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अपार्टमेंट वाले अब ले सकेंगे बिजली का ज्वाइंट कनेक्शन

दो किलोवाट से ज्यादा लोड पर शहर के हिसाब से लिया जाता था बिल समस्तीपुर : अपार्टमेंट, सरकारी कॉलोनियों और को-ऑपरेटिव सोसाइटी में रहने वाले लोग संयुक्त रूप से बिजली कनेक्शन ले सकेंगे. बिहार राज्य विद्युत विनियामक आयोग ने ऐसे उपभोक्ताओं का नाम बिजली कंपनी की भाषा में डीएस-3 श्रेणी रखा है. संयुक्त रूप से […]

दो किलोवाट से ज्यादा लोड पर शहर के हिसाब से लिया जाता था बिल

समस्तीपुर : अपार्टमेंट, सरकारी कॉलोनियों और को-ऑपरेटिव सोसाइटी में रहने वाले लोग संयुक्त रूप से बिजली कनेक्शन ले सकेंगे. बिहार राज्य विद्युत विनियामक आयोग ने ऐसे उपभोक्ताओं का नाम बिजली कंपनी की भाषा में डीएस-3 श्रेणी रखा है. संयुक्त रूप से बिजली कनेक्शन लेने के बाद अपने-अपने घरों व फ्लैटों में सब मीटर लगाकर बिजली का बंटवारा कर सकते हैं.
इसके साथ ही ग्रामीण बिजली उपभोक्ता वहां की दर पर ही घरों में एसी, फ्रीज, कूलर आदि चलाने के लिए लोड बढा सकेंगे. आयोग ने ग्रामीण बिजली उपभोक्ताओं के लिए दो किलोवाट लोड की सीमा समाप्त कर दी है. डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों के टैरिफ प्रस्ताव पर फैसला सुनाने के दौरान आयोग ने ग्रामीण इलाकों के उपभोक्ताओं को राहत देते हुए यह आदेश दिया था.
अभी ग्रामीण इलाकों में दो किलोवाट से अधिक लोड लेने पर बिजली कंपनी शहरी उपभोक्ताओं को लगने वाली दर के हिसाब से फिक्स चार्ज और खपत की जाने वाली बिजली का चार्ज वसूलती थी. लेकिन अब ग्रामीण इलाकों में रहने वाले उपभोक्ता अपने घरों में एसी, फ्रीज, कूलर चलाने के लिए 2 किलोवाट से अधिक लोड लेते हैं, तो उन्हें ग्रामीण दर पर ही बिजली कंपनी बिल देगी.
यानी इसका सीधा फायदा ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को मिलेगा. इसी तरह ग्रामीण इलाकों में कुटीर उद्योग चलाने वाले एनडीएस-1 कटेगरी के उपभोक्ताओं को एक अप्रैल से राहत मिली है. इनकी भी 2 किलोवाट की सीमा को समाप्त कर दिया गया है. 2 किलोवाट से ज्यादा लोड होने पर बिजली कंपनी शहरी इलाकों में लगने वाले एनडीएस-2 के दर पर बिजली बिल देती थी, लेकिन एक अप्रैल से ग्रामीण दर पर ही बिजली बिल देगी. इधर बैट्री से चलने वाली गाड़ियों को चार्ज करने के लिए अलग से व्यावसायिक बिजली कनेक्शन नहीं लेना है. जिन लोगों के घरों, कार्यालयों में जिस श्रेणी का बिजली कनेक्शन है उसी से इलेक्ट्रिक चालित गाड़ियों को चार्ज कर सकेंगे.
मेंटेनेंस के बाद भी गुल हो रही बिजली: जिले के लोगों को गर्मी में बिजली संकट का सामना करना पड़ सकता है. इसकी वजह बिजली की कमी नहीं, बल्कि सही तरीके से मेंटेनेंस का काम नहीं हो पाना है. न्यू मेंटेनेंस पॉलिसी के तहत बड़ी एजेंसी को यह काम सौंपा जाना था. एजेंसी को 11 केवी फीडर, एलटी लाइन व डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफॉर्मर के मेंटेनेंस की जिम्मेदारी देनी थी. साथ ही इंजीनियरों को एजेंसी के कार्य की मॉनिटरिंग करनी थी.
लेकिन, इसके लिए कोई एजेंसी ही नहीं मिली. लिहाजा, अनट्रेंड कर्मियों से ही मेंटेनेंस का काम कराया जाएगा. इसके बावजूद कंपनी ने अपनी पॉलिसी के अनुसार गर्मी के दिनों में 24 घंटे क्वालिटी बिजली शहर के उपभोक्ताओं को देने का निर्देश जारी कर रखा है. बताते चलें कि शुक्र वार की शाम जितवारपुर पीएसएस से जुड़े 33 केवी में फाल्ट आने के कारण करीब दो घंटे बिजली गुल रही. विगत दिनों हुए मेंटेनेंस के बाद यह हाल है.
बिजली कंपनी के स्थायी लाइन इंस्पेक्टर, लाइनमैन और खलासी के सेवानिवृत्त होने के बाद से अधिकांश पद खाली हैं. इन पदों पर बहाली नहीं होने के कारण बिजली मेंटेनेंस का कार्य छोटी एजेंसियों के कर्मियों से कराया जा रहा है. वर्तमान समय में डिविजनवार छोटी एजेंसी कार्य कर रही है. इन एजेंसियों के पास ट्रेंड कर्मियों का अभाव है. बगैर आईटीआई पास अनट्रेंड कर्मियों की संख्या ज्यादा होने के कारण ब्रेकडाउन मेंटेनेंस करने में परेशानी होती है. पिछले दिनों सेवा नियमित करने की मांग को लेकर एजेंसी के कर्मियों के हड़ताल पर चले जाने के बाद उनपर कार्य करने के लिए दबाव बनाया गया था.

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