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हनुमानगढ़ी मंदिर के महंत के दोनों शिष्यों ने की थी हत्या

चैनपुर ओपी थाने के प्राचीन मेंहदार मंदिर क्षेत्र स्थित हनुमानगढ़ी मंदिर के महंत की हुई हत्या के 48 घंटे बाद आखिरकार पुलिस ने पर्दाफाश कर दिया. महंत के दोनों करीबी शिष्यों ने ही योजना बनाकर वह महंत बनने के होड़ तथा मंदिर की संपत्ति के ले गुरु को मौत का घाट उतार दिया.

सिसवन : चैनपुर ओपी थाने के प्राचीन मेंहदार मंदिर क्षेत्र स्थित हनुमानगढ़ी मंदिर के महंत की हुई हत्या के 48 घंटे बाद आखिरकार पुलिस ने पर्दाफाश कर दिया. महंत के दोनों करीबी शिष्यों ने ही योजना बनाकर वह महंत बनने के होड़ तथा मंदिर की संपत्ति के ले गुरु को मौत का घाट उतार दिया. पुलिस अधीक्षक अभिनव कुमार ने बताया कि महंत के दोनों शिष्यों ने ही हत्या की है. दोनों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. चैनपुर ओपी थानाध्यक्ष राकेश कुमार ने बताया कि महंत के हुई हत्या के बाद चौकीदार विनोद यादव के फर्द बयान पर अज्ञात चोरों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. वह महंत के दोनों करीबी शिष्यों को हिरासत में लेकर लगातार चार दिनों से पूछताछ की जा रही थी.

बावजूद कई बिंदुओं पर बारीकी से जांच की जा रही थी. आखिरकार रविवार की सुबह दोनों शिष्यों ने ही क्बुल कर लिया कि अपने गुरु को मौत का घाट उतारा है. दोनों शिष्यों ने पुरी घटना की जानकारी पुलिस को दी. इस संदर्भ में थानाध्यक्ष ने बताया कि महंत जनक दास के दो करीबी शिष्यों में एक सारण के रसूलपुर थाना अंतर्गत लौवारी गांव निवासी कमल चौबे के पुत्र धनंजय चौबे तथा दूसरा सारण के मांझी थाना अंतर्गत मोहम्मदपुर गांव निवासी बबन मिश्रा के पुत्र रामजी मिश्रा. दोनों बीते गुरुवार के शाम महंत जी के लिए प्रतिदिन के भांति रसोई तैयार करने के लिए पहुंचे.

तब मंदिर में ही दोनों शिष्यों ने हत्या की प्लानिंग बना डाली. उस समय महंत छत के ऊपर कमरे में आराम फरमा रहे थे. तब दोनों चेलों ने महंत जी को गमछा से बुरी तरह मुंह बांध वह घसीट कमरे से बाहर छत पर निकाला. उसके बाद लाठी-डंडे, ईंट से उनके सिर पर ताबड़तोड़ वार कर मौत का घाट उतार दिया. वह दोनों दरिंदे हत्या करने के बाद, कुछ मूर्तियों को गर्भ गृह से निकाल मंदिर में ही छुपा दी. ताकि लोग समझ सके की मूर्ति चोरी के दौरान महंत जी चोरों का विरोध कर रहे थे.

जिससे अज्ञात चोरों ने उनकी हत्या कर दी है. इधर दोनों शिष्यों ने गुरुवार की देर शाम हत्या करने के बाद गेट को सटा कर दोनों फरार हो गये. इधर महंत के हत्यारा धनंजय चौबे का घर मंदिर से महज दो सौ मीटर की दूरी पर है. वहीं रामजी मिश्रा हत्या के बाद मेंहदार मंदिर में चला गया तब ठीक प्लानिंग के तहत मेंहदार मंदिर से निकल रामजी मिश्रा सुबह पांच बजे हनुमानगढ़ी मंदिर पहुंचा. वह महंत जी का अपहरण हो गया है. यह कह जोर-जोर से चिल्लाने लगा. इधर मंहथ की अपहरण की बात सुन सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण सुबह-सुबह मंदिर परिसर पहुंच गये. वह महंत को खोजना शुरू कर दिया तब देखा कि महंत जी तो छत पर खून से लथपथ मृत पड़े थे.

मंदिर के चाभी थाने में सुरक्षित रखी गयी.कुछ ग्रामीणों को शुरू से ही चेलों पर था शककुछ ग्रामीणों का कहना था कि दोनों चेलो कई दिनों से आपस में चर्चा कर रहे थे कि मिलकर साझेदारी में महंत बनेंगे और मंदिर के पूरे जमीन जायदाद को फिफ्टी-फिफ्टी हिस्सों में बाटेंगे. लेकिन लोग इसको मजाक समझ रहे थे. इधर महंत के हत्या के बाद श्रद्धालुओं में काफी शोक की लहर है. मंदिर वीरान पड़ी हुई है, जो बाबा के दर्शन वह उनकी प्रवचन सुनने के लिए सुबह-शाम महिलाओं का भीड़ लगता था आज वही मंदिर सुनसान पड़ी हुई है.

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