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वक्फ की जमीन से कब्जा हटाये सरकार, तो बनायेंगे अस्पताल : बुरहानुद्दीन

Sasaram news. अगर सरकार इन संपत्ति से कब्जा हटाकर वक्फ इस्टेट को देती है, तो मुफ्त शिक्षा के लिए एक विश्वविद्यालय, मुफ्त इलाज और दवा के लिए अस्पताल, दवाखाना, रिसर्च सेंटर बनाया जायेगा.

सरकार के कब्जे में खानकाह कबिरिया की 20 हजार एकड़ जमीन शाह आलम द्वितीय ने वर्ष 1762 में वक्फ किये थे 35 गांव फोटो-19- मदरसा खानकाह कबिरिया. प्रतिनिधि, सासाराम नगर खानकाह कबिरिया (खानकाह इस्टेट) सासाराम की लगभग 20 हजार एकड़ जमीन पर सरकार का कब्जा है. खानकाह के वर्तमान सज्जादानशीन मोतवल्ली हजरत सैयद शाह बुरहानुद्दीन अहमद ने कहा कि खानकाह के पास करीब 20 हजार एकड़ जमीन है, जिस पर अवैध रूप से कब्जा सरकार और अन्य लोगों ने किया है. अगर सरकार इन संपत्ति से कब्जा हटाकर वक्फ इस्टेट को देती है, तो मुफ्त शिक्षा के लिए एक विश्वविद्यालय, मुफ्त इलाज और दवा के लिए अस्पताल, दवाखाना, रिसर्च सेंटर बनाया जायेगा. साथ ही लाखों लोगों को रोजगार के लिए विभिन्न कुटीर उद्योगों के माध्यम से फायदा पहुंचाया जायेगा. उन्होंने कहा कि अभिलेख का अवलोकन करेंगे, तो पता चलेगा कि इस खानकाह का इतिहास बहुत ही पुराना है. इसकी स्थापना सन 1700 ई में हजरत शेख कबीर दरवेश रहमतुल्लाह अलैह पिता शेख मोहम्मद ने की थी, जो हजरत शेख अब्दुल कादिर जिलानी के वंशज थे. 14 मार्च 1717 ई को बादशाह फारुख शेख ने खानकाह को इनाम में राजस्व माफ 25 गांव खर्च के लिए खानकाह हजरत शाह कबीर दरवेश को दिये थे. गणना के अनुसार, जिसकी आमदनी प्रति वर्ष 940 रुपये थी. इनके बाद फिर शाह आलम द्वितीय ने भी राजस्व मुक्त कुल 35 गांव 13 अक्तूबर 1762 ई में खर्च के लिए खानकाह को वक्फ किये थे. गणना के अनुसार जिसकी आमदनी करीब तीन हजार रुपये प्रति वर्ष थी. जिसे खानकाह के चौथे सज्जादानशीन हजरत शेख कयामउद्दीन अहमद ने स्वीकार किया था. दोनों बादशाहों के फरमान की फारसी कॉपी सदर दीवाने अदालत के जजमेंट सन 1824 ई में प्रकाशित है. साथ ही शाहाबाद जिला के गजट में भी खानकाह इस्टेट के सभी गांवों की संपत्ति वक्फ प्रकाशित हुई है. भू-सर्वेक्षण के दौरान शाह मलीहउद्दीन अहमद सज्जादानशीन खानकाह सासाराम हुए और सर्वे में खानकाह इस्टेट सासाराम की सभी संपत्ति के मालिक के रूप में राजस्व अभिलेख पर उनका नाम खानकाह के प्रबंधक की हैसियत से दर्ज हुआ. अभिलेखों के अवलोकन से यह भी पता चलता है कि सन 1925 ई में खानकाह के 10वें सज्जादानशीन हजरत शाह मलीउद्दीन अहमद ने मोतवल्ली के पद पर रहते हुए गड़बड़ी की थी. इसकी वजह से संपत्ति की सुरक्षा के लिए जिला जज ने उन्हें पद से हटाकर हाजी सैय्यद मेहंदी हसन को खानकाह का रिसीवर नियुक्त किया. साथ ही खानकाह इस्टेट वक्फ संपत्ति पर दखल लेने का आदेश पारित किया था.

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