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उदासीनता. कालाबाजारियों के गिरेबान तक अब तक नहीं पहुंचा कानून का हाथ सुपौल : आखिर गरीबों का निवाला छीनने का गुनहगार कौन है. किन हाथों में खाद्यान्न माफियाओं की बागडोर है. हर माह खाद्यान्न वितरण में होने वाली अनियमितता का राजदार कौन है. कौन है लाखों रुपये के खाद्यान्न में अनियमितता का मास्टरमाइंड. ऐसे कई […]

उदासीनता. कालाबाजारियों के गिरेबान तक अब तक नहीं पहुंचा कानून का हाथ

सुपौल : आखिर गरीबों का निवाला छीनने का गुनहगार कौन है. किन हाथों में खाद्यान्न माफियाओं की बागडोर है. हर माह खाद्यान्न वितरण में होने वाली अनियमितता का राजदार कौन है. कौन है लाखों रुपये के खाद्यान्न में अनियमितता का मास्टरमाइंड. ऐसे कई सवाल लाभुकों को परेशान कर रहा है. कालाबाजारियों के गिरेबान तक कानून का लंबा हाथ अब तक नहीं पहुंच पाना कई सवालों को खड़ा कर रहा है. खाद्यान्न की हेराफेरी कर गरीबों की हकमारी की जा रही है.
बहरहाल सदर प्रखंड के सुखपुर पंचायत में बीते शनिवार को एक डीलर द्वारा की गयी खाद्यान्नों की कालाबाजारी की तह तक में जाने पर कुछ ऐसे तथ्य उजागर होते हैं, जिसके आम होते ही सुर्ख चेहरे स्याह पड़ जाते हैं. साथ ही इतना बड़ा मामला उजागर होने के बाद भी त्वरित कार्रवाई न होना कई सवालों को जन्म दे रहा है. सुखपुर पंचायत के बुद्धिजीवियों का कहना है
कि कालाबाजारी के खेल की जानकारी प्रशासन को दी जाती है. जहां प्रशासन द्वारा स्थलीय जांच के लिए पदाधिकारियों को भेजा जाता है. लाभुक सूचना देते हैं कि स्थानीय काली चौधरी के घर में डीलर लाल बहादुर यादव सरकारी अनाज की कालाबाजारी के लिए जमा किया है. प्रशासनिक पदाधिकारी बगैर घर की जांच किये सील कर दिया जाता है. लोगों ने बताया कि जब अधिकारियों द्वारा डीलर व अनाज स्टोर कराये गृह स्वामी को संदेश भेजा गया कि वे उक्त कमरे को खुलवाये. ताकि जांच का कार्य संपन्न कराया जा सके. लोगों ने बताया कि रविवार को प्रशासनिक पदाधिकारियों द्वारा ताला तुड़वाने व बंद कमरे की जांच कराने की प्रक्रिया शुरू की गयी. अब सवाल उठना लाजिमी है कि एक ही काम के लिए दो दिनों तक मामले को सुलझाने के बजाय उलझा कर रखना डीलर के प्रति प्रशासन का मंशा ठीक प्रतीत नहीं हो रहा है.

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