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सासाराम के सहायक जेल अधीक्षक भेजे गये जेल

हाइकोर्ट के आदेश पर सीतामढ़ी पुलिस ने सासाराम से किया था गिरफ्तार रविवार को किया सीतामढ़ी सीजेएम कोर्ट में पेश मामला नाम बदल कर शातिर अपराधी रणधीर राय की जमानत लेने का प्रयास करने का रून्नीसैदपुर पुलिस ने 10 दिसंबर 2013 को रून्नीसैदपुर मेंं छापेमारी कर आर्म्स के साथ मुजफ्फरपुर जिले के चार बदमाशों को […]

हाइकोर्ट के आदेश पर सीतामढ़ी पुलिस ने सासाराम से किया था गिरफ्तार

रविवार को किया सीतामढ़ी सीजेएम
कोर्ट में पेश
मामला नाम बदल कर शातिर अपराधी रणधीर राय की जमानत लेने का प्रयास करने का
रून्नीसैदपुर पुलिस ने 10 दिसंबर 2013 को रून्नीसैदपुर मेंं छापेमारी कर आर्म्स के साथ मुजफ्फरपुर जिले के चार बदमाशों को गिरफ्तार किया था. मामले को लेकर रून्नीसैदपुर थाने मेंं कांड संख्या 496/2013 दर्ज कराई गई थी. जिसमेंं मुजफ्फरपुर जिले के औराई थाना के विशनपुर निवासी वीरेंद्र सहनी व हरेंद्र सहनी, राम खेतारी निवासी दिलीप कुमार व परसामा निवासी जितेंद्र कुमार को आरोपित किया गया था. मामले की जांच का जिम्मा अवर निरीक्षक रामचंद्र प्रसाद को मिला था.
मामले की कोर्ट मेंं सुनवाई जारी थी. इसी बीच आर्म्स एक्ट समेंत कई संगीन मामलों मेंं जेल मेंं बंद बथनाहा थाने के मदनपट्टी निवासी रणधीर राय ने सीजेएम कोर्ट मेंं अपने वास्तविक नाम रणधीर राय के नाम से जमानत की अर्जी दी. अधिवक्ता लिपिक नागेंद्र राय की पहचान पर अधिवक्ता मधु शंकर सिंह ने शपथ पत्र दायर किया था. जिसे सीजेएम ने रिजेक्ट कर दिया था.
इसके बाद रणधीर राय ने कांड संख्या 496/2013 के तहत हरेंद्र सहनी के नाम पर जमानत के लिए अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम के कोर्ट मेंं अर्जी दी. वहीं पटना हाइकोर्ट मेंं भी 31 मार्च 2015 को हरेंद्र सहनी के नाम जमानत की अर्जी दायर की गई.
इस बार भी अधिवक्ता मधु शंकर सिंह व अधिवक्ता लिपिक नागेंद्र राय ने मिलकर उसका शपथ पत्र तैयार किया. पटना हाइकोर्ट मेंं जमानत की अर्जी पर सुनवाई के दौरान शक होने के बाद न्यायाधीश ने 7 सितंबर 2016 को सीआइडी के एडीजी को व्यक्तिगत स्तर पर मामले की जांच का आदेश दिया. जांच मेंं पाया गया कि रणधीर राय ने हरेंद्र सहनी के नाम से कोर्ट मेंं आवेदन प्रस्तुत कर जालसाजी व षडयंत्र रच कर जमानत लेने की कोशिश की. जमानत के अलग-अलग आवेदनों
, शपथ पत्रों, वकालतनामा, जेल से अग्रसारित पहचान पत्र व अन्य कागजातों की बिंदुवार जांच मेंं एडीजी सीआइडी ने पाया कि रणधीर ने खुद को हरेंद्र सहनी बता जमानत लेकर जेल से निकलने की कोशिश की. वजह रणधीर राय के नाम बथनाहा थाने मेंं आर्म्स एक्ट समेंत कई संगीन मामले दर्ज है. आपराधिक षडयंत्र रच कर कोर्ट व पुलिस को धोखा देने के लिए जेल से छूटने व जमानत लेने के लिए रणधीर राय दो-दो बार अलग-अलग नाम से कोर्ट मेंं जमानत की अर्जी दायर किया.
