छपरा : महात्मा गांधी स्वदेश सेवा का व्रत लेकर जब देश भ्रमण के लिए निकले, तो उन्होंने सोनपुर व हाजीपुर में ऐतिहासिक भाषण भी दिया था. जिसे सुनने के लिए आजादी के दीवानों की भीड़ उमड़ पड़ी थी. जिसमें महिला व पुरुष दोनों शामिल थे. वर्ष 1925 के 16 अक्तूबर को सोनपुर में पहली बार महात्मा गांधी पधारे थे और अंगरेजों के दमन की बात लोगों से सुनी थी.
वर्ष 1921 के नवंबर महीने में प्रिंस ऑफ वेल्स का भारत दौरा शुरू हुआ था. उस वक्त वह पहलेजा घाट के सोनपुर आ रहा था तो रास्ते में कई स्थानों पर क्रांतिकारियों ने प्रिंस को काले झंडे दिखलाये थे. इस कार्य से तत्कालीन अंगरेज एसपी पार्किन को काफी आक्रोश हुआ और वह सोनपुर स्थित गांधी स्वराज आश्रम में आकर यहां रखा रामायण, गीता, महाभारत निकाल कर आश्रम के सामने सड़क पर फेंक कर उसमें आग लगा दी.
आश्रम के कर्मचारी धनुषधारी प्रसाद को जूतों से रौंद दिया. नथुनी सिंह को भी बेरहमी के साथ मारा-पीटा गया. इस बात की खबर महात्मा गांधी को मालूम हुआ. वे काफी विरोध प्रकट किये. उन्होंने लार्ड रीडिंग को अल्टीमेटम भी दिया और यंग इंडिया तथा नवजीवन में कड़े लेख भी लिखे. सोनपुर गांधी स्वराज आश्रम में जलाये गये रामायण, गीता, महाभारत आदि महत्वपूर्ण पुस्तकों के जलाने की खबर प्रमुखता से छपी थी. लेख में अंग्रेज सरकार द्वारा किये जाने वाले धार्मिक हस्तक्षेप की भर्त्सना भी की गयी थी. महावीर (पटना) तथा हिंदू पंच (कलकत्ता) में भी इस घटना की खबरें छपी और महात्मा गांधी को खबर पढ़ने का अवसर मिला.
इस घटना से महात्मा गांधी काफी मर्माहत हुए थे. वर्ष 1927 के 16 जनवरी को महात्मा गांधी अपनी धर्म पत्नी कस्तुरबा गांधी बा के साथ सोनपुर आये थे. उस वक्त वे गांधी स्वराज आश्रम में भी रुके थे. यहां उन्हें भव्य स्वागत किया गया था. औरत-मर्द मिलकर गांधी जी और बा को देश की आजादी की लड़ाई में सहयोग स्वरूप 1001 रुपये की थैली भेंट की थी. महात्मा गांधी के नाम पर सोनपुर में गांधी आश्रम स्थित है. इसके प्रांगण में भी बापू चरण पड़ा था. बापू सोनपुर के चिड़िया मठ में अपनी धर्मपत्नी बा के साथ रूके थे. इस दौरान हजारों की संख्या में पुरुष, स्त्री और बच्चे जगह-जगह कतारों में खड़े रहते, हार-फूल भेंट करते ओर उनकी यात्रा की सफलता के नारे लगाते थे. चिड़िया मठ में जब बापू का भाषण होता था तो हर घर की महिलाएं घूघंट में आकर उनका भाषण सुना करती थी. इनके साथ घर के बच्चे और बच्चियां भी आ जाती थी. आसपास के गांव की महिलाएं भी चिड़िया मठ आकर बापू और बा को प्रमाण करती थी तथा भाषण सुनती थी. इनके भाषण से सोनपुर की महिलाओं तथा पुरूषों में देश भक्ति की भावना इतनी बढ़ी कि बिना मांगे गांधी और बा को उपचार में लोगों ने आभूषण देने की सिलसिला कायम कर दी. सोने-चांदी के आभूषण, नकद राशि उन्हें इतना मिला कि वे सोनपुर के प्रति काफी अपनत्व बना लिये. वर्तमान सोनपुर अनुमंडल का ऐतिहासिक गांव मलखाचक जहां के रामविनोद बाबू गिने चुने देश भक्तों में एक थे.

