पूर्णिया समेत पूरे सीमांचल में गॉल ब्लैडर कैंसर के रोगियों में अप्रत्याशित इजाफा
30 से 60 साल के लोगों में हो रहा गॉल ब्लैडर कैंसर, बचने के लिए अल्ट्रासाउंड जरूरी
पूर्णिया. सावधान, गॉल ब्लैडर में अगर पथरी है तो इग्नोर नहीं कीजिए, इग्नोर करने से जान का खतरा बढ़ सकता है. हालिया सालों में पूर्णिया समेत पूरे सीमांचल में गॉल ब्लैडर कैंसर के रोगियों में अप्रत्याशित इजाफा हुआ है जो गंभीर चिंता का विषय है. गॉल ब्लैडर कैंसर एक जानलेवा बीमारी है जो इन दिनों तेजी से अपना पांव पसार रही है. इस मामले में जरा सी भी लापरवाही खतरा बढ़ा सकती है. इन बातों का खुलासा पूर्णिया के जाने-माने स्टोन सर्जन डॉ अनिल कुमार गुप्ता ने मीडिया के समक्ष किया और कहा कि गॉल ब्लैडर में स्टोन का पता चलते ही देर किए बगैर ऑपरेशन कराना चाहिए, क्योंकि ऑपरेशन ही इसका एक मात्र उपचार है.
डॉ गुप्ता ने बताया कि कैंसर की तरह ही गॉल ब्लैडर कैंसर होने के सटीक कारणों का अबतक पता नहीं चल सका है, लेकिन आमतौर पर देखा गया है कि जब मरीजों की पित्त यानी गॉल ब्लैडर की थैली पत्थरों से भरी रहती है और पत्थरों को गॉल ब्लैडर में मूव यानी हिलने की जगह नहीं होती तो उन्हें जीबी कैंसर का खतरा ज्यादा रहता है. डॉ गुप्ता बताते हैं कि यह बीमारी 30 से 60 साल उम्र के बीच के लोगों में वृद्धजनों की अपेक्षा अधिक देखी जा रही है. उन्होंने बताया कि यह बीमारी गॉल ब्लैडर में स्टोन होने पर ही होती है. सर्जन डॉ. गुप्ता ने इस बीमारी से बचने के लिए लोगों से पित्त की थैली में पथरी की जांच कराने और स्टोन का पता चलने पर इसे निकलवाने की सलाह दी है. उन्होंने कहा कि 30 साल की उम्र के बाद से नियमित अंतराल पर गॉल ब्लैडर का अल्ट्रासाउंड कराना चाहिए जिससे समय पर बीमारी से बचाव संभव हो सके.फैटी लीवर वालों को गॉल ब्लैडर स्टोन का खतरा अधिक
सर्जन डॉ गुप्ता ने बताया कि जिन लोगों को फैटी लीवर की समस्या रहती है, अक्सर देखा गया है कि उन्हें गॉल ब्लैडर में स्टोन होता है. इसलिए जिनका लीवर फैटी है और अबतक उन्हें गॉल ब्लैडर में स्टोन नहीं हुआ है तो उन्हें अपने लिवर का ख्याल रखना चाहिए, ताकि स्टोन से बचा जा सके. उन्होंने बताया कि सब हिमालियन रिजन यानी हिमालय के तराई वाली इलाके के पानी में गड़बड़ी की वजह से इस इलाके में गॉल ब्लैडर में स्टोन और कैंसर के मामले अधिक देखे जाते हैं. डॉ गुप्ता ने इस बीमारी से बचने के लिए मिलावटी तेल और स्पाइसी फूड से बचने की सलाह दी है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है