तनाव . नेपाल के पूर्व विदेश मंत्री उपेंद्र यादव पहुंचे गौर
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मैट्रिक परीक्षा खत्म होते ही तेज होगा मधेस आंदोलन
तनाव . नेपाल के पूर्व विदेश मंत्री उपेंद्र यादव पहुंचे गौर कहा, आंदोलन को तैयार रहें फोरम कार्यकर्ता काठमांडू में ससंद की बैठक का किया बहिष्कार पूर्व पीएम ओली ने कहा, होंगे निकाय चुनाव बैरगनिया : सीमावर्ती नेपाल में निकाय चुनाव घोषित होने के बाद संयुक्त लोकतांत्रिक मधेसी मोरचा एवं नेकपा एमाले के बीच टकराव […]
कहा, आंदोलन को तैयार रहें फोरम कार्यकर्ता
काठमांडू में ससंद की बैठक का किया बहिष्कार
पूर्व पीएम ओली ने कहा, होंगे निकाय चुनाव
बैरगनिया : सीमावर्ती नेपाल में निकाय चुनाव घोषित होने के बाद संयुक्त लोकतांत्रिक मधेसी मोरचा एवं नेकपा एमाले के बीच टकराव बढ़ जाने से राजनीतिक अस्थिरता एक बार फिर से कायम हो गया है. सीमा पार नेपाल के गौर में आये मोरचा से जुड़े दल संघीय समाजवादी फोरम नेपाल के अध्यक्ष व पूर्व विदेश मंत्री उपेंद्र यादव ने मोरचा के कार्यकर्ताओं से एक बार फिर से आंदोलन के लिये तैयार रहने का निर्देश दिया है.
उन्होंने कहा कि देश में चल रहे मैट्रिक परीक्षा खत्म होते ही आंदोलन तेज किया जायेगा. उन्होंने कहा कि प्रदेशों का सीमांकन किये बिना निकाय चुनाव का घोषणा किया जाना सरकार व मधेसी मोरचा के बीच हुए समझौते का उल्लंघन है. कहा कि एक तरफ जहां मधेशियो के अधिकार को लेकर संसद में संविधान संशोधन विधयक लंबित है. सरकार ने वादा किया था कि संविधान में संशोधन के बाद ही कोई चुनाव होगा,परंतु नेकपा एमाले के दबाब में आकर प्रचंड सरकार आनन-फानन में निकाय चुनाव की घोषणा कर दी है. सरकार द्वारा जबरन थोपे गये इस चुनाव को मधेस की जनता स्वीकार नहीं करेगी और चुनाव का बहिष्कार किया जायेगा. उन्होंने कहा कि मैट्रिक परीक्षा 25 मार्च को समाप्त होते ही मधेस समेत पूरे नेपाल में आंदोलन तेज किया जायेगा. उधर मोरचा से जुड़े मधेसी दलों के सांसदों ने निकाय चुनाव के विरोध में रविवार को संसद की बैठक का वहिष्कार किया तथा सरकार व मधेस विरोधी नेकपा एमाले के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. सर्लाही जिले से निर्वाचित तराई मधेस लोकतांत्रिक पार्टी के उपाध्यक्ष जंगी लाल यादव ने कहा कि किसी भी हालत में चुनाव नहीं होने दिया जायेगा. उधर नेकपा एमाले के अध्यक्ष तथा पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने कहा है कि हर हाल में चुनाव कराया जायेगा. ओली ने कहा कि संविधान में संशोधन की कोई जरूरत नहीं है. नेपाल का संविधान पूरी तरह से लोकतांत्रिक है. मोरचा के नेता बिना समझे संविधान को लागू होने में अड़ंगे लगा रही है.
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