पुरनहिया : कंस के अत्याचार से व्यथित होकर ससमाज सहित नंद बाबा गोकुल से वृंदावन आने पर श्री कृष्ण के बाल लीला में मैया यशोदा को गोपियों द्वारा शिकायत मिलने पर कान्हा ने कहा मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो. उक्त प्रसंग का चित्रण करते हुए वृंदावन से आयी कथावाचिका सरस किशोरी ने कहा कि महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित श्रीमद् भागवत महापुराण के पंचम स्कंद में कृष्ण के बाल एवं किशोर लीलाओं का वर्णन किया गया है. जिसमे श्री कृष्ण ने अपनी बाल लीलाओं मे अपने बाल सखाओं के साथ गोपियों के घर जाकर चुपके चुपके माखन की चोरी कर अपने सखाओं के साथ खा जाते थे. कभी-कभी पकड़े जाने पर ग्वालिनों द्वारा मैया यशोदा को शिकायत की जाती थी. जहां कृष्ण इसे पूर्णता से सफाई देते हुए कहा करते मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो. शिकायत मिलने पर कभी-कभी मां द्वारा इन्हें डांट भी मिला करती थी. अपने किशोर काल में यमुना तट पर किशोरी गोपियों के वस्त्र चुराना और उन्हें प्रेमातुर कर एक संदेश भी दिया करते थे कि नदी में स्नान के समय निर्वस्त्र प्रवेश नहीं करना चाहिए. ऐसा करने पर वरुण देव का अपमान होता है. प्रेम के साक्षात प्रतिमूर्ति बालकृष्ण अपने मनमोहक अदाओं से न केवल गोपियों वरण वृंदावन के पशु पक्षियों तक को भी मोहित कर देते थे. उनके बांसुरी वादन सुनते ही गोपियों संग गायों की बछड़े भी उछलने लगते थे. इस प्रकार किशोर काल में भगवान श्री कृष्णा ने अनेक लीलाएं कर वृंदावन वासियों को प्रेमातुर एवं अचंभित भी कर दिया करते थे.
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