रेल विभाग की उपेक्षा का शिकार, ड्रेनेज नहीं, सेफ्टी टैंक से मल आ रहा बाहर बीच प्लेटफार्म से गुजरते यात्री रेलवे को रहे कोस 30 दिन पहले टॉयलेट और शौचालय की गंदगी निकासी के लिए प्लेटफॉर्म 3 पर ही बना दिया सेफ्टी टैंक सेफ्टी टैंक भरने से प्लेटफॉर्म नंबर तीन पर गंदगी हो रही ओवरफ्लो यात्रियों की शिकायत पर संबंधित विभाग को रेलवे कई बार भेज चुकी है नोटिस नीरज कुमार वर्मा, सहरसा एक तरफ अमृत भारत नये भवन से सहरसा जंक्शन आधुनिकता में प्रवेश कर रही है तो दूसरी ओर विभागीय कमियां और लापरवाही की वजह से जंक्शन की दुर्दशा भी बयां हो रही है. रोजाना आते-जाते हजारों यात्री अमृतसर स्टेशन के नये चमचमाते भवन को देखकर खुश हो रहे हैं तो दूसरी और जंक्शन की दुर्दशा को देखकर रेलवे को कोस भी रहे हैं. दरअसल सहरसा जंक्शन की वर्तमान स्थिति यह है कि मुख्य प्लेटफार्म पर ड्रेनेज सिस्टम नहीं होने से टॉयलेट और शौचालय की गंदगी प्लेटफार्म पर ओवरफ्लो हो रही है. स्थिति तब खराब बन जाती है जब यहां से यात्री गुजरते हैं या प्लेटफार्म पर ट्रेन का इंतजार करते हैं. तब ऐसी गंदगी और दुर्गंध के बीच बैठना पड़ता है. गंदगी और दुर्गंध के बीच प्लेटफार्म पर यात्री रेलवे को भला बुरा कहने से भी नहीं चूकते. हैरानी की बात यह है कि रेलवे के संबंधित विभाग को इसके बारे में सब मालूम है. फिर भी विभाग कार्रवाई करने में देरी कर रही है. जबकि इस संदर्भ में यात्रियों की शिकायत पर संबंधित विभाग को सिस्टम दुरुस्त करने के लिए रेलवे नोटिस भी भेजा जा चुका है. फिर भी विभाग की लापरवाही हद पार कर रही है क्या है पूरा मामला दरअसल पूरा मामला यह है कि प्लेटफॉर्म 2 और 3 के बीच लेडीज एंड जेंट्स वेटिंग रूम है. इसके अलावा स्टेशन अधीक्षक कार्यालय, आउटडोर, सीआईटी कार्यालय सहित विभिन्न कार्यालय हैं. प्रतीक्षालय के शौचालय और टॉयलेट की गंदगी निकासी के लिए विभाग के पास कोई पर्याप्त इंतजाम नहीं है. रेल सूत्र के मुताबिक इसलिए प्लेटफार्म नंबर तीन पर ही वेटिंग रूम के सटे रेल विभाग में एक छोटा सा अस्थायी रूप से 30 दिन पहले सेफ्टी टैंक बना दिया गया. अब पिछले 10 दिनों से गंदगी निकासी नहीं होने से सेफ्टी टैंक से गंदगी ओवरफ्लो हो रही है. सेफ्टी टैंक से निकला हुआ मल और गंदगी से निकलती दुर्गंध यात्रियों में बीमारियों का भी निमंत्रण दे रही है. हालांकि आते जाते संबंधित विभाग की नजर इस पर जाती है, लेकिन विभाग भी इन मामलों में बेखबर बना है. यहां बता दें कि इन सिस्टम को दुरुस्त करने की जिम्मेदारी ओआईडब्लू के पास है नहीं है ड्रेनेज सिस्टम दरअसल विभाग ने सेफ्टी टैंक तो बना दिया, लेकिन पानी निकासी के लिए ड्रेनेज सिस्टम दुरुस्त नहीं किया. जिस वजह से शौचालय और टॉयलेट की गंदगी बाहर निकल रही है. हालांकि प्लेटफॉर्म काफी ऊंचाई पर है. आते जाते यात्री गंदगी से तो बच जाते हैं, लेकिन दुर्गंध से नहीं बच पाते. खास बात यह है कि जहां गंदगी ओवरफ्लो हो रही है, पास में ही खान-पान की कई स्टाॅल हैं. यहां बता दें कि सहरसा जंक्शन से रोजाना 20 हजार से अधिक यात्रियों की आवाजाही होती है. कई बार भेजा जा चुका है नोटिस सहरसा जंक्शन की साफ सफाई की व्यवस्था काफी बेहतर है. लेकिन विभाग की छोटी लापरवाही से इसका खामियाजा यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है. गंदगी और दुर्गंध से यात्री आसपास बैठना भी मुनासिब नहीं समझते. हालांकि इस संदर्भ में कई बार संबंधित विभाग को नोटिस भेजा जा चुका है. लेकिन संबंधित विभाग इसे दुरुस्त करने के बजाय तारीख पर तारीख दे रही है. प्लेटफॉर्म 2 और 3 से होती है लंबी दूरी की ट्रेन रवाना दिल्ली, अमृतसर, सियालदह, मुंबई जाने के लिए अधिकांश ट्रेन प्लेटफॉर्म नंबर और दो और तीन से रवाना होती है. इसलिए अधिकांश यात्री दो और तीन प्लेटफॉर्म पर ही पहुंचते हैं. लेकिन प्लेटफॉर्म नंबर तीन पर गंदगी की समस्या होने से यात्री उस प्लेटफार्म पर जाने से कतराते हैं. खास बात यह है कि कुछ यात्री भी इस जगह को गंदगी समझ कर गंदगी फैलाते हैं. अबकी मानसून फिर रेलवे ट्रैक पर जमा होगा बारिश का पानी दरअसल एक साल गुजरने के बाद भी बंगाली बाजार रेलवे फाटक के पास ड्रेनेज सिस्टम व्यवस्था को दुरुस्त नहीं किया गया है. अगर मानसून आने से पहले ड्रेनेज सिस्टम व्यवस्था नहीं की गयी तो इस बार भी रेलवे ट्रैक बारिश में पूरी तरह से डूब जायेगी. रेल सूत्र के मुताबिक ट्रैक पर पानी जमा होने से रोकने के लिए पिछले वर्ष 2024 में कई सालों से गुम हुए नाला को काफी मशक्कत के बाद खोज निकाला था. लेकिन संबंधित विभाग ने आधी कार्रवाई कर छोड़ दी. ड्रेनेज सिस्टम को दुरुस्त किया गया. लेकिन इसे पक्कीकरण नहीं किया गया. नतीजा मिट्टी धंसने और आसपास होटल के द्वारा गंदगी इसी में फेंक दी जाती है. जिससे यह पूरी तरह से भरने लगा है. स्लैब नहीं होने से हो सकता है हादसा सहरसा जंक्शन बंगाली बाजार रेलवे फाटक शहर का सबसे व्यस्त फाटक है. पिछले साल ही नाला खोजने के दौरान रेलवे के संबंधित विभाग ने गड्ढा कर छोड़ दिया था. विभाग ने स्लैब भी नहीं डाला. अभी स्थिति यह है कि यहां से गुजरते यात्री और वाहन कभी भी यहां दुर्घटना का शिकार हो सकते हैं. रेल सूत्र के मुताबिक यह भी जिम्मेदारी आईओडब्लू के पास है.
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