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भारती मंडन के डीह जतय आ पावन लहठा बथान रे…

भारती मंडन के डीह जतय आ पावन लहठा बथान रे… मैथिली संगीत से ही मिली लोकप्रियता : पवन नारायणप्रतिनिधि, सहरसा नगर हम्मर दिल पर अहां के नाम अहां के दिल पर हम्मर नाम, जखन अहींके चक्करमे फंसि गेलिए, नीक लागै नइ भैया शहर में आदि गीतों को स्वर देकर मिथिला वासी दर्शक एवं श्रोता की […]

भारती मंडन के डीह जतय आ पावन लहठा बथान रे… मैथिली संगीत से ही मिली लोकप्रियता : पवन नारायणप्रतिनिधि, सहरसा नगर हम्मर दिल पर अहां के नाम अहां के दिल पर हम्मर नाम, जखन अहींके चक्करमे फंसि गेलिए, नीक लागै नइ भैया शहर में आदि गीतों को स्वर देकर मिथिला वासी दर्शक एवं श्रोता की पसंद बने पार्श्व गायक पवन नारायण उग्रतारा सांस्कृतिक महोत्सव में शिरकत करने सहरसा पहुंचे. मूल रुप से मधुबनी जिले के भच्छी के रहने वाले पवन ने संगीत की शिक्षा मुम्बई में रह कर ली है. मैथिली फिल्म अहां छी हमरा लेल, दबंग विधायक, खुरलुच्ची, एक चुटकी सिन्दूर, चट मंगनी पट भेल बियाह, छौड़ा अगत्ती छौड़ी भगवती सहित एक दर्जन से अधिक फिल्मों में संगीत और पार्श्व गायन करने वाले पवन नारायण ने मैथिली मंच पर प्रस्तुति के क्रम में भारत और नेपाल सहित सउदी अरब तक की यात्रा की है. प्रभात खबर से बातचीत करते उन्होंने कहा कि मिथिला को सांस्कृतिक क्षरण से बचाना होगा. इसके लिए परम्परा को समझना जरुरी है. उन्होंने इसके लिए मीडिया की जिम्मेदारी भी बतायी. प्रभात खबर के हर संस्करण में साहित्य संस्कृति को स्थान मिलने पर उन्होंने अखबार की प्रशंसा की. अब तक एक हजार से अधिक मंचों पर अपनी प्रस्तुति दे चुके पवन तीन सौ से अधिक गाने रिकार्ड करा चुके हैं. स्थानीय गीतकार किसलय कृष्ण के गीतों को सर्वाधिक स्वर देने वाले पवन ने बताया कि सहरसा तो मिथिला की हृदय स्थली है ,जरुरत है मण्डन, राजकमल, मायानन्द की धरती पर भाषा का संरक्षण हो. गायक पवन ने बताया कि भारती मंडन के डीह जतय आ पावन लहठा बथान रे उनकी सबसे प्रिय गीतों में शामिल है. फोटो- पवन 2

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