण पत्र में अंकित जन्म तिथि के अनुसार उक्त तिथि को आवेदिका की आयु 17 वर्ष पांच माह 26 दिन ही होता है. जो विभागीय अहर्ता के अनुरूप नहीं है. अब सवाल उठना लाजिमी है कि आवेदन की जांच पड़ताल कर न्यायपूर्वक कार्य संपन्न कराये जाने के लिए सरकार द्वारा नियोजन इकाई का गठन कराया गया. कारण जो भी रहा हो उक्त नियोजन इकाई द्वारा तैयार की गयी सूची में आवेदिका मोनी कुमारी का उम्र पांच दिसंबर 1986 दर्शाते हुए नियोजन प्रक्रिया पूर्ण किया जाना लोगों के समझ से परे है.
शिक्षिका व नियोजन इकाई कार्रवाई के जद में : उक्त मामले पर निगरानी विभाग के पुलिस पदाधिकारी द्वारा शिक्षिका सहित नियोजन इकाई के सदस्यों पर प्राथमिकी दर्ज करने सहित आवश्यक कार्रवाई किये जाने का अनुरोध किया गया है. साथ ही शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव पटना के ज्ञापांक 640 के अनुसार ऐसे मामले में शिक्षकों के प्रमाण पत्र की जांच कराये जाने के उपरांत गलत पाये जाने की स्थिति में संबंधित शिक्षक व शिक्षिकाओं को नियमानुसार सेवा से मुक्त करते हुए संबंधितों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराने के साथ ही सेवा अवधि के दौरान प्राप्त हुए सभी सरकारी राशि वसूल किये जाने का प्रावधान निहित है. जानकारों की मानें तो नियोजन इकाई के सदस्य के रूप में संबंधित पंचायत सचिव समेत वर्ष 2006 के तत्कालीन अमहा पंचायत के मुखिया, पंचायत समिति सदस्य, वार्ड सदस्य व शिक्षक प्रतिनिधि सदस्य शामिल हैं. जिनके मिलीभगत से इस कार्य को अंजाम दिया गया.
शिक्षा विभाग पर निगरानी विभाग की कड़ी नजर
अपने उद्देश्य से भटक रही शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार व निगरानी विभाग सख्त दिख रही है. मालूम हो कि शिक्षा व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन लाने के उद्देश्य से एक दशक पूर्व शिक्षा विभाग से इतर नियोजन इकाई का गठन किया गया. ताकि विद्यालय की व्यवस्था में सुधार लायी जा सके. साथ ही बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा उपलब्ध हो. जिले की शिक्षा व्यवस्था में व्यापक पैमाने पर जहां माफियाओं द्वारा अनियमितता फैलायी गयी है. वहीं निगरानी विभाग के इस प्रकार की पहल पर संबंधित शिक्षकों में हड़कंप का माहौल बना हुआ है. जबकि कई नियोजन इकाई के सदस्य भी सहमे हुए हैं.

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