Samastipur news:खानपुर : भक्त और भगवान का रिश्ता हमेशा से अद्भुत और प्रेरणादायक रहा है. जब भक्त की भक्ति अपनी पराकाष्ठा पर पहुंचती है, तो भगवान उसकी हर इच्छा पूरी करने को तत्पर रहते हैं. यह बातें अयोध्या हनुमान गढ़ी से आये सुप्रसिद्ध संत कथा वाचक जगतगुरु स्वामी राघवाचार्य जी महाराज ने कही. प्रखंड के बसंतपुर गांव में आयोजित श्री श्री 1008 रामचरितमानस महायज्ञ में हो रहे श्रीराम कथा में श्रद्धालु पहुंचे. जगतगुरू स्वामी राघवाचार्य महाराज ने रामकथा में देवर्षि नारद की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि नारद का आशीर्वाद जिसे मिल जाता है. उसे भगवान जरूर मिलते हैं. उन्होंने कहा कि रामायण, वेद और अन्य धार्मिक ग्रंथ हमारे जीवन के मार्गदर्शक हैं. स्वामीजी ने दान की परंपरा पर प्रकाश देते हुए कहा कि कथा आयोजक सबसे बड़े दानी होते हैं, ऐसे आयोजनों से हजारों नहीं, बल्कि लाखों लोग लाभान्वित होते हैं. यह परंपरा भारतीय संस्कृति की महान धरोहर है. कथा में उन्होंने श्रीराम और माता सीता के यशस्वी पुत्र लव और कुश के बारे में बताते हुए कहा कि उन्होंने श्रीराम को सीता का चरित्र पद्य शैली में सुनायी थी. यह कथा इतिहास में अमर हो गई. जगत जननी माता सीता का चरित्र आदर्श, अनुकरणीय और प्रशंसनीय है.
हजारों की संख्या में श्रद्धालु बसंतपुर गांव में पहुंच रहे
मुख्य यजमान शिवशंकर झा ने बताया कि रामकथा प्रवचन सुनने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु बसंतपुर गांव में पहुंच रहे हैं. रामकथा में मुख्य अतिथि के रूप में गुजरात से आये महामंडलेश्वर अखिलेश्वर दास महाराज शामिल हुए. उन्होंने मिथिला का जिक्र करते हुए कहा कि अगर जगत जननी माता सीता नहीं होती तो श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम नहीं बन पाते. स्वागत महायज्ञ के यज्ञाचार्य स्वामी भरत दास महाराज, मुख्य यजमान श्री झा एवं ललित कुमार झा ने माला एवं चादर देकर सम्मानित किया. कार्यक्रम में रूबी झा, प्रियांश झा, निशा झा, रामशंकर झा, बैजू झा, शत्रुघ्न झा, मोहित झा, झाड़ू दास, सचिन झा, शशिकांत झा चुनचुन, मुक्ति नारायण झा, राघवेंद्र झा, दीनबंधु झा, गोपाल झा आदि उपस्थित रहे.
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