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फिर नरक बन जायेगा शहर

लापरवाही. फाइलों में अटकी ड्रेनेज बनाने की योजना, बरसात से डर शहर में नालियों के भरे होने व ड्रेनेज सिस्टम सही नहीं होने के कारण जल जमाव भी लोगों के चिंता एक बड़ा कारण है़ यदि से समय से कदम नहीं उठाया गया तो इस बरसात में भी आधा शहर जलजमाव में ही रहने वाला […]

लापरवाही. फाइलों में अटकी ड्रेनेज बनाने की योजना, बरसात से डर
शहर में नालियों के भरे होने व ड्रेनेज सिस्टम सही नहीं होने के कारण जल जमाव भी लोगों के चिंता एक बड़ा कारण है़ यदि से समय से कदम नहीं उठाया गया तो इस बरसात में भी आधा शहर जलजमाव में ही रहने वाला है़ विभाग को नालियों की सफाई के साथ ही ड्रेनेज सिस्टम पर ध्यान देना चाहिए़
सासाराम (शहर) : मौसम के बदलते रूख को देख कर शहरवासी अभी से भयभीत होने लगे हैं. हल्की सी बारिश होते ही शहर जलमग्न हो जाता है. विगत वर्षों के स्थिति को याद कर लोगों का सिहर उठना लाजिमी है. छोटे-छोटे स्कूल जाने वाले बच्चे घुटने तक गंदे पानी को पार कर स्कूल जाते हैं. ऐसे में सिर्फ गिला होने का डर नहीं, गंदे नाले के पानी से उनमें संक्रमण फैलने का भी भय बना रहता है.
शहर में ड्रेनेज सिस्टम पूरी तरह से ध्वस्त हो गयी है. पानी निकासी का कोई स्थान नहीं है. नतीजा जल जमाव. आलम यह है कि गरमी के मौसम भी लगभग आधा दर्जन स्थानों पर जलजमाव की स्थिति बनी हुई है. नाले बजबजा रहे हैं और विभाग आंख मूंद कर बैठा है. अगर स्थिति यथावत बनी रही, तो बरसात के दिनों में चारों ओर गंदा पानी जमा हो जायेगा़ शहर के अधिकतर इलाके इससे प्रभावित हैं.
इसमें मुख्य रूप से करनसराय, धर्मशाला, चौखंडी, गौरक्षणी, गजराढ़, पंजाबी मुहल्ला, समाहरणालय, सदर अस्पताल, पशु अस्पताल, खिलनगंज, कादिरगंज, गोला, रोजा रोड (मछली मार्केट), शेरगंज, प्रभाकर रोड, तकिया व गोपालगंज सहित अन्य मुहल्लाें में जलजमाव होता है़
ड्रेनेज की योजना कई वर्षों से फाइलों में अटकी है. संबंधित विभाग द्वारा जल निकासी व्यवस्था के लिए प्रस्ताव आये और पारित भी हुए. परंतु, धरातल तक नहीं आ सके. समय-समय पर सरकार द्वारा जल निकासी व्यवस्था के लिए विभिन्न योजनाओं के माध्यम से आवेदन भी किया जाता है. पर, उक्त योजनाएं सिर्फ फाइलों तक ही सिमट कर रह गयी है. काम के नाम पर शहर के नालों व उस की निकासी को ले कर महज खानापूर्ति की जाती है. हालांकि, शहर में बड़े-बड़े नाले बने हुए हैं.
जरूरत है, तो सिर्फ उनके साफ-सफाई और पानी निकासी की व्यवस्था करने का. कई नाले तो महज कुछ वर्ष पहले ही बनाये गये थे. पर, उनकी स्थिति बदतर हो गयी है. नाला कूड़ा कचरा से लगभग पूरा पट चुका है.

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