सुपौल : उच्च न्यायालय पटना द्वारा पारित आदेश के आलोक में सरकार के निर्णय एवं विभागीय निर्देशों की जिले के शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों द्वारा खुल्लम खुल्ला उल्लंघन किया जा रहा है. आदेश को ठेंगा दिखाते हुए पद का दुरुपयोग कर लाभ के लिए प्रधानाध्यापक की मिलीभगत से जिले के सैकड़ों मध्य विद्यालयों से अवैध रूप से करोड़ों की निकासी कर गबन का मामला उजागर हुआ है.
पब्लिक विजिलेंस कमेटी के सचिव अनिल कुमार सिंह की शिकायत पर मामले को गंभीरता से लेते हुए डीआइजी ने आयुक्त कोसी प्रमंडल को पत्र लिख कर सक्षम पदाधिकारी की एक टीम गठित कर मामले की जांच का अनुरोध किया है. पत्र के आलोक में आयुक्त द्वारा आरडीडीइ की अध्यक्षता में चार सदस्यीय टीम का गठन कर परिवाद पत्र में वर्णित आरोपों की बिंदुवार जांच कर प्रतिवेदन समर्पित करने का आदेश दिया गया है.
अधिकारियों को नहीं है कार्रवाई का भय
निदेशक ने अपने पत्र में स्पष्ट हिदायत दिया था कि यदि निदेशालय स्तर पर यह तथ्य प्रमाणित हुआ कि आपके द्वारा आदेश का अनुपालन जानबूझ कर नहीं किया जा रहा है, तो आपके विरुद्ध अनुशासनिक एवं कानूनी कार्रवाई की जायेगी. पर, इस आदेश के तीन वर्ष बीत जाने के बाद भी इसका अनुपालन नहीं किया गया है.
शिक्षा विभाग के अधिकारी कार्रवाई के नाम पर सिर्फ कागजी खानापूर्ति में लगे हैं. इस मामले में आरडीडीइ, डीइओ, डीपीओ एवं बीइओ द्वारा सैकड़ों पत्र जारी किये गये हैं. आरडीडीइ पत्र जारी कर डीइओ को आदेश देते हैं. डीइओ बीइओ को और बीइओ प्रधानाध्यापक को आदेश दे कर अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रहे हैं.
प्रभार के विवाद में पढ़ाई हो रही प्रभावित
जिले के सैकड़ों प्राथमिक एवं मध्य विद्यालयों में नियोजित शिक्षक एवं कनीय शिक्षक के प्रभारी प्रधानाध्यापक पद पर बने रहने के कारण करोड़ों रुपये की अवैध निकासी कर वित्तीय अनियमितता की जा रही है. विभागीय पदाधिकारी द्वारा मनमाने तरीके से नियोजित एवं कनीय शिक्षकों को प्रधानाध्यापक बनाये जाने के कारण कई प्रकार के विवाद उत्पन्न हो रहे हैं. इसका विद्यालय के विकास, मध्याह्न भोजन योजना एवं पठन-पाठन पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है. कई स्कूलों में शिक्षकों में प्रभार को लेकर होने वाले विवाद से बच्चों की पढ़ाई समेत अन्य काम बाधित हो रहे हैं.