स्वास्थ्य बीमा कार्ड बनाये जाने के बावजूद लाभुकों को नहीं मिल रही चिकित्सा सुविधा फोटो – 6कैप्सन – योजना के तहत बनाये गये स्मार्ट कार्डप्रतिनिधि, सुपौल सरकार द्वारा बीपीएल धारकों को मुफ्त चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध कराये जाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना का संचालन किया गया. जहां नेशनल इंश्योरेंस एजेंसी द्वारा प्रत्येक बीपीएल धारकों से 30 रुपये की राशि लेकर उन्हें स्वास्थ्य स्मार्ट कार्ड उपलब्ध कराया गया. लेकिन विभागीय उदासीनता के कारण स्मार्ट कार्ड धारियों का उपचार नहीं हो पा रहा है. स्मार्ट कार्ड प्राप्त किये धारकों का कहना है कि कार्ड बनवाते समय कहा जा रहा था कि उनके परिवारों का 30 हजार की राशि तक का उपचार मुफ्त कराया जायेगा. लेकिन जब सरकारी संस्थानों द्वारा इस कार्ड के माध्यम से उपचार नहीं कराया जा रहा है तो कार्ड धारक अब जाये तो जाये कहां. इससे सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि जिले के अंदर राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना किस तरीके से प्रभावी है.03 लाख 60 हजार18 है बीपीएल धारक जानकारी अनुसार जिले में तीन लाख 60 हजार018 बीपीएल धारक हैं. जहां पिछले वर्ष दो लाख 58 हजार 70 बीपीएल परिवारों को बिडाल हेल्थ टीपीए द्वारा स्मार्ट कार्ड प्रदान किया गया था. लेकिन विभागीय उपेक्षा के कारण कई बीपीएल परिवार इस वर्ष बीमा के नाम पर 30 रुपये की राशि को गंवाना मुनासिब नहीं समझा. जिस कारण इस बार बिडाल हेल्थ टीपीए के सदस्यों को बीपीएल परिवारों के कार्ड को रेन्युअल कराने में काफी मशक्कत करना पड़ा. यहां तक कि कार्ड धारियों ने यह भी आरोप लगाया कि पिछली बार वे सभी उनका 30 रुपये ठग लिया है. जिस कारण वे इस बार बीमा नहीं करवायेंगे. बावजूद इसके संवेदकों द्वारा एक लाख 59 हजार 843 स्वास्थ्य बीमा कार्ड बनाया गया है.कंपनी को तीन करोड़ से अधिक राशिजिले भर में बीपीएल स्वास्थ्य कार्ड बनाये पर योजना के तहत नेशनल इंश्योरेंस कंपनी को कुल तीन करोड़ 19 लाख 68 हजार 600 रुपये की राशि प्राप्त होना है. जिसमें 30 रुपये के हिसाब से प्रति कार्ड धारकों का 47 लाख 95 हजार 290 रूपये तथा सरकार द्वारा 170 रुपये प्रति कार्ड के हिसाब से दो करोड़ 71 लाख 73 हजार 310 रुपये शामिल है. सूत्रों के मुताबिक इस कार्य को निबटाये जाने को लेकर जिला स्तर पर एक पांच सदस्यीय टीम का भी गठन किया गया है. जिसमें श्रम अधीक्षक सह डीडीसी, एनडीसी सह जिला भू अर्जन पदाधिकारी, डॉ अरुण कुमार वर्मा, सहित दो अन्य सदस्य भी शामिल हैं. चिकित्सा के नाम पर इतनी बड़ी राशि खर्च होने के बाद भी संबंधितों को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध ना हो. सवाल उठना लाजिमी है.