सहरसा : गरीबों, मजदूरों, रिक्शा चालकों सहित अन्य लोगों के विश्राम व ठहरने के लिए बनाया गया रैनबसेरा सुविधाओं के अभाव में हमेशा खाली पड़ा रहता है. मात्र 20 रुपये में ठहरने की सुविधा होने के बावजूद दैनिक श्रमिक यहां आने से कतराते हैं. जबकि छह कमरों के इस रैनबसेरा में दर्जनों लोगों के ठहरने की व्यवस्था है
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रैन बसेरा नहीं दे रहा गरीबों को आसरा
सहरसा : गरीबों, मजदूरों, रिक्शा चालकों सहित अन्य लोगों के विश्राम व ठहरने के लिए बनाया गया रैनबसेरा सुविधाओं के अभाव में हमेशा खाली पड़ा रहता है. मात्र 20 रुपये में ठहरने की सुविधा होने के बावजूद दैनिक श्रमिक यहां आने से कतराते हैं. जबकि छह कमरों के इस रैनबसेरा में दर्जनों लोगों के ठहरने […]
. लेकिन एक अदद शैचालय नहीं रहने के कारण यह किसी को आसरा देने में सफल नहीं हो पा रहा है. सदर थाना और मुख्य डाकघर के बीच बने शहर के एकमात्र रैनबसेरा में चार हॉल व दो कमरे बने हैं. जिसमें दो हॉल व दो कमरे पहली मंजिल पर हैं. एक कमरा कार्यालय के लिए आवंटित है. वहीं नीचे भूतल पर भी दो हॉल हैं.
शौचालय की सुविधा नहीं रहने के कारण दोनों हॉल व एक कमरा पूरी तरह खाली पड़े हैं और कार्यालय के लिए आवंटित एक कमरे में ताला लगा रहता है. वहां मौजूद संस्था की एक सदस्य ने पूछताछ के दौरान बताया कि किसी भी तरह के गरीब व मजदूर वर्ग के लोग अब यहां नहीं के बराबर ही आते हैं. उन्होंने बताया कि रैनबसेरा में एक भी शौचालय व स्नानागार नहीं है. ठहरने वालों को शौचालय, यूरिनल और स्नानागार की जरूरत तो होगी ही.
मूलभूत आवश्यकताओं की सुविधा नहीं रहने के कारण श्रमिक यहां नहीं ठहरना चाहते हैं. नगर परिषद के मिशन प्रबंधक राजीव कुमार ने कहा कि रैन बसेरा में शौचालय प्रस्तावित है. कुछ तकनीकी समस्याओं के कारण इसका टेंडर नहीं हो सका. आचार संहिता हटते ही टेंडर निकाल शौचालय एवं स्नानागार का निर्माण करा दिया जाएगा.
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