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बेटी को बोझ समझ मां ने अस्पताल में छोड़ा

सीतामढ़ी : लड़के के तरह लड़की भी मुट्ठी बांध के हंसती है, फिर क्यूं जन्म के पहले मरती है बेटियां. समाज में बेटियों को बचाने व उन्हें जीने का हक देने के लिए गीतकार जावेद अख्तर में यह गीत लिखी थी. वर्तमान में सरकार भी बेटियों को स्नेह, सहयोग व समर्थन प्रदान कर रहीं है. […]

सीतामढ़ी : लड़के के तरह लड़की भी मुट्ठी बांध के हंसती है, फिर क्यूं जन्म के पहले मरती है बेटियां. समाज में बेटियों को बचाने व उन्हें जीने का हक देने के लिए गीतकार जावेद अख्तर में यह गीत लिखी थी.

वर्तमान में सरकार भी बेटियों को स्नेह, सहयोग व समर्थन प्रदान कर रहीं है. बावजूद इसके बेटियां आज भी समाज के लिए बोझ बनी हुई है. बेटियों को गर्भ में ही मार दिया जा रहा है, अगर वह जन्म ले भी रहीं है तो मां-बाप उससे जीने का हक छीन रहे है. मां के आंचल के बदले उन्हें चौराहों पर छोड़ा जा रहा है.
कुछ ऐसी हीं तस्वीर शनिवार को सदर अस्पताल में दिखी. सदर अस्पताल के ओपीडी के पास एक कलियुगी मां ने अपनी एक साल की दूधमुंही बच्ची को छोड़ दिया. इतना हीं नहीं बच्ची को रोते-बिलखते छोड़ मां फरार हो गयी. बच्ची के क्रंदन की आवाज सुनकर सदर अस्पताल में इलाज कराने आयी महिलाओं का कलेजा चाक हो गया.
कोई उसे पुचकार रहा था तो कोई दूध पिला रहा था. मौके पर पहुंची नगर थाना पुलिस ने बच्ची को चाइल्ड लाइन को सौंप दिया.

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