10.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

सरकारी कर्मियों को नहीं है आवास

समस्या. योजना को संचालित करने वाले ही हैं असुरक्षित, कैसे होगा विकास का कार्य प्रखंड मुख्यालय में सरकारी कर्मियों को रहने के लिए सरकारी आवास का नहीं है. कई ऐसे कर्मी भी हैं जो मुख्यालय बाजार में महंगा किराया चुका कर अपना ठिकाना बनाये हुए है. जबकि कुछ कर्मी अपने रिश्तेदार या दूसरों के रहमोकरम […]

समस्या. योजना को संचालित करने वाले ही हैं असुरक्षित, कैसे होगा विकास का कार्य

प्रखंड मुख्यालय में सरकारी कर्मियों को रहने के लिए सरकारी आवास का नहीं है. कई ऐसे कर्मी भी हैं जो मुख्यालय बाजार में महंगा किराया चुका कर अपना ठिकाना बनाये हुए है. जबकि कुछ कर्मी अपने रिश्तेदार या दूसरों के रहमोकरम पर उसके घर बसेरा बनाये हुए हैं.
छातापुर : प्रखंड मुख्यालय में सरकारी कर्मियों को रहने के लिए सरकारी आवास का नहीं होना एक बड़ी समस्या है. आवास नहीं रहने के कारण सरकारी कर्मी का मुख्यालय में कोई ठिकाना नहीं है. जिस कारण बहुत से कर्मियों को कार्यालय अवधि के बाद मुख्यालय से बाहर अन्य प्रखंड स्थित अपने ठिकाने का रूख करना पड़ता है. कुछ कर्मी मुख्यालय में दशकों पूर्व बने जर्जर सरकारी क्वाटर में रहने को मजबूर हैं. जहां हर पल हादसे की आशंका बनी रहती है.
कई ऐसे कर्मी भी हैं जो मुख्यालय बाजार में महंगा किराया चुका कर अपना ठिकाना बनाये हुए है. जबकि कुछ कर्मी अपने रिश्तेदार या दूसरों के रहमोकरम पर उसके घर बसेरा बनाये हुए हैं. हालात यह है कि कर्मी की कौन कहे कई विभाग के पदाधिकारियों को भी अपना आवास नहीं है. जिस कारण आवास के अभाव में वे मुख्यालय से बाहर ही रहते है. हैरत की बात है कि जिन कर्मियों व पदाधिकारियों की बदौलत सरकार जनसेवा व क्षेत्र के चहुमूखी विकास कार्य को अंजाम देती है. सरकार उस मुलाजिमों को रहने के लिए आवास दे पाने में सक्षम नहीं हो पा रही या उनके पास ऐसी कोई योजना नहीं है.
कर्मियों व पदाधिकारियों की माने तो सरकार भले ही विभिन्न क्षेत्रों में खर्च करने के लिए उन लोगों को करोड़ों रुपये देती है. लेकिन नया सरकारी क्वाटर का निर्माण तो दूर पूर्व से निर्मित जर्जर क्वाटरों की मरम्मत के लिए भी सरकार की कोई मंशा नहीं है.
कहते हैं अधिकारी : इस संदर्भ में पूछने पर बीडीओ परवेज आलम ने बताया कि सरकारी क्वाटरों का निर्माण भवन निर्माण विभाग द्वारा कराया जाना है. जिसके लिए तत्कालीन बीडीओ कर्पुरी ठाकुर द्वारा जिला प्रशासन को प्रस्ताव भेजा गया था. जिसपर कोई निर्देश प्राप्त नहीं हुआ है. जहां तक क्वाटर की मरम्मत का सवाल है तो यह कार्य 13 वीं वित्त आयोग से कराया जा सकता है. लेकिन इस मद में अभी राशि उपलब्ध नहीं है.
कहा कि स्थानांतरित कर्मियों को आवास खाली करने के लिए छह माह का समय दिया गया है. वही लंबे समय से आवास पर कब्जा जमाने वाले कर्मी को नोटिस भेजकर आवास खाली करने को कहा जाएगा. इस मामले को लेकर जब एसडीओ त्रिवेणीगंज से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह स्थिति पूरे विहार की है. वे खुद सरकारी आवास के अभाव में एक छोटे कमरे में समय गुजार रहे है. बताया कि पुराने क्वाटर की मरम्मत के लिए प्रस्ताव उन्होंने 13 जून 2016 को डीएम सुपौल को भेजा था. डीएम ने भी उक्त प्रस्ताव को भवन निर्माण विभाग को भेज दिया है. जल्द ही इस दिशा में कार्यवाही होगी. साथ ही कहा कि बड़े जनप्रतिनिधि यदि सकारात्मक प्रयास करेंगे. तब ही नया सरकारी आवास का निर्माण संभव हो सकता है. हालांकि वे भी इसके लिए अपने स्तर से
प्रयास करेंगे.
कार्यालय भवन के साथ ही बना था सरकारी क्वार्टर
प्रखंड कार्यालय में ढाई दशक से परिचारी के पद पर पदस्थापित जगत लाल दास की माने तो दो जुलाई 1954 को प्रखंड कार्यालय भवन का निर्माण हुआ था. कार्यालय भवन के साथ ही छह सरकारी क्वाटर यानी 12 यूनिट का निर्माण कराया गया था. जो अब जर्जर अवस्था में पहुंचकर कई जगहों से दरक गया है. इन जर्जर क्वाटरों में रहने वाले लोग जान जोखिम में डाल कर समय व्यतीत करते है. भूकंप की बात तो दूर बारिश शुरू होते ही इन क्वाटरो में रहने वाले लोग सतर्क होकर सुरक्षित स्थान पर बैठ जाते हैं कि कही भवन के साथ पूरा छत ही ना उन पर आ जाये.
इन क्वाटरों के निर्माण के कई वर्ष बाद आदेशपाल क्वाटर का निर्माण हुआ था. लेकिन निर्माण की गुणवत्ता से खिलवाड़ के कारण वह क्वाटर खंडहर में तब्दील हो गया है. कहा कि क्वाटर निर्माण के छह दशक से अधिक का समय गुजर चुका है. लेकिन इस लंबे अवधि के बीच आज तक एक बार भी मरम्मत का कार्य नहीं कराया गया. जबकि किसी भी योजना के तहत निर्माण के पांच साल बाद ही मरम्मत का कार्य कराया जाता है जो प्रशासन के माध्यम से ही होता है. परंतु प्रशासनिक पदाधिकारी या कर्मी अपने आवास की मरम्मत करवाने के लिए असमर्थ होते है. जो एक बड़ी विडंबना ही है.
नप के बकायेदारों से सख्ती से होगी टैक्स की वसूली

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें