सोनवर्षाराज : कोसी नदी की विभीषिका से त्रस्त इस क्षेत्र में बिना मौसम का ख्याल रखे दर्जनों पुलिया एवं कल्बर्ट का निर्माण कराये जाने से किसी भी पल प्रखंड मुख्यालय का जिला मुख्यालय से सड़क संपर्क बाधित होने की आशंका बन आयी है.
स्थिति ऐसी है कि बरसात आने से मात्र एक डेढ़ माह पूर्व विश्व बैंक की मदद से बिहार राज्य पुल निर्माण निगम लिमिटेड द्वारा बिहार कोसी बाढ़ पुनर्निर्माण परियोजना के तहत क्षेत्र के विभिन्न मुख्य सड़कों पर एकाएक शुरू किये गये दर्जन पुलों के निर्माण कार्य की वजह से यह प्रतीत होने लगा है कि कही पूरा क्षेत्र ही जिला व राजधानी से कट कर टापू में न तब्दील हो जाये.
सोनवर्षा को जिला मुख्यालय से जोड़ने वाली बिहार राज्य उच्च पथ में सोहा गांव के नेती टोला के करीब एवं शाहपुर के राम टोला के करीब बन रही पुलिया के डायवर्सन में पाइप लगा कर अगर उसकी ऊंचाई दस फिट तक नहीं बढ़ाई गयी तो आनेवाले एकाध वर्षा में डायवर्सन को बह जाने से कोई नहीं रोक सकता है. सोहा के नेती टोला के करीब बन रही पुलिया का सीधा संपर्क बगल में बह रही तिलावे नदी से है. तिलावे नदी के पानी ने सीधे पुलिया के लिए खोदे गड्ढे को भर दिया है.
गड्ढे का पानी धीरे-धीरे डायवर्सन की ओर बढ़ रहा है. पुलिया निर्माण का कार्य पूर्णत रूक चुका है. यही नहीं अगर जल्द ही डायवर्सन में पाइप लगाकर ऊंचा नहीं किया गया तो डायवर्सन के दोनों तरफ पानी भरने से डायवर्सन पर सूखी मिट्टी भी डालने को नहीं मिलेगी. ठीक ऐसी ही स्थिति शाहपुर स्थित राम टोला के करीब बन रही पुलिया की भी है. अभी पुल के निर्माण कार्य की गति बढ़ाने से ज्यादा जरूरी है. ठोस एवं ऊंचे डायवर्सन का निर्माण.
आश्चर्य तो इस बात का है कि जिला प्रशासन द्वारा बाढ़ से पूर्व की तैयारी मई माह से ही शुरू कर दी गई है. लेकिन किसी पदाधिकारी की निगाह पुल-पुलिया अथवा बनाये गये आधे अधूरे एवं कच्चे डायवर्सन पर नहीं है. मालूम हो कि प्रभात खबर के 16 मई 2013 के अंक में एक बारिश सोनवर्षा को बना देगा टापू शीर्षक खबर प्रकाशित कर पूर्व में ही प्रशासन को आगाह किया गया था. यहां स्थिति यह है कि कोसी ने फिर से 2008 में विनाश लीला को दोहराया तो प्रशासन को संभालना मुश्किल हो जायेगा.