नगर निगम के दो पूर्व पदाधिकारियों की जांच ईडी व निगरानी से कराने की मांग प्रेसवार्ता कर दी विस्तृत जानकारी सहरसा . आरटीआई कार्यकर्ता अनिल कुमार सिंह ने रविवार को गंगजला चौक स्थित एक होटल के सभागार में रविवार को नगर निगम के पूर्व आयुक्त के भ्रष्टाचार को लेकर मीडिया प्रतिनिधियों को विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की एजेंसी ईडी एवं बिहार सरकार की एजेंसी निगरानी ने सहरसा नगर निगम में करोड़ों रुपये का लूट कर बंदरबाट करने का मामला प्रकाश में लाया है. निगम के दोनों पदाधिकारियों ने अपने अल्प कार्यकाल में सहरसा नगर निगम को नरक निगम बना दिया. जिसकी दुर्गंध अब सहरसा से दिल्ली के एजेंसी ईडी को भी मिलने लगी है. साफ-सफाई एजेंसी के चयन से लेकर भुगतान करने में दोनों पदाधिकारियों ने सभी सीमा को लांघकर करोड़ों का गबन किया. साफ-सफाई के नाम पर 36 करोड़ रुपये का एजेंसी से एकरारनामा कर 50-50 प्रतिशत कर बंदरबाट किया है. भ्रष्टाचार मुक्त कोशी जागरूकता अभियान के संयोजक अनिल कुमार सिंह ने बताया कि दो निविदाकारों को प्रतिमाह कचरा उठाने के लिए 36 करोड़ की राशि तय की. जबकि पिछली एजेंसी को इसी काम के लिए लगभग 94 लाख प्रतिमाह भुगतान नगर निगम द्वारा तय किया गया. लेकिन नगर आयुक्त मुमक्षु चौधरी ने दो दिसंबर 2024 को एल वन सफल निविदाकार की जगह अन्य एजेंसी अर्बन इनरानमेंटल सोल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड पटना व एमआफ पीपल के साथ एकरारनामा कर दिया. उन्होंने कहा कि पूर्व नगर आयुक्त मुमक्षु चौधरी सहरसा नगर निगम के पद पर 29 जनवरी से 20 दिसंबर 2024 तक मात्र 11 माह रहे. श्री चौधरी का स्थानांतरण वित्त विभाग बिहार सरकार के संयुक्त सचिव के पद पर किया गया. उप नगर आयुक्त अनुभूति श्रीवास्तव प्रभारी नगर आयुक्त के पद पर 20 दिसंबर को योगदान देकर चार मार्च 2025 तक सहरसा में रहे. स्थानांतरण के बाद कार्यपालक पदाधिकारी सीवान के पद पर योगदान के लिए विरमित हो गये. श्रीवास्तव ने मात्र 73 दिनों में सहरसा नगर निगम का करोड़ों रुपये का लूट किया. करोड़ों रुपये का बिना आवश्यकता के अधिक कीमत पर सामान का क्रय किया. नगर निगम द्वारा 266 सफाईकर्मी का भुगतान लगभग 81 लाख की कटौती एजेंसी से नहीं की. साथ ही गाड़ी के भाड़े की कटौती भी एजेंसी से नहीं की गयी. लगभग 12 लाख प्रतिमाह की दर से 36 लाख के भाड़ा की कटौती नहीं की गयी. तीन संप हाउस के डीजल के मद में लगभग 20 लाख प्रतिमाह की दर से 60 लाख की भी कटौती नगर निगम द्वारा नहीं की गयी. उन्होंने दोनों भ्रष्ट पदाधिकारी को सेवा से बर्खास्त करते दोनों के कार्यकाल की जांच केंद्रीय एजेंसी ईडी व बिहार सरकार की एजेंसी निगरानी अनवेषण ब्यूरो से कराने की मांग की है.
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