पारा @41 डिग्री सेल्सियस. स्कूल खुले रहने से बच्चों की बढ़ी परेशानी, घर से बाहर निकलना मुश्किल
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पछिया गरम हवा में झुलस रहे हैं नौनिहाल
पारा @41 डिग्री सेल्सियस. स्कूल खुले रहने से बच्चों की बढ़ी परेशानी, घर से बाहर निकलना मुश्किल पानी पीकर व चेहरा ढंक कर ही निकलें धूप में चेहरा ढंक कर लड़कियां कर रहीं बचाव गरम हवा की झोकों से बचाव के लिए हाइस्कूल स्तर की लड़कियां अपने चेहरे को स्कार्फ, ओढनी से ढक कर सड़क […]
पानी पीकर व चेहरा ढंक कर ही निकलें धूप में
चेहरा ढंक कर लड़कियां कर रहीं बचाव
गरम हवा की झोकों से बचाव के लिए हाइस्कूल स्तर की लड़कियां अपने चेहरे को स्कार्फ, ओढनी से ढक कर सड़क पर चलते देखी जा रही है. वहीं स्कूली छात्रों को कैप लगा कर निकलते देखा जा रहा है. वातावरण रहता है, उससे ठीक विपरीत वापस आते वक्त का मौसम रहता है. हवा की गरमी के कारण कपड़े सूखने में आधा से एक घंटा लगता है ऐसे में इन बच्चों का क्या हाल होता होगा यह सहज अंदाजा लगाया गया सकता है. इस तरह के मौसम को लेकर स्कूल प्रशासन एवं अभिभावक अपने बच्चों को पानी पीकर बाहर निकलने की नसीहत देते देखे जा रहे हैं.
दिन-ब-दिन बढ़ रही गरमी की वजह से लोगों का जीना मुहाल हो गया है. पछिया हवा के झोंके से स्कूल से आते बच्चे परेशान हो जाते हैं. लोग सुबह आठ बजे के बाद घर से बाहर निकलना नहीं चाहते. ऐसे में बिजली का बार-बार कट जाना भी लोगों को आक्रोशित कर रहा है.
सहरसा नगर : भीषण गरमी में तेज पछिया हवा नन्हे-मुन्ने स्कूली बच्चों को झुलसा रहे हैं. स्कूलों के छुट्टी के वक्त गरम हवा के थपेड़े उनके चेहरे एवं शरीर को कुम्हलाने को मजबूर कर रहे हैं. 11 से 1 बजे का वक्त ऐसा है कि जिसमें आम लोग भी आजकल घर अथवा दफ्तर से बाहर अनावश्यक निकलने से परहेज कर रहे हैं, वहीं ठीक इसी वक्त अधिकांश निजी एवं सरकारी स्कूलों की छुट्टी गर्म हवा के थपेड़े झेलने की मजबूरी है.
दोपहर के वक्त आजकल सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहता है. इक्का-दुक्का लोग ही सड़क पर नजर आते हैं. जो नजर आते हैं, उनके शरीर पूरी तरह कपड़ों से ढंका रहता है. हाथ में छाता जरूर रहता है. मुख्य सड़कों को छोड़ दे तो लूप लाइन के सड़कों पर इक्का-दुक्का वाहन ही दिखते हैं.
बच्चों की स्थिति बदतर : उफ ये गरमी, गरम हवा रुक जाओ, ओ माई गॉड आदि ऐसे अल्फाज आजकल बच्चों के मुंह से भीषण गरमी की वजह से छुट्टी के वक्त निकल रहे हैं. इसमें भी कम उम्र के नन्हे-मुन्ने स्कूली बच्चों की स्थिति बदतर देखी जा रही है. उनके कोमल शरीर को झुलसा देने वाली तेज पछिया हवा उन्हें कुम्हलाने पर मजबूर कर रहे हैं. किसी प्रकार अपने हाथ टाई से चेहरे को बचाने का असफल प्रयास करते आजकल भरी दोपहरी में सड़कों पर आसानी से देखे जा सकते हैं. साइकिल, रिक्शा, बाइक, चारपहिया वाहनों से पसीने से लथपथ घर पहुंचते इनके हाल बेहाल रहता है.
लू के थपेड़े से बचते इन बच्चों के माता-पिता भी अब अपने बच्चों को स्कूल भेजने पर विचार करते देखे जा रहे हैं,जबकि स्कूल से निकलते वक्त बच्चों को पानी पीकर चलने की सलाह स्कूल प्रशासन दे रहे हैं. वहीं घर पहुंचने पर उनके माताएं बच्चों को सबसे पहले मौसमी फल एवं तुरंत जूस नहीं निकालने की सलाह देने से नहीं चूकते हैं. वहीं दूसरी ओर स्कूल के मध्यांतर अथवा छुट्टी के वक्त बच्चों का झुकाव आइसक्रीम के स्टॉल पर देखा जा रहा है.
मौसमी फलों के सेवन पर जोर: स्कूली बच्चों को आइसक्रीम आदि से परहेज कराने के लिए माता-पिता मौसमी फलों के सेवन पर आजकल जोर देते देखे जा रहे हैं. जिन बच्चों को इन फलों को खाने में रुचि नहीं है, उनकी माता भी गरमी से बचाव का वास्ता दिला कर ककड़ी, खीरा, तरबूज, बेल आदि का सेवन बच्चों को करा रही हैं.
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