Vehicle Purchase and Sale: गाड़ियों की खरीद-बिक्री बहुत सारे लोग करते हैं. कोई सेकेंड हैंड गाड़ियां खरीदता है, तो कोई पुराने वाहन खरीद कर उसकी डेंटिंग पेंटिंग कराकर कुछ मुनाफा में बेच देते हैं. शराब तस्करों से जब्त गाड़ियां भी नीलामी में खरीद कर उसे बेचने का धंधा किया जा रहा है.
कानूनी पेंच में फंसने की संभावना
सीतामढ़ी जिला पुलिस की तरफ से गाड़ी की खरीद बिक्री करने वाले ऐसे लोगों को सलाह दी है. पुलिस के इस सलाह को नहीं मानने वाले लोग कभी भी कानूनी पेंच में फंस सकते हैं. दरअसल, बहुत सारे लोग गाड़ी की बिक्री करने के दौरान खरीददार से सिर्फ एक कागज पर लिखित तौर पर खरीद-बिक्री का समझौता कर उस पर गवाहों के हस्ताक्षर कराने के बाद गाड़ी बेच देते है, जो पूरी तरह से गलत है. जिला पुलिस का साफ-साफ कहना है कि इस तरह से गाड़ी की खरीद-बिक्री कानूनन गलत है.
शपथ-पत्र बनवाकर भी खरीद-बिक्री
बता दें कि गाड़ी के क्रेता-विक्रेता की तरफ से कोर्ट के नोटरी पब्लिक से शपथ-पत्र बनवाकर भी वाहन खरीद बिक्री का चलन है. इस शपथ-पत्र में गाड़ी के क्रेता-विक्रेता दोनों का डिटेल रहता है. उस पर दोनों पार्टी और गवाहों का हस्ताक्षर होता है. इसी आधार पर गाड़ी की खरीद-बिक्री की प्रक्रिया पूरी मान ली जाती है. जबकि पुलिस की नजर में यह शपथ-पत्र कानूनन पर्याप्त नहीं है.
बिहार की ताजा खबरों के लिए यहां क्लिक करें
जिला पुलिस की सलाह
जिला पुलिस की तरफ से इस तरह गाड़ियों की खरीद-बिक्री को लेकर क्रेता-विक्रेता दोनों को सलाह के साथ ही सचेत भी किया गया है. जिसके तहत आरटीओ में गाड़ियों के क्रेता-विक्रेता का नामांतरण (ट्रांसफर ऑफ ऑनरशिप) आवश्यक है. आरटीओ से नामांतरण के निर्गत कागजात ही वैध माने जाएंगे. भविष्य में आरटीओ से बिना नामांतरण वाली गाड़ी किसी आपराधिक गतिविधि में पकड़ा जाती है, तो पुराने मालिक पर भी कार्रवाई हो सकती है. पुलिस द्वारा विक्रेता को गाड़ी की बिक्री के दौरान क्रेता के पहचान-पत्र और पते के दस्तावेज सुरक्षित रखने को भी कहा गया है.
इसे भी पढ़ें: Bihar Liquor: जमीन के अंदर से मिला शराब का जखीरा, डॉग स्क्वॉयड की मदद से चल रहा था तलाशी अभियान