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राजभवन की आपत्ति खारिज, बिहार सरकार नहीं रोकेगी भ्रष्ट वीसी के खिलाफ चल रही कार्रवाई

करीब 30 करोड़ की सरकारी राशि के दुरुपयोग का आरोप झेल रहे डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद के खिलाफ कभी भी बड़ा एक्शन लिया जा सकता है.

पटना. राजभवन और सरकार भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अब आर-पार के मूड में हैं. एक ओर राजभवन अपने विशेषाधिकार का प्रयोग भ्रष्ट कुलपति को बचाने के लिए कर रहा है, वहीं बिहार सरकार अपने अधिकार का प्रयोग भ्रष्टाचारी पर नकेल कसने के लिए कर रही है. बिहार सरकार ने राजभवन की आपत्ति को खारिज करते हुए भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों से घिरे मगध विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ राजेंद्र प्रसाद पर कार्रवाई जारी रखने की बात कही है.

राजभवन कार्रवाई से है नाराज

पिछले दिनों विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ राजेंद्र प्रसाद के ऊपर जो आरोप लगे और स्पेशल विजिलेंस यूनिट ने जो कार्रवाई शुरू की उसे लेकर राजभवन ने आपत्ति जताई थी. इस कार्रवाई को तुरंत बंद करने को कहा था. राज्य सरकार को पत्र लिखते हुए कहा था कि इस मामले में जांच एजेंसी को कोई भी एक्शन लेने के पहले राजभवन से अनुमति लेनी चाहिए थी.

सरकार करेगी बड़ी कार्रवाई

माना जा रहा था कि सरकार इस मामले में अब आगे नहीं बढ़ेगी, लेकिन सरकार का कहना है कि इस मामले में एक्शन के लिए किसी से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है. सरकार ने इस मामले में एक्शन जारी रखने का फैसला किया है. कुलपति डॉ राजेंद्र प्रसाद के खिलाफ निगरानी की स्पेशल विजिलेंस यूनिट जो कार्रवाई कर रही है, वह आगे भी जारी रहेगी.

सरकार ने पत्र पर नहीं लिया संज्ञान

राज्य सरकार राज भवन की तरफ से लेटर जारी होने के बावजूद इसे तरजीह नहीं दे रही है. राज्य सरकार की तरफ से राजभवन की तरफ से आपत्ति जताए जाने के बावजूद वीसी डॉ राजेंद्र प्रसाद के खिलाफ एक्शन जारी है. आरोपी कुलपति के खिलाफ एसयूवी ने अपनी जांच और तेज कर दी है. आय से अधिक संपत्ति और फर्जीवाड़े के मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत उनके खिलाफ एक्शन लिया गया है.

25 जनवरी को आया था पत्र

25 जनवरी को राज्यपाल के प्रधान सचिव रॉबर्ट एल चोंग्थू ने राज्य के मुख्य सचिव को एक पत्र लिखा था. पत्र में कहा गया था कि जिससे कानून के तहत वीसी डॉ राजेंद्र प्रसाद के खिलाफ एक्शन लिया जा रहा है. उस मामले में सक्षम प्राधिकार से अनुमति ली जानी चाहिए थी. इस अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करने का आरोप भी लगाया गया था और इस पर राजभवन की तरफ से आपत्ति जताई गई थी.

30 करोड़ के घोटाले का है आरोप

कॉपी घोटाला और पुस्तकों की खरीद में भ्रष्टाचार से जुड़े मामले को लेकर अब तक के विजिलेंस की स्पेशल यूनिट ने विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ लाइब्रेरी इंचार्ज और हिंदी डिपार्टमेंट के हेड के अलावे वीसी के पिए और असिस्टेंट को गिरफ्तार किया है और उन्हें जेल भेजा जा चुका है. स्पेशल विजिलेंस यूनिट पिछले दिनों डॉ राजेंद्र प्रसाद से भी लंबी पूछताछ कर चुकी है. करीब 30 करोड़ की सरकारी राशि के दुरुपयोग का आरोप झेल रहे डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद के खिलाफ कभी भी बड़ा एक्शन लिया जा सकता है.

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