जेल से निर्गत दोनों ही बार अलग अलग नाम से वकालतनामा प्राप्त करने मेंं उसे जेल कर्मियों ने भी सहयोग किया था. एडीजी ने जांच रिपोर्ट मेंं बताया कि जब्ती सूची के गवाह सतेंद्र कुमार व मिथिला बिहारी सिंह को अनुसंधानक ने रणधीर राय उर्फ हरेंद्र सहनी के खिलाफ गवाही नहीं देने का दबाव बनाया था, वहीं धमकी भी दी थी. इस बाबत मिथिला बिहारी सिंह ने 19 दिसंबर 2013 को तत्कालीन एसपी को आवेदन भी दिया था.
जबकि मुजफ्फरपुर जिले के औराई थाने के विशनपुर निवासी चौकीदार विश्वनाथ कुर्मी ने एडीजे प्रथम के कोर्ट मेंं लिखित आवेदन देकर बताया था कि विशनपुर गांव मेंं संतोष कुमार नाम का कोई आदमी नहीं है. जबकि दारोगा ने भी संतोष की पहचान की थी. सीआइडी के एडीजी की जांच रिपोर्ट के आधार पर पटना हाईकोर्ट ने न्यायालय को गुमराह करने व दरोगा तथा अधिवक्ता के साथ मिलकर जालसाजी करने के इस मामले मेंं प्राथमिकी का आदेश दिया था.
इसके आलोक मेंं एसपी के आदेश पर बेलसंड अंचल इंसपेक्टर रामाकांत सिंह ने 9 दिसंबर 2016 को रून्नीसैदपुर थाने मेंं उक्त प्राथमिकी दर्ज कराई थी. बाद मेंं हाइकोर्ट ने मामले मेंं सहायक जेल अधीक्षक के खिलाफ भी प्राथमिकी का आदेश दिया था. इसके आलोक मेंं सहायक जेल अधीक्षक की गिरफ्तारी हुई है. इसके पूर्व इस मामले मेंं एसपी हरि प्रसाथ एस द्वारा गठित पुलिस की स्पेशल टीम ने 19 मार्च को अलग-अलग इलाकों मेंं छापेमारी कर सीतामढ़ी कोर्ट हाजत प्रभारी सह दारोगा रामचंद्र प्रसाद, अधिवक्ता मधुशंकर सिंह व अधिवक्ता लिपिक नागेंद्र राय को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत मेंं पेश किया था. जहां से तीनों को जेल भेज दिया गया था.
सीतामढ़ी/रून्नीसैदपुर : एक बंदी के दो नाम के शपथ पत्र को अभिप्रमाणित करने के मामले मेंं सीतामढ़ी जेल के तत्कालीन सहायक जेल अधीक्षक व वर्तमान मेंं सासाराम के सहायक जेल अधीक्षक के पद पर तैनात अरूण कुमार को रविवार को न्यायिक हिरासत मेंं भेज दिया गया है. 14 अप्रैल को सीतामढ़ी पुलिस की टीम ने पटना हाइकोर्ट के आदेश पर सासाराम मेंं छापेमारी कर अरूण कुमार को गिरफ्तार किया था. जिन्हें रविवार को सीतामढ़ी सीजेएम राम बिहारी के कोर्ट मेंं पेश किया गया. सीजेएम ने सहायक जेल अधीक्षक को न्यायिक हिरासत मेंं भेज दिया है.
रून्नीसैदपुर पुलिस ने 10 दिसंबर 2013 को रून्नीसैदपुर मेंं छापेमारी कर आर्म्स के साथ मुजफ्फरपुर जिले के चार बदमाशों को गिरफ्तार किया था. मामले को लेकर रून्नीसैदपुर थाने मेंं कांड संख्या 496/2013 दर्ज कराई गई थी. जिसमेंं मुजफ्फरपुर जिले के औराई थाना के विशनपुर निवासी वीरेंद्र सहनी व हरेंद्र सहनी, राम खेतारी निवासी दिलीप कुमार व परसामा निवासी जितेंद्र कुमार को आरोपित किया गया था. मामले की जांच का जिम्मा अवर निरीक्षक रामचंद्र प्रसाद को मिला था.
