सहरसा . ब्रज किशोर ज्योतिष संस्थान संस्थापक व प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित तरुण झा ने बताया कि मिथिला विश्वविद्यालय पंचांग के अनुसार हरितालिका तीज व्रत 26 अगस्त को है. डाली 12.48 दोपहर में तृतीया तिथि में भरा जाना चाहिए. इस दिन सुहागिन औरतें अपने पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं एवं भगवान शिव के साथ मां पार्वती की पूजा करती हैं पूजा के समय हरितालिका तीज की व्रत कथा भी अवश्य पढ़नी चाहिए. वहीं मिथिला का अति विशिष्ट पर्व भाद्र शुक्ल पक्ष चतुर्थी चंद्र पूजा के लिए 26 अगस्त मंगलवार को संध्या बेला में पूजा करना अति उत्तम माना जायेगा. उन्होंने कहा कि जैसे सूर्य देव की आराधना करने के लिए छठ पर्व मनाए जाते हैं. इसी तरह चंद्र देव की आराधना करने के लिए चौरचन का त्योहार मनाया जाता है. चौरचन में चन्द्रमा की पूजा संध्या काल में करना शुभ होगा. इस दिन सुबह से लेकर शाम तक व्रती व्रत रखती हैं. शाम में पीठार पीसकर अरिपण तैयार की जाती है. इस त्योहार पर मीठे पकवान, खीर, मिठाई एवं फल रखे जाते हैं. इस त्योहार में छांछी के दही का बहुत ज्यादा महत्व है. चतुर्थी में चंद्रमा की पूजा की जाती है. इसके बाद पकवानों से भरी डाली एवं छांछी वाले दही के बर्तन चंद्र देव को भोग लगाए जाते हैं. डाली को उठाकर ये मंत्र सिंह प्रसेन मवधीत्सिंहो जाम्बवताहत, सुकुमारक मा रोदीस्तव ह्येष स्यमन्तक पढ़ा जाता है. जबकि दही को उठा ये मंत्र दिव्यशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णवसंभवम, नमामि शशिनं भक्त्या शंभोर्मुकुट भूषणम पढ़ा जाता है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

