सरकार चंपारण सत्याग्रह शताब्दी को पर्यटन के रूप में प्रचारित कर रही
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चंपारण सत्याग्रह को भूमि अधिकार आंदोलन बनाएं
सरकार चंपारण सत्याग्रह शताब्दी को पर्यटन के रूप में प्रचारित कर रही शेखपुरा : सरकार द्वारा मनाये जा रहे चंपारण सत्याग्रह को भूमि अधिकार आंदोलन बनाने का आह्वान भाकपा माले ने किया है. माले से जुड़े खेत ग्राम मजदूर सभा और किसान महासभा ने इस मामले पर जोर देने को लेकर अनुमंडल कार्यालय के समक्ष […]
शेखपुरा : सरकार द्वारा मनाये जा रहे चंपारण सत्याग्रह को भूमि अधिकार आंदोलन बनाने का आह्वान भाकपा माले ने किया है. माले से जुड़े खेत ग्राम मजदूर सभा और किसान महासभा ने इस मामले पर जोर देने को लेकर अनुमंडल कार्यालय के समक्ष धरना दिया. यह धरना 30 मार्च तक लगातार जारी रहेगा. धरना में आरोप लगाया गया कि सरकार चंपारण सत्याग्रह शताब्दी को महज पर्यटन के रूप में प्रचारित व प्रसारित कर रही है. लेकिन भाकपा माले व उससे जुड़ी संगठन इसके मूल में जाकर किसानों तथा भूमिहीनों के अधिकारि दिलाने के रूप में मनाने का निर्णय लिया है. चंपारण सत्याग्रह मूलत: अंग्रेजों के खिलाफ किसानों के संघर्ष की सुनहरी गाथा है. आज भी स्थिति अंग्रेजी राज से बेहतर नहीं है. हमारे यहां 60 प्रतिशत लोग अभी भी भूमिहीन है.
विडंबना तो यह है कि लाखों परिवार के साथ रहने के लिए भी भूमि नहीं है. भूमि सुधार के संबंध में अन्य सामानों के साथ-साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली महागठबंधन की सरकार ने भी मुंह मोड़ लिया है. धरना का नेतृत्व माले के जिला सचिव विजय कुमार विजय, कमलेश प्रसाद, अनिता देवी, कारी देवी, राजेश राय, उपेंद्र ठाकुर, रामकृपाल सिंह, सदन रजक सहित बड़ी संख्या में माले, खेमस तथा किसान महासभा के स्थानीय कार्यकर्ता मौजूद थे. धरना स्थल पर आंदोलनकारियों ने आरोप लगाया कि हजारों एकड़ सीलिंग, भूदान आदि की जमीन पर जरूरतमंद भूमिहीनों को हक नहीं मिल सका है. जिले के अंदर बंगालीपर, बेंगूचा आदि स्थानों पर अतिक्रमण के नाम पर भूमिहीनों को बेदखल करने का षडयंत्र किया जा रहा है.
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