मामले की कोर्ट मेंं सुनवाई जारी थी. इसी बीच आर्म्स एक्ट समेंत कई संगीन मामलों मेंं जेल मेंं बंद बथनाहा थाने के मदनपट्टी निवासी रणधीर राय ने सीजेएम कोर्ट मेंं अपने वास्तविक नाम रणधीर राय के नाम से जमानत की अर्जी दी. अधिवक्ता लिपिक नागेंद्र राय की पहचान पर अधिवक्ता मधु शंकर सिंह ने शपथ पत्र दायर किया था. जिसे सीजेएम ने रिजेक्ट कर दिया था. इसके बाद रणधीर राय ने कांड संख्या 496/2013 के तहत हरेंद्र सहनी के नाम पर जमानत के लिए अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम के कोर्ट मेंं अर्जी दी. वहीं पटना हाइकोर्ट मेंं भी 31 मार्च 2015 को हरेंद्र सहनी के नाम जमानत की अर्जी दायर की गई
. इस बार भी अधिवक्ता मधु शंकर सिंह व अधिवक्ता लिपिक नागेंद्र राय ने मिलकर उसका शपथ पत्र तैयार किया. पटना हाइकोर्ट मेंं जमानत की अर्जी पर सुनवाई के दौरान शक होने के बाद न्यायाधीश ने 7 सितंबर 2016 को सीआइडी के एडीजी को व्यक्तिगत स्तर पर मामले की जांच का आदेश दिया. जांच मेंं पाया गया कि रणधीर राय ने हरेंद्र सहनी के नाम से कोर्ट मेंं आवेदन प्रस्तुत कर जालसाजी व षडयंत्र रच कर जमानत लेने की कोशिश की. जमानत के अलग-अलग आवेदनों,
शपथ पत्रों, वकालतनामा, जेल से अग्रसारित पहचान पत्र व अन्य कागजातों की बिंदुवार जांच मेंं एडीजी सीआइडी ने पाया कि रणधीर ने खुद को हरेंद्र सहनी बता जमानत लेकर जेल से निकलने की कोशिश की. वजह रणधीर राय के नाम बथनाहा थाने मेंं आर्म्स एक्ट समेंत कई संगीन मामले दर्ज है. आपराधिक षडयंत्र रच कर कोर्ट व पुलिस को धोखा देने के लिए जेल से छूटने व जमानत लेने के लिए रणधीर राय दो-दो बार अलग-अलग नाम से कोर्ट मेंं जमानत की अर्जी दायर किया. जेल से निर्गत दोनों ही बार अलग अलग नाम से वकालतनामा प्राप्त करने मेंं उसे जेल कर्मियों ने भी सहयोग किया था. एडीजी ने जांच रिपोर्ट मेंं बताया कि जब्ती सूची के गवाह सतेंद्र कुमार व मिथिला बिहारी सिंह को अनुसंधानक ने रणधीर राय उर्फ हरेंद्र सहनी के खिलाफ गवाही नहीं देने का दबाव बनाया था, वहीं धमकी भी दी थी. इस बाबत मिथिला बिहारी सिंह ने 19 दिसंबर 2013 को तत्कालीन एसपी को आवेदन भी दिया था. जबकि मुजफ्फरपुर जिले के औराई थाने के विशनपुर निवासी चौकीदार विश्वनाथ कुर्मी ने एडीजे प्रथम के कोर्ट मेंं लिखित आवेदन देकर बताया था कि विशनपुर गांव मेंं संतोष कुमार नाम का कोई आदमी नहीं है.
जबकि दारोगा ने भी संतोष की पहचान की थी. सीआइडी के एडीजी की जांच रिपोर्ट के आधार पर पटना हाईकोर्ट ने न्यायालय को गुमराह करने व दरोगा तथा अधिवक्ता के साथ मिलकर जालसाजी करने के इस मामले मेंं प्राथमिकी का आदेश दिया था. इसके आलोक मेंं एसपी के आदेश पर बेलसंड अंचल इंसपेक्टर रामाकांत सिंह ने 9 दिसंबर 2016 को रून्नीसैदपुर थाने मेंं उक्त प्राथमिकी दर्ज कराई थी. बाद मेंं हाइकोर्ट ने मामले मेंं सहायक जेल अधीक्षक के खिलाफ भी प्राथमिकी का आदेश दिया था. इसके आलोक मेंं सहायक जेल अधीक्षक की गिरफ्तारी हुई है. इसके पूर्व इस मामले मेंं एसपी हरि प्रसाथ एस द्वारा गठित पुलिस की स्पेशल टीम ने 19 मार्च को अलग-अलग इलाकों मेंं छापेमारी कर सीतामढ़ी कोर्ट हाजत प्रभारी सह दारोगा रामचंद्र प्रसाद, अधिवक्ता मधुशंकर सिंह व अधिवक्ता लिपिक नागेंद्र राय को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत मेंं पेश किया था. जहां से तीनों को जेल भेज दिया गया था.

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