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Saran News : नगर निगम की लापरवाही से लगातार निगम की जमीन पर हो रहा है कब्जा

Saran News : नगर निगम छपरा को जब भी कोई बड़ी विकास योजना मिलती है, तो जमीन की कमी का बहाना सामने आता है.

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छपरा. नगर निगम छपरा को जब भी कोई बड़ी विकास योजना मिलती है, तो जमीन की कमी का बहाना सामने आता है. परिणामस्वरूप करोड़ों की योजनाएं कागजों में ही रह जाती हैं और मिलने वाली राशि कई बार सरकार को लौटानी पड़ती है. लेकिन हकीकत इससे उलट है निगम के पास कई बीघे जमीन उपलब्ध है, जिस पर दबंगों और रसूखदारों का कब्जा है. हैरानी की बात यह है कि इन जमीनों का रिकॉर्ड रखने वाला संपत्ति रजिस्टर वर्ष 2013 से ही गायब है और इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गयी.छपरा शहर के सभी वार्डों में निगम की अपनी जमीनें मौजूद हैं. इनमें से कई जमीनें वर्षों पहले लीज पर दी गयी थीं, लेकिन लीज खत्म हो जाने के बाद भी कब्जेदारों ने जमीन नहीं छोड़ी. कहीं प्राइवेट स्कूल और कॉलेज, तो कहीं निजी अस्पताल और दो मंजिला दुकानें बना दी गयी हैं. ट्रस्ट के नाम पर बनी जमीनें भी अब व्यक्तिगत संपत्ति की तरह उपयोग हो रही हैं, जबकि ट्रस्ट खुद अस्तित्व में नहीं हैं. यदि नगर निगम सक्रिय हो तो कम से कम 10 बीघा जमीन तत्काल मुक्त करायी जा सकती है, लेकिन कोई आयुक्त या महापौर इस दिशा में इच्छाशक्ति नहीं दिखा रहा है.

जमीन की कमी से नहीं बना सम्राट अशोक भवन और सभागार

नगर निगम को आज से आठ साल पहले बिहार सरकार ने एक योजना दी जिसके तहत कमजोर और गरीब परिवार के लोग अपने यहां के सभी प्रकार के छोटे बड़े आयोजन को निशुल्क रूप में कर सकते हैं. यह योजना थी सम्राट अशोक भवन और सभागार का. इसके लिए 40 लाख से ऊपर रुपये कई बार आये और लौट गये, लेकिन जमीन की कमी की वजह से योजना आज तक सफल नहीं हो पायी. इसी तरह हर वार्ड में मोहल्ला क्लीनिक, लाइब्रेरी, पार्क आदि बनाने के लिए महापौर लक्ष्मी नारायण गुप्ता ने नगर निगम बोर्ड में प्रस्ताव पारित करवाया लेकिन जमीन की कमी की वजह से यह सभी योजनाएं ठंडा बस्ती में जाती हुई दिख रही है. इतना ही नहीं नगर निगम सुपरमार्केट, पार्किंग प्लेस, चिल्ड्रन पार्क समेत परियोजनाओं पर काम करना चाहता है लेकिन जमीन की कमी सामने आ रही है.

क्या कहते हैं महापौर

इन सभी मामलों को गंभीरता से लिया गया है. पहले क्या हुआ उसके बारे में जानकारी नहीं है, लेकिन नगर निगम की कितनी संपत्ति है उन सब की खोज हो रही है. किसी ने अवैध रूप से कब्जा किया है तो उसे खाली करना पड़ेगा. लीज टूट चुका है, ट्रस्ट कार्यरत नहीं है तो जमीन छोड़ना पड़ेगा.लक्ष्मी नारायण गुप्ता, महापौर, नगर निगम

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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