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चावल के कालाबाजारी मामले में कार्रवाई नहीं

सरमेरा : प्रखंड में एमडीएम योजना मद के चावल के कालाबाजारी थमने का नाम नहीं ले रहा है. कालाबाजारी की रोकथाम को लेकर ना तो विभाग गंभीर दिख रहा है और ना ही प्रशासनिक महकमे के आलाधिकारी इसमें रुचि ले रहे हैं. विभागीय शिथिलता का ही परिणाम है कि बुधवार को प्रखंड मुख्यालय स्थित उर्दू […]

सरमेरा : प्रखंड में एमडीएम योजना मद के चावल के कालाबाजारी थमने का नाम नहीं ले रहा है. कालाबाजारी की रोकथाम को लेकर ना तो विभाग गंभीर दिख रहा है और ना ही प्रशासनिक महकमे के आलाधिकारी इसमें रुचि ले रहे हैं. विभागीय शिथिलता का ही परिणाम है कि बुधवार को प्रखंड मुख्यालय स्थित उर्दू कन्या विद्यालय के प्रधानाध्यापक को कालाबाजारी के चावल के साथ ग्रामीणों ने रंगे हाथ दबोचा परंतु शर्मसार शिक्षक ने सार्वजनिक रूप से माफी मांग ली तो उसे महज चेतावनी देकर छोड़ दिया गया, जो आमजनों के बीच चर्चा का विषय बना है.

इसी प्रकार विगत 17 फरवरी को एमडीएम योजना मद का ही 47 बैग चावल को कालाबाजारी के मामले में स्थानीय बीडीओ कुंदन कुमार ने बरामद किया था, जिसकी आंच जांच तक पहुंची. बीइओ सुरेश सिंह व डीपीओ सीमा रानी ने कालाबाजारी में शामिल सभी लोगों के विरुद्ध जांच रिपोर्ट डीओ योगेश चंद्र सिंह को दिया था, परंतु जांच प्रतिवेदन के साथ सभी साक्ष्य उपलब्ध होने के बावजूद भी विभाग के वरीय पदाधिकारी कुंभकरनी निद्रा में सो गये. हालांकि ऐसा नहीं है
कि अकेला चना भाड़ फोड़ दें, बल्कि कालाबाजारी के पीछे एक रैकेट काम कर रहा है. जिसका उद्भेदन करने में विभाग से लेकर सरकारी मशीनरी विफल साबित होता दिख रहा है. ऐसे में एक सवाल खड़ा होता दिख रहा है कि क्या इस तरह के कालाबाजारी पर अंकुश लग पायेगा या फिर बच्चों का निवाला यूं ही छिनता रहेगा.
बीडीओ द्वारा बरामद किये गये चावल के मामले में पांच माह बाद भी ना तो बरामद चावल अब तक वापस आया ना ही कालाबाजारियों पर कार्रवाई हुई. जबकि जांच प्रतिवेदन के मुताबिक कालाबाजारी के साथ अन्य विद्यालय के शिक्षक भी शामिल पाये गये थे. बावजूद किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं होना अपने आप में सवाल खड़ा कर रहा है. बरामद चावल का वापस नहीं आना अब भी लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है.

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