चेनारी. अब 10 लाख रुपये से अधिक की लागत से मकान या व्यवसायिक प्रतिष्ठान बनाने वालों को सतर्क हो जाना चाहिए, क्योंकि श्रम संसाधन विभाग ने भवन निर्माण पर एक प्रतिशत टैक्स (सेस) वसूली की प्रक्रिया तेज कर दी है. इसके लिए व्यापक सर्वेक्षण अभियान चलाया जा रहा है और पहले चरण में कई भवन मालिकों को नोटिस जारी कर दिये गये हैं. चेनारी के श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी कपिलदेव प्रसाद ने जानकारी दी कि यह नियम 1996 से लागू केंद्र सरकार के भवन व अन्य सनिर्माण कर्मकार अधिनियम के तहत है, जिसे अब जिले से लेकर प्रखंड में प्रभावी तरीके से लागू किया जा रहा है. इस अधिनियम के तहत, कोई भी सरकारी या निजी भवन, आवासीय अपार्टमेंट, व्यावसायिक परिसर या अन्य निर्माण कार्य, जिसकी लागत 10 लाख रुपये से अधिक है, उस पर निर्माण लागत का 1% टैक्स (सेस) श्रम संसाधन विभाग को देना अनिवार्य है. चेनारी प्रखंड में अबतक नौ लोगों को नोटिस किया गया है. इसमें से अब तक चार लोगों ने 05 लाख 37 हजार से अधिक राजस्व जमा किया है. श्रम संसाधन विभाग के प्रधान सचिव के निर्देश के बाद श्रम अधीक्षक ने सभी प्रखंड स्तरीय श्रम नियोजन अधिकारियों को सर्वेक्षण कर रिपोर्ट देने का आदेश दिया है. इस अभियान को जिले में पहली बार बढ़े पैमाने पर लागू किया जा रहा है. बिना टैक्स भुगतान पर भवन की नीलामी तक की चेतावनी अधिनियम के तहत यदि टैक्स की राशि निर्धारित समय (नोटिस के 90 दिन) के भीतर जमा नहीं की जाती है, तो संबंधित व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जायेगी. इसमें मुकदमा दर्ज करने के साथ-साथ निर्मित भवन की नीलामी तक की प्रक्रिया शामिल हो सकती है. श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी ने बताया कि सर्वेक्षण की प्रक्रिया के दौरान कई होटल, स्कूल-कॉलेज, अस्पताल और बिल्डर्स की निर्माण गतिविधियां जांच के दायरे में आयी हैं. बताया गया कि कई भवनों की निर्माण लागत निर्धारित सीमा से अधिक है, लेकिन टैक्स नहीं जमा किया गया है. श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी कपिलदेव प्रसाद ने बताया कि इस टैक्स से प्राप्त राशि का उपयोग निर्माण श्रमिकों के कल्याण, जैसे बीमा, पेंशन, चिकित्सा, बच्चों को शिक्षा और अन्य योजनाओं में किया जायेगा.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

