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वार्ड नंबर पांच के लोगों को है एक पुल की जरूरत

वार्ड नंबर पांच के लोगों को है एक पुल की जरूरत फोटो- 04 से 11 तककैप्सन- जुगाड़ पुल के सहारे नहर पार करते लोग, प्रतिक्रिया व्यक्त करने वालों का फाइल फोटो.प्रतिनिधि सुपौलसरकार द्वारा विकास के भले ही लाख दावेे किये जाते हों. पर, हकीकत यही है कि अभी भी सुदूर क्षेत्र तो दूर शहरी इलाके […]

वार्ड नंबर पांच के लोगों को है एक पुल की जरूरत फोटो- 04 से 11 तककैप्सन- जुगाड़ पुल के सहारे नहर पार करते लोग, प्रतिक्रिया व्यक्त करने वालों का फाइल फोटो.प्रतिनिधि सुपौलसरकार द्वारा विकास के भले ही लाख दावेे किये जाते हों. पर, हकीकत यही है कि अभी भी सुदूर क्षेत्र तो दूर शहरी इलाके भी विकास से कोसों दूर है. इसका ताजातरीन उदाहरण है नगर परिषद क्षेत्र का वार्ड नंबर पांच. यहां लगभग 15 सौ से ऊपर की आबादी है. इस आबादी को मुख्य सड़क से जोड़ने के लिए आजादी के कई दशक बाद भी एक पुल का निर्माण नहीं हो सका है. सुपौल-पिपरा एसएच 76 स्थित मां गंगा पेट्रोल पंप के पूरब से इस मोहल्ला की तरफ जाने का रास्ता बना है. यह रास्ता मुहल्लावासियों के लिए मुख्य आवागमन का जरिया है. एसएच से नहर तक जाने के लिए भले ही सड़क की ढलैया कर दी गयी है, लेकिन मुहल्ला तक पहुंचने के लिए बीच गौरवगढ़ नहर पर एक अदद पुल की कई दशकों से यहां के लोगों को जरूरत है. बावजूद किसी ने इस सैकड़ों की आबादी की समस्या पर कभी ध्यान नहीं दिया. इसके कारण आज भी यहां के लोग नहर पर लकड़ी के खंभे पर रखे बिजली पोल के सहारे नहर को पार करने को मजबूर हैं. इस पुल के निर्माण नहीं होने से बड़े वाहन तो दूर, पैदल भी इस पुल को पार करना काफी मुश्किल है. आये दिन स्कूली बच्चों के इस पुल से नहर में गिरने की घटना होती रहती है, जो इस पुल को पार कर गौरवगढ़ स्थित विद्यालय पढ़ने आते हैं. पुल के निर्माण नहीं होने से स्थानीय लोगों को नहर के पूर्वी भाग से होकर या तो गौरवगढ़-सिंहेश्वर मार्ग पकड़ कर बाजार की तरफ आना पड़ता है या एसएच 76 पहुंच कर लंबी दूरी तय कर जाना पड़ता है. इससे यहां के लोगों को कापी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. इस समस्या पर आज तक न तो किसी जनप्रतिनिधि की नजर पड़ी है और न ही किसी प्रशासनिक अधिकारी की. हालांकि इस पुल के निर्माण के लिए स्थानीय लोगों व वार्ड पार्षद द्वारा जनप्रतिनिधियों को मौखिक व लिखित रूप से कहा गया है. बावजूद पुल निर्माण की दिशा में कोई खास पहल नहीं की गयी है. मुहल्लावासी कहते हैंरामानंद यादव ने बताया कि हम लोगों का मुख्य सड़क से जुड़ने का एक मात्र रास्ता यही है. वर्ष 1990 में जब गौरवगढ़-सिंहेश्वर पथ पर इसी नहर के ऊपर पुल का निर्माण हुआ था, तभी से हम लोग इस पुल के निर्माण की दिशा में जनप्रतिनिधियों व प्रशासनिक अधिकारियों की तरफ आस लगाये बैठे है. लेकिन पुल के निर्माण की दिशा में मुहल्लावासियों की कोई सुधि लेने वाला नहीं है.विजय यादव कहते हैं कि आज हर जगह विकास हुआ है, लेकिन यह कोई सोच भी नहीं सकता जिला मुख्यालय की इतनी बड़ी आबादी को आवागमन में कितनी परेशानी झेलनी पड़ रही है. पुल तो दूर सड़क से लेकर बिजली खंभे की हालत तक इस मुहल्ले की काफी खराब है. जनप्रतिनिधियों व प्रशासनिक उदासिनता के कारण ही इस मुहल्ले की ये हालत है. विकास का सभी खाका जिला मुख्यालय में तैयार होता है, लेकिन जिला मुख्यालय के लोग ही विकास से कोसों दूर हैं.राम जी शर्मा कहते हैं कि नहर के पूर्व ज्यादातर लोगों के जीविका माध्यम खेती है. सबसे ज्यादा समस्या रास्ते को लेकर होती है. क्योंकि पुल के निर्माण नहीं होने से नहर को पार करने के लिए लंबी दूरी तय कर दूसरे रास्ते हो कर जाना पड़ता है. बैल गाड़ी हो या हल जोतने के हल-बैल लेकर खेत जाना काफी परेशानी झेलनी पड़ती है. खेत जाने में ही हम लोगों को ज्यादा समय लग जाता है. हम लोगों की किश्मत में ही परेशानी झेलना लिखा है तो झेल रहे हैं.नीतू आर्य कहती हैं कि सबसे ज्यादा डर बच्चों को स्कूल भेजने में लगा रहता है. कारण, पुल इस कदर खतरनाक है कि हम महिलाओं को भी पुल पर पार करने में डर लगता है. इसकी वजह से बच्चों को स्कूल छोड़ने व लाने के लिए किसी न किसी को रोज जाना पड़ता है. घर में कोई पुरुष नहीं रहने पर बच्चों को स्कूल भी नहीं भेज पाती हूं, क्योंकि स्कूल जाते समय कई बच्चे नहर में गिर चुके हैं. नीलम सिंह कहती हैं कि पुल के निर्माण नहीं होने से सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं को होती है. बाजार जाना हो या कही और पैदल जाना काफी समय बर्बाद हो जाता है. जरुरी कार्यों के लिए भी पुरुष पर निर्भर रहना पड़ता है. कारण इतना दूर पैदल जाना संभव नहीं होता. सड़क सही रहने पर वाहनों का परिचालन होता है. तो आवागमन में भी सुविधा होती है. रेणू देवी ने कहा कि हम लोग किसान परिवार से आते है. पुल व सड़क के निर्माण नहीं होने से हमलोगों को ज्यादा परेशानी होती है. कारण, खेत से अनाज काट कर लाना हो या मवेशी के लिए घास. माथे पर उठा कर लाना पड़ता है. पुल के निर्माण होने के बाद इस समस्या से निजात मिल जायेगी. इससे रास्ते की दूरी भी कम होगी और आवागमन में भी बैलगाड़ी व अन्य माध्यमों का सहारा मिल जायेगा.कहते हैं वार्ड पार्षदमुहल्लावासियों की समस्या के बाबत वार्ड पार्षद अली हसन ने कहा कि नहर पर पुल निर्माण को लेकर लिखित व मौखिक रूप से जनप्रतिनिधि का ध्यान आकृष्ट कराया गया है. विधानसभा चुनाव के कारण इस दिशा में कोई प्रगति नहीं हुई है. जल्द ही पुल के निर्माण की दिशा में प्रयास कर इसका निर्माण किया जायेगा.

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