बदलते मौसम में बढ़ी सर्पदंश की घटनाएं पूर्णिया. मौसम के बदलाव के साथ-साथ इन दिनों सर्पदंश की घटनाओं में काफी बढ़ोत्तरी हुई है. अन्य मौसमों में जहां सप्ताह में लगभग एक दो की संख्या में इसके मरीज जीएमसीएच पहुंचते थे वहीं इन दिनों इनकी संख्या में जबरदस्त इजाफा हुआ है. हालांकि यह सिलसिला अप्रेल के माह से ही बढ़ने लगा लेकिन तब तक प्रतिदिन अमूमन दो से तीन की संख्या में सर्प दंश के मरीज पहुंच रहे थे लेकिन अभी हालात ऐसे हैं कि राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में प्रति दिन औसतन लगभग 10 लोग सर्पदंश के शिकार होकर इलाज के लिए पहुंच रहे हैं. जबकि बीते सप्ताह सर्पदंश के शिकार एक मरीज की मौत भी हो चुकी है. सर्पदंश के मामले में अगर आंकड़े की बात की जाय तो प्रतिदिन अमूमन 10 से लेकर 12 मरीजों के आने का सिलसिला इधर लगातार चल रहा है जबकि किसी किसी दिन इसकी संख्या 14 तक पहुँच जा रही है. हालांकि इलाज के बाबत जीएमसीएच सहित जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में एंटीवेनम इंजेक्शन की उपलब्धता पर्याप्त है जहां सभी का इलाज किया जाता है. गेहूं पकने के समय से ही बढ़ने लगती है सर्पदंश की घटनाएं ग्रामीण इलाकों में लोगों का कहना है कि स्नैक बाईट की समस्या गेहूं की कटनी का समय से ही बढ़ने लगती है. पके गेहूं के खेतों में चूहों को अपना निवाला बनाने के लिए सांप उनके बिलों के आस पास डेरा डाले रहते हैं और जब कोई भी उनतक पहुंचता है तो सर्पदंश का शिकार हो जाता है. दूसरी ओर इन दिनों हुई लगातार बारिश और गर्मी की भी वजह से सांप अपने बिलों से निकलकर राहत वाली जगह की तलाश करते हैं और पुराने घरों, बाग, बगीचों के साथ साथ गोहालों और गोयठे उपलों आदि में छिपे रहते हैं जिससे उनके द्वारा काट लिए जाने की घटना इन दिनों आम हैं. अस्पताल कर्मियों का यह भी कहना है कि प्रत्येक वर्ष इन मौसमों में सर्पदंश की घटनाएं बढ़ जाती हैं जबकि आनेवाले दो माह में यही रफ़्तार रहने अथवा सर्पदंश के मामलों में ग्राफ के और ऊपर उठने की संभावना व्यक्त की जा रही है. स्नैक बाइट के अनुरूप निर्धारित की जाती है सुई की डोज़ सर्पदंश के मामलों में चिकित्सक जहर के प्रभाव के अनुसार एंटीवेनम सुई की मात्रा और डोज़ का निर्धारण करते हैं. अनुमंडलीय अस्पताल धमदाहा के चिकित्सक डॉ. मनोज कुमार ने बताया कि अस्पतालों में पर्याप्त मात्रा में स्नैक बाईट की दवा उपलब्ध है. उन्होंने यह भी बताया कि सर्पदंश के मामलों में मरीज की स्थिति और काटे गये सांप के जहर का असर देखते हुए डोज़ का निर्धारण किया जाता है. उन्होंने यह भी बताया कि लगभग मामलों में 5 से 10 डोज़ की जरूरत पड़ती है लेकिन कई बार गंभीर स्थिति में मरीज की जान बचाने के लिए काफी ज्यादा संख्या में सुई लगाने की जरुरत पड़ जाती है. उन्होंने आम लोगों से एहतियात बरतने के साथ साथ सांप अथवा जहरीले जानवरों द्वारा काटे जाने के मामले में किसी भी तरह के अंधविश्वास से दूर रहने को कहा और पीड़ित व्यक्ति को अविलंब निकटवर्ती सरकारी अस्पताल अथवा किसी चिकित्सक के पास ले जाने की सलाह दी. बोले सिविल सर्जन इन दिनों सांप द्वारा काटे जाने की घटना में बढ़ोत्तरी के मद्देनज़र स्वास्थ्य विभाग द्वारा सभी अस्पतालों में एंटीवेनम इंजेक्शन की पर्याप्त मात्रा उपलब्ध करा दी गयी है. साथ ही कुत्तों, जंगली जानवरों द्वारा काटे जाने एवं सर्प दंश की स्थिति को लेकर सारी तैयारियां पूर्ण हैं. किसी भी मामले में गंभीरता की स्थिति से निपटने के लिए एम्बुलेंस द्वारा जिला मुख्यालय तक लाने के लिए भी व्यवस्था सुदृढ़ है. डॉ प्रमोद कुमार कनौजिया, सिविल सर्जन
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