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फाइलों में सिमट कर रह गयी है योजना

कुव्यवस्था. नहीं है कूड़ा-कचरा डंपिंग प्वाइंट, कैसे बने स्वच्छ शहर छपरा (सारण) : शहर को सुंदर व स्वच्छ बनाने के लिए कूड़ा-कचरा प्रबंधन की योजना फाइलों में सिमट कर रह गयी है. अंगरेजी शासन काल में स्थापित इस नगर पर्षद की सबसे बड़ी समस्या कूड़ा-कचरा डंपिंग की है. यहां आज तक कूड़ा-कचरा डंपिंग सेंटर का […]

कुव्यवस्था. नहीं है कूड़ा-कचरा डंपिंग प्वाइंट, कैसे बने स्वच्छ शहर

छपरा (सारण) : शहर को सुंदर व स्वच्छ बनाने के लिए कूड़ा-कचरा प्रबंधन की योजना फाइलों में सिमट कर रह गयी है. अंगरेजी शासन काल में स्थापित इस नगर पर्षद की सबसे बड़ी समस्या कूड़ा-कचरा डंपिंग की है. यहां आज तक कूड़ा-कचरा डंपिंग सेंटर का प्रबंध नहीं हो सका है. मुहल्ले तथा शहर की सड़कों की सफाई के बाद कूड़ा-कचरा एकत्र कर चौक-चौराहों पर रख दिया जाता है. वही कचरा पुन: सड़क पर फैल जाता है.
पुन: उसे ही एकत्र किया जाता है. इस प्रक्रिया में चौक-चौराहों पर कूड़े-कचरे का ढेर लग जाता है. सप्ताह में एक-दो बार चौक-चौराहों से कूड़े- कचरे को उठाया जाता है, जिसे बस स्टैंड के पास जिला स्कूल तथा जेपीएम कॉलेज की खाली भूमि पर फेंका जाता है. विगत कई दशक से कूड़ा-कचरा फेंके जाने से बस स्टैंड का इलाका कूड़े के अंबार से घिर गया है और बस स्टैंड नरक में तब्दील हो गया है. यही हाल सदर अस्पताल के पुराने पोस्टमार्टम के पास जेल की खाली भूमि की है.
उसी के पूरब जिला पर्षद की भी खाली भूमि पर कूड़ा फेंके जाने से स्थिति भयावह बनी हुई है. इसी के बगल में अांबेडकर छात्रावास है, जिसमें रहनेवाले छात्र परेशान हैं.जब कूड़ा-कचरा डंप ही नहीं होता है, तो कैसे स्वच्छ रहेगा शहर. यह यक्ष प्रश्न बना हुआ है.
लोग कूड़ेदान में नहीं डालते हैं कूड़ा : नगर पर्षद प्रशासन द्वारा शहर के प्रत्येक चौक-चौराहों पर कूड़ेदान रखे गये हैं. बावजूद इसके लोग सड़क पर ही कूड़ा-कचरा फेंकते हैं. वहीं सड़क किनारे रखे गये कूड़ेदान अतिक्रमण का कारण बन रहे हैं. अधिकतर स्थानों पर रखे गये कूड़ेदान के कारण सड़कों पर आवागमन बाधित होता है और जाम की समस्या उत्पन्न हो रही है. वहीं कई कूड़ेदान वाहनों के धक्के से क्षतिग्रस्त हो गये हैं, जिन्हें नगर पर्षद प्रशासन के द्वारा ठीक भी नहीं कराया जा रहा है.
रात में होती है सफाई, दिन भर लगा रहता है कचरा : शहर को स्वच्छ बनाने के लिए प्रतिदिन रात में ही सड़कों की सफाई की जाती है. सफाई के नाम पर केवल मुख्य सड़क पर ही झाड़ू लगायी जाती है, लेकिन कूड़ा-कचरा दिन में उठाया जाता है. रात में झाड़ू लगाने के बाद कूड़े- कचरे को एकत्र भी नहीं किया जाता है. इस वजह से एक तरफ सफाई होती है और दूसरी तरफ वाहन उसे उड़ा कर फिर सड़क पर ला देते हैं.
नगर पर्षद की आज तक कूड़ा-कचरा डंपिंग सेंटर का प्रबंध नहीं का पाया है, जिसके कारण चौक-चौराहों पर कूड़े-कचरे का ढेर लगा रहता है. शहर को सुंदर व स्वच्छ बनाने हेतु कूड़ा कचरा प्रबंधन की योजना फाइलों में सिमट कर रह गयी है.
क्या है योजना
10 एकड़ भूमि पर कचरा डंपिंग सेंटर बनाना है
करीब चार करोड़ की लगात आने का है अनुमान
कचरा डंपिंग के लिए शहर से बाहर भूमि क्रय पर डेढ़ करोड़ खर्च का अनुमान है
कचरा डंपिंग सेंटर पर लगेगा रिसाइकिलिंग यंत्र
कूड़ा-कचरा से जैविक खाद तैयार की जायेगी
तैयार जैविक खाद किसानों को बेची जायेगी
कूड़े-कचरे से निकाले गये प्लास्टिक, लोहे के टुकड़ों आदि को कबाड़ में बेचा जायेगा
कचरे से सभी तरह की वस्तुओं को अलग-अलग दुबारा प्रयोग करने लायक सामान को बेचा जायेगा

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