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शहर में बढ़ा बंदरों का आतंक

त्रस्त हैं शहर के नागरिक छपरा(सारण) : प्रमंडलीय मुख्यालय छपरा शहरी तथा आसपास के ग्रामीण इलाकों के नागरिक इन दिनों बंदरों के आतंक से काफी त्रस्त हैं. भीषण गरमी के कारण चंवरों में खाने-पीने की चीजें नहीं मिलने के कारण बंदरों ने आबादी वाले इलाकों की ओर रूख कर दिया है. आबादी वाले इलाकों में […]

त्रस्त हैं शहर के नागरिक
छपरा(सारण) : प्रमंडलीय मुख्यालय छपरा शहरी तथा आसपास के ग्रामीण इलाकों के नागरिक इन दिनों बंदरों के आतंक से काफी त्रस्त हैं. भीषण गरमी के कारण चंवरों में खाने-पीने की चीजें नहीं मिलने के कारण बंदरों ने आबादी वाले इलाकों की ओर रूख कर दिया है. आबादी वाले इलाकों में आकर जमे बंदरों का आतंक इस कदर बढ़ गया है कि स्कूल आने-जानेवाले बच्चों ने स्कूल आना-जाना छोड़ दिया है. छात्राओं, युवतियों तथा महिलाओं को बंदरों द्वारा तंग करने से स्थिति काफी भयावह हो चुकी है.
इन मुहल्लों में है बंदरों का आतंक
शहरी क्षेत्र के मौना मुहल्ला, हुस्से छपरा, मिश्र टोली, गांधी चौक, नेहरू चौक और ग्रामीण क्षेत्र के मौना पंचायत, कुलदीप नगर, मौना धानुक टोली, मौना कोड़ार के लोग बंदरों के आतंक से त्रस्त हैं. भय के कारण महिलाएं घरों के कमरे का दरवाजा बंद कर रहने को विवश हैं. पुरुष सदस्यों के नहीं रहने पर महिलाओं पर बंदरों द्वारा कुछ ज्यादा ही हमला किया जा रहा है. भय के कारण घर बंद कर रहने को लोग विवश हैं.
चंवरों में नहीं मिल रहा है भोजन व पानी : चंवरों में पीने की पानी नहीं मिलने और पेड़ों की घटती संख्या के कारण खाने के लिए कंद-मूल, फल, सब्जी आदि वस्तुएं नहीं मिलने तथा खेतों में इस समय कोई वैसी फसल नहीं रहने, जिससे बंदर अपनी भूख मिटा सकें, के कारण वे घनी आबादी वाले इलाके में आ धमके हैं.
खास कर बंदरों का आतंक घरों के किचेन से लेकर उस कमरे तक है जहां खाने-पीने की वस्तुएं रखी जाती हैं. घरों की छतों पर वैसे समय में बंदरों का हुजूम जमा रहता है, जब गृहिणियों के खाना पकाने का समय होता है. खाने का सामान नहीं मिलने पर बंदरों द्वारा महिलाओं को काट कर उन्हें घायल भी कर दिया जा रहा है.
महिलाओं-युवतियों को करते हैं तंग : हर रोज दो-चार महिलाएं इसकी शिकार हो रही हैं. स्कूल जानेवाली छात्राओं तथा बाजार से खाने-पीने का सामान खरीद कर घर आने-जाने वाली महिलाओं तथा युवतियों से रास्ते में सामान छीन लिया जाता है. स्कूली बच्चियों का लंच बॉक्स बंदरों द्वारा लूटना आम बात है. इसको लेकर मुहल्ले के नागरिक डीएम, एसपी तथा वन विभाग के अधिकारियों से कई बार शिकायत कर चुके हैं. बावजूद इसके स्थिति जस-की-तस बनी हुई है. इन मुहल्लों के नागरिक भय व आतंक के माहौल में जी रहे हैं.

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