प्रतिनिधि, बनमनखी. अनुमंडल मुख्यालय स्थित सिकलीगढ़ धरहरा में गुरुवार 13 मार्च को भव्य होलिका दहन महोत्सव आयोजित होगा. इस अवसर पर हर साल की भांति इस बार भी होलिका को जलाया जाएगा. बनमनखी की यह ऐतिहासिक धरती है जहां होलिका दहन का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है जिसका निर्वाह आज भी किया जा रहा है. होलिका दहन की एक झलक पाने के लिए यहां बड़ी संख्या में पूर्णिया और कोशी के लोग जुटते हैं. इसमें पहले होलिका दहन होता है फिर जमकर आतिशबाजी की जाती है और इसके बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया जाता है. आज इसे पर्यटक स्थल के रुप में विकसित किया जा रहा है. कला संस्कृति एवं युवा विभाग बिहार सरकार एवं जिला प्रशासन पूर्णिया के संयुक्त तत्वावधान में होलिका दहन महोत्सव की तैयारी पूर्ण हो चुकी है. रंग रोगन का काम पहले ही हो चुका है जबकि होलिका का भव्य व विशालकाय पुतला बनाया गया है. कार्यक्रम के लिए पंडाल व स्टेज बनाए गये हैं जबकि रोशनी के लिए जगह-जगह भेपर लाइट की व्यवस्था की गयी है. होलिका महोत्सव में अत्यधिक भीड़ व वाहन के जमा होने की संभावना को देखते हुए कार्यक्रम स्थल से दूर-दूर वाहन पार्किंग की व्यवस्था की गयी है. श्रीहरि नरसिंह अवतार मंदिर तथा परिसर स्थल को दुल्हन की तरह सजाया संवारा गया है. होलिका दहन महोत्सव को लेकर विधायक कृष्ण कुमार ऋषि एसडीएम चंद्रकिशोर सिंह, एसडीपीओ सुबोध कुमार लगातार होलिका दहन महोत्सव कार्यक्रम स्थल का समीक्षा तथा बैठक करते रहे.
इस बार होलिका का 45 फीट ऊंची विशालकाय पुतला बनाया गया
सिकलीगढ धरहरा प्रह्लाद स्तंभ में भव्य विशालकाय होलिका का पुतला बनाया गया है. भक्त प्रह्लाद मंदिर ट्रस्ट के सचिव राकेश कुमार के अनुसार 11 वर्षों तक 25 एवं 30 फीट ऊंची होलिका का पुतला बनाया जाता रहा. फिर 40 फिट का पुतला का निर्माण किया गया. होलिका पुतला का निर्माण में लगे स्थानीय कलाकार गोपाल सहनी ने बताया कि इस बार 45 फीट ऊंची पुतला का निर्माण किया गया है. उन्होंने बताया कि होलिका का पुतला बिहार में सबसे बड़ा पुतला होगा.
सुरक्षा के किये गये पुख्ता इंतजाम
एसडीएम चंद्र किशोर सिंह ने तैयारी की समीक्षा के दौरान बताया कि कार्यक्रम स्थल पर जाने के लिए तीन स्थाई पथ, बनाये गये हैं. होलिका दहन महोत्सव कार्यक्रम इस बार एतिहासिक होगा. महिला, पुरुष के लिए अलग अलग बेरिकेटिंग की गयी है. कार्यक्रम स्थल तक मुख्य अतिथियों को जाने के लिए रास्ता तैयार किया गया है.एसडीपीओ सुबोध कुमार ने बताया कि होलिका दहन महोत्सव में काफी भीड़ होने की संभावना जताई जा रही है.भीड़ को देखते हुए मंदिर परिसर एवं बाहर सीसीटीवी कैमरे से लगाए गए हैं. काफी संख्या में पुलिस बल तैनात किए जायेंगे.
सिकलीगढ़ धरहरा का इतिहास
यह मान्यता रही है कि होलिका दहन की शुरुआत सिकलीगढ़ धरहरा से ही हुई थी. आज यहां भगवान नरसिंह अवतार मंदिर है. मान्यता है कि यहीं पर भक्त प्रहलाद को जलाकर मारने के दौरान राक्षस राज हिरण्यकश्यप की बहन होलिका आग में जलकर भस्म हो गई थी. इसी मान्यता के अनुसार, प्राचीन काल में इसी यहीं पर भगवान नरसिंह ने अवतार लेकर राक्षस राज हिरण्यकश्यप का वध किया था और भक्त प्रह्लाद के पिता राक्षस राज हिरण्यकश्यप के निर्देश पर उनकी बहन होलिका ने विष्णु भक्त प्रह्लाद को जलाकर मारने का प्रयास किया था. लेकिन आग में राक्षसी होलिका जलकर राख हो गई थी.
होलिका दहन का होता है भव्य आयोजन
इस कारण होली के मौके पर यहां होलिका दहन के दिन भव्य महोत्सव का आयोजन किया जाता है. यहां एक खंब भी है. कहा जाता है कि यही वह खंब है जिससे भगवान विष्णु नरसिंह अवतार लेकर अपने अनन्य भक्त प्रह्लाद की रक्षा की थी. कहा जाता है कि होली का प्रारंभ सिकलीगढ़ धरहरा की पावन भूमि से प्रारंभ हुआ है. बिहार सरकार के तत्कालीन कला एवं संस्कृति मंत्री कृष्ण कुमार ऋषि ने प्रह्लाद स्तंभ मंदिर को अपने अथक प्रयास से 2018 को राजकीय होलिका दहन महोत्सव का दर्जा दिलाया. तब से लेकर होली का दहन महोत्सव राजकीय महोत्सव के रूप में किया जा रहा है.13 मार्च गुरुवार को होलिका दहन महोत्सव में रितेश पाण्डे समां बांधेंगे.
विधायक बोले
होलिका दहन महोत्सव बनमनखी वासियों के लिए गौरव का पल है. होली की शुरुआत इसी धरती से प्रारंभ हुई थी.नरसिंह अवतार रूप में विष्णु भगवान खंभे से प्रकट हो कर अपने परमभक्त प्रह्लाद की जान बचाई थी. वो खम्भ आज भी विद्यमान है. बुराई पर अच्छाई की जीत का महापर्व है. संत मुनि की यह धरती धार्मिक और सांस्कृतिक की धरोहर है. होली भाई चारे का संदेश देती है. इस बार भव्य रूप से होलिका दहन महोत्सव मनाया जा रहा है.कृष्ण कुमार ऋषि, विधायक, बनमनखी
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है