11 मार्च की घटना को पुलिस ने गंभीरता से लिया होता, तो नहीं होती बम विस्फोट की पुनरावृत्ति
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सचिन के साथ दफन हो गये बम ब्लास्ट के राज
11 मार्च की घटना को पुलिस ने गंभीरता से लिया होता, तो नहीं होती बम विस्फोट की पुनरावृत्ति पहले की घटना के आरोपित से नहीं हुई है गहन पूछताछ जेल में बंद विजय को पहले रिमांड पर लेना भी उचित नहीं समझा रोहतास पुलिस ने सासाराम (नगर) : सासाराम कोर्ट परिसर के सामने विगत बुधवार […]
पहले की घटना के आरोपित से नहीं हुई है गहन पूछताछ
जेल में बंद विजय को पहले रिमांड पर लेना भी उचित नहीं समझा रोहतास पुलिस ने
सासाराम (नगर) : सासाराम कोर्ट परिसर के सामने विगत बुधवार को हुए बम विस्फोट का रहस्य सचिन की मौत के साथ ही दफन हो गया. अपने ही बम के विस्फोट में शहर के भारतीगंज मुहल्ला निवासी सचिन उर्फ गुड्डू सिंह के निशाने पर कोर्ट परिसर में कौन था, सचिन कहां से बम लेकर चला था, उसकी बाइक की सीट के नीचे बम किसने रखा था? इस तरह के सवालों के जवाब सचिन की मौत के कारण पुलिस के लिए अबूझ पहेली बन गये हैं.
गाड़ी में बम लगा दूसरे को निशाना बनाने या वह अपनी आत्मरक्षार्थ बम लेकर चल रहा था, यह भी रहस्य ही बना रह गया.गौरतलब है कि चार माह पहले 11 मार्च को हुई बम विस्फोट की घटना में भी कोटा निवासी विजय कुमार अपनी बाइक की डिक्की में बम रख कचहरी पहुंचा था. उस घटना में भी किसी को निशाना बनाने से पहले ही डिक्की में बम ब्लास्ट कर गया था. घटना में घायल विजय को पुलिस ने गिरफ्तार कर प्राथमिक उपचार के बाद जेल भेज दिया. लेकिन, विजय से पुलिस गहन पूछताछ नहीं कर सकी.
इतना ही नहीं, जेल में बंद विजय को पुलिस रिमांड पर लेकर पूछताछ करना भी उचित नहीं समझी. यदि पुलिस 11 मार्च की घटना की गहन जांच की होती, तो 13 जुलाई को कोर्ट परिसर में विस्फोट की घटना की पुनरावृत्ति शायद नहीं होती. इसी बात को लेकर न्यायाधीश भी जिला पुलिस की कार्यशैली से नाराज हैं. रोहतास पुलिस के चेहरे पर उन तमाम घटनाओं के बाद भी कोई शिकन नहीं है. जबकि आम लोग खौफ के साये में जी रहे हैं कि कहां बम फट जाये?
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