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जान जोखिम में डाल पार करते हैं नदी

वीरपुर : बसंतपुर प्रखंड में आज भी कई ऐसे गांव हैं, जो विकास से कोसों दूर हैं. जर्जर सड़क, नदी पर पुल का नहीं होना यहां की पहचान बन चुका है. प्रखंड में ऐसा ही एक गांव है कोशिकापुर. यहां आजादी के कई दशक बाद भी सड़क व नदी पर पुल का निर्माण नहीं हो […]

वीरपुर : बसंतपुर प्रखंड में आज भी कई ऐसे गांव हैं, जो विकास से कोसों दूर हैं. जर्जर सड़क, नदी पर पुल का नहीं होना यहां की पहचान बन चुका है. प्रखंड में ऐसा ही एक गांव है कोशिकापुर. यहां आजादी के कई दशक बाद भी सड़क व नदी पर पुल का निर्माण नहीं हो सका है. इसके कारण यहां के लोगों को आवागमन की भारी समस्या से रू-ब-रू होना पड़ता है.

जान कर हैरानी होगी कि इस गांव के बच्चे नदी पर पुल का निर्माण नहीं होने से नदी पर बने चचरी पुल को पार जान जोखिम में डालते हुए स्कूल जाने को मजबूर हैं. चार माह बंद रहती बच्चों की पढ़ाईइतना ही नहीं पुल के अभाव में बरसात के मौसम में यहां के बच्चे चार माह तक विद्यालय नहीं जाते हैं.

इस क्षेत्र के जीरवा, परमानंद पुर, नाग पीपराही आदि गांवों की लगभग पंद्रह हजार की आबादी को जोड़ने वाली इस सड़क को लेकर गत विधान सभा चुनाव के दौरान ग्रामीणों ने आवाज भी उठाया था. इसको लेकर गांव के लोगों नहीं सड़क व पुल नहीं तो वोट नहीं का नारा देकर वोट बहिष्कार किया था. जिसे बाद में जनप्रतिनिधियों के आश्वासन पर यहां के ग्रामीणों ने वोट में हिस्सा लिया था. बावजूद अब तक इस गांव की समस्या के बारे में कोई खास पहल नहीं की गयी है. जिससे यहां के ग्रामीण काफी खफा हैं.

गांव के विकास का मुद्दा चुनाव तक ही रहता हैराज कुमार मेहता ने बताया कि इस गांव के विकास का मुद्दा सिर्फ चुनाव तक ही रहता है. चुनाव के बाद सभी मुद्दे गौन हो जाते है. विकास का दावा करने वाले नेता को जनहित से कोई लेना -देना नहीं रहता. यही वजह है कि आज तक सड़क व नदी पर पुल का निर्माण नहीं हो सका है. सबसे ज्यादा समस्या बरसात के मौसम में होता है.

नदी के जल स्तर में वृद्धि के बाद नदी में पानी इतना बढ़ जाता है कि नदी पर बना चचरी पुल भी बह जाता है. जिसके कारण लोगों को आवागमन के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता है. बरसात के मौसम में चार महीने तक बच्चे स्कूल जाने से वंचित रह जाते हैं.भोला पासवान कहते हैं कि सड़क पर तो जैसे -तैसे आवागमन किया जा सकता है. लेकिन नदी पर पुल नहीं होने से उसे पार करना मुश्किल भरा है. सबसे विकट समस्या होती है. चचरी का निर्माण करना. जिसके प्रशासनिक कोई भी मदद नहीं की जाती है.

ग्रामीणों को आपस में चंदा कर चचरी का निर्माण करना पड़ता है.सैदुल्लाह इस्लाम का कहना है कि आज भारत देश में बुलेट ट्रेन का सपना लोगों को दिखा रहा है. लेकिन इस गांव में लोगों के लिये पैदल आवागमन की सुविधा तक नहीं है. सरकार को ग्रामीण क्षेत्र के विकास पर ध्यान देने की आवश्यकता है. क्योंकि गांव के विकास के बिना देश का विकास संभव नहीं है.

मो आसिफ कहते हैं कि इस क्षेत्र के लोगों के विकास का सबसे बड़ा बाधक सड़क व पुल है. जिसकी वजह से इस क्षेत्र के लोगों को भारी समस्या का सामना करना पर रहा है. सबसे ज्यादा असर इस क्षेत्र के बच्चों पर रहा है,

क्योंकि उनकी शिक्षा पुल निर्माण के नहीं होने से सबसे ज्यादा प्रभावित हो रही है.कहते हैं जनप्रतिनिधिबनेली पट्टी पंचायत की मुखिया वीणा देवी बताती है कि प्रखंड कार्यालय में सड़क और पुल योजना का कार्य लंबित पड़ा है.

इसके कारण सड़क व पुल निर्माण का कार्य आरंभ नहीं हो सका है.कहते हैं अधिकारीबीडीओ रचना भारतीय ने बताया कि मुखिया वीणा देवी द्वारा इस बड़े बजट की योजना का मासिक बैठक में कभी जिक्र नहीं किया गया है. इस योजना का जिले से अनुमोदन करवा कर इस दिशा में जल्द ही प्रयास किया जायेगा.

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