आठ लाख की आबादी अस्पताल चार इस योजना के तहत जिले भर में एक लाख 59 हजार 843 स्वास्थ्य कार्ड धारकों के उपचार को लेकर चार अस्पतालों को चिह्नित किया गया है. जबकि एक कार्ड के तहत परिवार के कुल पांच लोगों का उपचार किया जाना है. ऐसे में कार्ड के अनुरूप सात लाख 99 हजार 215 लोगों को इस योजना के तहत चिह्नित संस्थानों द्वारा एक वर्ष तक 30 हजार की राशि का स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराया जाना है. इतनी बड़ी आबादी के बाबत समिति द्वारा जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल सहित त्रिवेणीगंज व राघोपुर के रेफरल अस्पताल तथा निर्मली अनुमंडल स्थित भगवती नर्सिंग होम को कार्य करने की अनुमति दी गयी है. जून माह से आरंभ लेकिन लाभ नहीं मालूम हो कि 15 जून 2015 को सदर अस्पताल में योजना के तहत कार्य प्रारंभ किया गया. जबकि अब तक एक भी लाभुकों को इसका लाभ नहीं मिल पाया है. कई लाभुकों ने बताया कि वे इस योजना के तहत कार्ड सेवा द्वारा चिकित्सा कराना चाहा तो उन्हें अस्पताल द्वारा इस तरह की चिकित्सा सेवा से अनभिज्ञता जाहिर किया गया. ऐसे में लाभुकों ने बताया कि आखिरकार वे करे तो क्या करे. यही स्थिति त्रिवेणीगंज स्थित अस्पताल की है. जहां 24 जून 2015 को इसका शुभारंभ किया गया. लेकिन यहां भी ठाक के तीन पात वाली चरितार्थ देखने को मिल रहा है. उक्त रेफरल अस्पताल में भी अब तक स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत कार्य नहीं कराया जा रहा है. लाभुकों का कहना है कि कार्ड की अवधि एक साल की होती है. जहां आधा समय गुजरने को है. लेकिन संबंधित विभाग व चिह्नित संस्थानों द्वारा इस दिशा में कोई कारगर कदम नहीं उठाया जा रहा है. वहीं राघोपुर रेफरल अस्पताल की कहानी तो कुछ और बयां कर रही है. इस योजना के तहत कार्य किये जाने को लेकर अब तक ना तो सर्जन का पदस्थापन किया गया है और ना ही कंप्यूटर ऑपरेटर की नियुक्ति हुई है. जिस कारण स्वास्थ्य बीमा योजना विफल साबित हो रहा है. जबकि निर्मली स्थित चिह्नित निजी क्लिनिक भगवती नर्सिंग होम में अब तक कुछ लाभुकों को कार्ड के तहत चिकित्सा सुविधा प्रदान की गयी है. इंश्योरेंस कंपनी की भी मनमानी मालूम हो कि जिला स्तरीय पांच सदस्यीय कमेटी द्वारा छातापुर प्रखंड स्थित संचालित शांति नर्सिंग होम को भी चिह्नित किया गया था. जहां नेशनल इंश्योरेंस कंपनी द्वारा अब तक एमएचसी कार्ड मुहैया नहीं कराया गया. जिस कारण उस क्षेत्र के लोगों को स्वास्थ्य उपचार को लेकर भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. वहीं कार्ड की वैधता का आधा समय गुजर जाने के बाद भी विभाग व कमेटी मूक दर्शक बनी हुई है. क्या है योजना गरीबी रेखा से नीचे गुजर – बसर करने वाले परिवारों के लिए आरएसबीवाई योजना को वर्ष 2007-08 में जारी किया गया. जिसे एक अपैल 2008 को पूरी तरह से लागू कर दिया गया. इस योजना के तहत परिवार के मुखिया समेत पांच सदस्यों को एक वर्ष तक 30 हजार की राशि का मुफ्त उपचार किया जाना है.कहते हैं पदाधिकारी इस बाबत पूछने पर डीडीसी सह प्रभारी जिला पदाधिकारी हरिहर प्रसाद ने बताया कि जिलेे में निबंधित अस्पतालों का अभाव है. बीमा योजना का शत प्रतिशत लाभ लाभुकों को मिलनी चाहिए. बताया कि इस मामले के निष्पादन को लेकर वे शीघ्र इसकी समीक्षा करेंगे.
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स्वास्थ्य बीमा कार्ड बनाये जाने के बावजूद लाभुकों को नहीं मिल रही चिकत्सिा सुविधा
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