प्रतिनिधि,गुठनी. प्रखंड के किसान धान का बिचड़ा डालने की शुरुआत कर चुके हैं. नहरों में पानी अभी तक नदारद है. मैरवा, गोपालगंज नहर में हो रहे कार्य को देखते हुए इस बार भी किसानों को नहर से पानी मिलने की आसार भी ना के बराबर है. इससे किसानाें की चिंता और बढ़ गयी है. 15 किलोमीटर दूर तक फैली हुई हैं नहर का जाल प्रखंड में नहरों के किनारे बसे गांवों के किसान दो दशकों तक हर मौसम में बढ़िया खेती करते थे. उसका मुख्य कारण नहरों के जाल से गांवों का घिरा होना था. जल संसाधन विभाग के जेइ प्रभाष कुमार का कहना है की करीब 15 से 20 किलो मीटर दूर तक नहरे है. जिनमे अभी कुछ जगहों पर पानी नही आ रहा है. इसका कारण उन पर हो रहे निर्माण कार्य है. नहरों के किनारे बसे हुए हैं ये गांव प्रखण्ड मुख्यालय में नहरों के किनारे बसे गांवों की संख्या दो दर्जन से अधिक है. इनमे नहर के सटे गांवों में सेलौर, बेलौर, केलहुरुआ, कोढवलिया, ओदिखोर, बाजीदही, सुरुआर गुण्डी, कुडेसर, चकिया, भलुआ, पचनेरुआ, रेवासी, खाप जतौर, जतौर गांव शामिल हैं. जिनमे धान, मक्का, रहर, मूंगफली, गेहूं, मौसमी सब्जी की खेती होती थी. पड़री पंचायत के मुखिया ललन राय का कहना है कि अधिकारियो द्वारा त्वरित कार्रवाई करते हुए नहरों में पानी सप्लाई चालू करनी चाहिए. ताकि धान की खेती बढ़िया से हो सके. डीएम के आदेश को भी नहीं मानते विभाग के कर्मी प्रखंड में सरकारी योजनाओं की जांच के लिए पहुंचे डीएम ने सबसे अधिक कृषि से जुड़ी समस्याओं और उससे पीड़ित किसानों पर विशेष फोकस किया था. उन्होंने इस दौरान डीएओ, बीडीओ, सीओ, बीएओ, कृषि समन्वयक, किसान सलाहकारो को किसानों की समस्या का निस्तारण करने का सख्त आदेश दिया था. बावजूद प्रखंड स्तर के कर्मी और अधिकारी डीएम के भी आदेशों का पालन करना मुनासिब नहीं समझते. एसडीओ मोहम्मद अमजद अली का कहना है की वरीय अधिकारियों और विभाग से निर्देश के अनुसार ही काम किया जा रहा है. नहरों में कार्य तेजी से चल रहा है.15 जून तक नहर में पानी आने की संभावना है. चांदपुर वितरणी नहर में पानी की जगह उड़ रही है धूल प्रतिनिधि,सिसवन: प्रखंड क्षेत्र से होकर गुजरने वाली चांदपुर वितरणी नहर में पानी की जगह धूल उड़ रहा है ,जिससे करीब एक दर्जन गांवों के किसानों के समक्ष धान की नर्सरी तैयार करने की समस्या उत्पन्न हो गई है. इससे धान की रोपनी समय पर हो पाना संभव नहीं लग रहा है.किसान अब वैकल्पिक व्यवस्था पंप सेट से पानी खरीद कर नर्सरी डालने पर विचार कर रहे हैं. प्रखंड क्षेत्र में सिंचाई की व्यवस्था के लिए सरकार द्वारा नहर की व्यवस्था दी गई है. किसानों का कहना है कि नहर में एक बूंद पानी नहीं है. सरकार द्वारा नहर की व्यवस्था तो की गई, लेकिन खेतों तक पानी पहुंचाने की व्यवस्था नहीं की गई है. किसान शंकर गिरि का कहना है कि किसी भी हाल में खेती तो करना है. इसी पर हम किसानों को निर्भर रहना है. पानी के अभाव में अभी तक किसान अपने खेतों में धान के बीज नहीं डाल पाए हैं. जिन किसानों के पास अपना निजी ट्यूबवेल है वे पटवन कर लेते हैं, लेकिन जिसके पास यह सुविधा उपलब्ध नहीं है. वैसे किसानों को नहर व बारिश के पानी पर ही निर्भर रहना पड़ता हैं.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है