पीएचइडी विभाग की भूमिका पर उठ रहे सवाल
प्रतिनिधि, राजपुरप्रखंड की सियांवक पंचायत अंतर्गत जिनोरिया गांव के वार्ड संख्या 10 में नल-जल योजना को लेकर गंभीर अनियमितताएं सामने आ रही हैं. सरकार की महत्वाकांक्षी योजना होने के बावजूद अब तक यहां नल-जल योजना की शुरुआत नहीं हो सकी है. ग्रामीणों का कहना है कि योजना के नाम पर केवल ईंट से बना एक पक्का स्ट्रक्चर खड़ा कर दिया गया है, जिससे यह स्पष्ट नहीं होता कि यह नल-जल योजना से संबंधित है. स्थानीय ग्रामीण श्रद्धा सिंह ने बताया कि कुछ वर्ष पूर्व गर्मी के मौसम में योजना के नाम पर थोड़ी-बहुत गतिविधि जरूर हुई थी, लेकिन इसके बाद काम पूरी तरह ठप हो गया. अब तक न तो पाइपलाइन बिछायी गयी और न ही जलापूर्ति की कोई व्यवस्था की गयी. ग्रामीण अब भी पुराने और असुरक्षित जल स्रोतों पर निर्भर रहने को मजबूर हैं.
हैंडओवर के बाद भी काम ठप
ग्रामीणों के अनुसार पहले नल-जल योजना पंचायतस्तर पर वार्ड क्रियान्वयन और प्रबंधन समिति की देखरेख में संचालित होती थी. लगभग दो वर्ष पूर्व राज्य सरकार ने योजना को पीएचइडी विभाग को हैंडओवर कर दिया, लेकिन विभाग द्वारा जिम्मेदारी संभालने के बाद भी जमीनी स्तर पर कोई ठोस काम नहीं हुआ.
फाइलों में सिमटी योजना
नल-जल योजना का उद्देश्य ग्रामीणों को आर्सेनिक एवं फ्लोराइड मुक्त शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना है, लेकिन जिनोरिया गांव में यह योजना केवल फाइलों तक ही सीमित नजर आ रही है. इससे ग्रामीणों में आक्रोश और निराशा व्याप्त है.
अधिकारी ने जतायी अनभिज्ञता
इस संबंध में पीएचइडी विभाग के कार्यपालक अभियंता नवी हसन से संपर्क करने पर उन्होंने बताया कि उन्हें मामले की जानकारी नहीं है. उन्होंने जांच कर आवश्यक कार्रवाई का आश्वासन दिया है. अब देखना यह है कि ग्रामीणों को कब शुद्ध पेयजल नसीब हो पाता है.
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