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saran news : बारिश नहीं होने से खेतों में फटी दरार, किसानों के लिए धान का बिचड़ा बचाना चुनौती

saran news : अबतक महज पांच फीसदी ही हुई है धान की रोपनी, किसान मायूस, धान के बीचड़े व मक्के के पौधे हो रहे पीले, पटवन के संकट झेल रहे किसान

बनियापुर. मॉनसून के यूटर्न लेने के बाद मौसम के तल्ख तेवर को देख किसान एक बार फिर अपने को बेबस और लाचार महसूस कर रहे हैं.

विगत एक सप्ताह से चिलचिलाती धूप एवं उमस भरी गर्मी को देख किसानों का सब्र अब जवाब देने लगा है. काफी हिम्मत जुटाकर खर्च की परवाह किये बगैर किसानों ने और कड़ी मेहनत के बल पर पंपिंग सेट चलाकर जैसे-तैसे धान का बिचड़ा डाला था. मगर अब मौसम प्रतिकूल होने की वजह से खेतों में दरारें पड़ने लगी हैं, जो किसानों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है. जुलाई माह में एक सप्ताह बीत चुका है. मगर अबतक औसत से काफी कम बारिश हुई है. ऐसे में खेतों से नमी तेजी से गायब हो रही है. इससे किसानों के माथे पर चिंता की लकीर खिंच गयी है. अवध कुमार, संतोष राय, मनोरंजन कुमार, सुदामा ओझा, महेश राम सहित दर्जनों किसानों का कहना है की अबतक बिचड़ा तैयार नहीं हुआ है, जबकि मक्के की बुआई एक पखवारे पूर्व की गयी है. मगर बारिश के अभाव में पौधे पीले पड़ने लगे हैं.

पौधों में नहीं हो रही है वृद्धि

मौसम अनुकूल होने की उम्मीद पर एक पखवारे पूर्व किसानों ने पंपिंग सेट चलाकर धान का बिचड़ा डाला था. उम्मीद थी कि दो-चार दिनों के अंतराल पर हल्की-फुल्की बारिश होती रहेगी, जिससे का बिचड़ा जल्द ही तैयार हो जायेगा. मगर मॉनसून के यूटर्न लेने से सारी उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आ रहा है. आसमानी पानी नहीं होने से बिचड़ों में आशा के अनुरूप वृद्धि नहीं हो रही है. जबकि, ज्यादातर पौधे पीले पड़ने लगे हैं. पानी के अभाव में खेतों में दरारें फट गयी हैं, जिससे पौधों का विकास अवरुद्ध हो गया है. खेतों में पानी नहीं रहने से खर-पतवार में भी तेजी से वृद्धि होने लगा है. इससे किसानों की मुश्किलें और बढ़ गयी हैं. बारिश के अभाव में अबतक महज पांच प्रतिशत किसानों ने ही धान की रोपनी की है. जबकि, मौसम के बिगड़े मिजाज को देखते हुए 20 प्रतिशत से अधिक किसान मक्के की रोपाई नहीं कर सके हैं.

चिंता में डूबे किसान, कैसे होगी धान व मक्के की बोआई

मौसम को देखते हुए किसानों ने अपना दुखड़ा सुनाते हुए कहा कि इस बार के हालात को देख ऐसा लग रहा है कि खरीफ मौसम की खेती सुखाड़ की भेंट चढ़ जायेगी. धान और मक्के की बोआई का उपयुक्त समय निकला जा रहा है. आषाढ़ महीना करीब-करीब सूखे में गुजर गया, जिससे धान और मक्के की रोपनी बुरी तरह से प्रभावित हुई है. मौसम की स्थिति को देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा है कि देर से की गयी धान और मक्के की बुआई से किसानों को पूरा लाभ नहीं मिल सकेगा. ऐसे में इस बार की खेती-किसानी चौपट होती नजर आ रही है.

पंपिंग सेट से पटवन करने में बढ़ रही लागत

कुछ साधन-संपन्न किसानों को छोड़ दें, तो लघु एवं सीमांत और बटाई पर खेती करने वाले किसानों को पंपिंग सेट चला कर धान के बिचड़े और पौधों की सिंचाई करने में आर्थिक रूप से मुश्किलों का सामना करना पर रहा है. दो सौ रुपये प्रति घंटे की दर से पंपिंग सेट चलाकर खेत में पानी कर रहे हैं. ऐसे में आसमानी पानी नहीं होने से 05-07 दिनों के अंतराल पर पौधों की सिंचाई करनी पड़ रही है, जिससे किसानों को अतिरिक्त राशि का वहन करना पड़ रहा है. वहीं सिंचाई विभाग द्वारा कई जगहों पर किसानों को राहत पहुंचाने के उद्देश्य से नहरों की सफाई तो की गयी, मगर समय पर पानी नहीं आने से किसानों को नहर के पानी का लाभ नहीं मिल रहा है. कन्हौली संग्राम स्थित नहर में अब तक पानी नहीं आने से किसानों की उम्मीदों पर पानी फिर गया. वहीं प्रखंड अंतर्गत एक दर्जन से अधिक राजकीय नलकूप हैं. मगर ज्यादातर नलकूप बेकार पड़े हैं.

विभागीय स्तर पर अबतक किसानों को नहीं मिला लाभ

किसानों का कहना है कि सूखे जैसे हालात उत्पन्न होने के बाद भी अबतक विभागीय स्तर पर किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए कोई कारगर कदम नहीं उठाया गया, जिससे किसान अपने को ठगा महसूस कर रहे हैं. कई किसानों ने बताया कि पूर्व में इस तरह के हालात उत्पन्न होने पर सरकार द्वारा पटवन के लिए डीजल अनुदान का लाभ किसानों को मुहैया कराया जाता था, जिससे पटवन करने में थोड़ी सहूलियत होती थी. मगर अबतक किसानों के हितों को ध्यान में रखकर सरकार द्वारा कोई घोषणा नहीं की गयी है, जिससे किसान परेशान दिख रहे हैं.

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