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World Environment Day 2025: जल-जीवन-हरियाली अभियान से बिहार में बढ़ी हरियाली, ग्राउंड वाटर लेवल भी सुधरा

World Environment Day 2025: जल-जीवन हरियाली अभियान से बिहार में हरियाली बढ़ी है. ग्राउंड वाटर की स्थिति में भी बड़ा सुधार आया है. पढ़िए अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण दिवस पर प्रभात खबर की यह खास रिपोर्ट...

कृष्ण कुमार, पटना: बिहार में पर्यावरण सुरक्षा को लेकर जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत एक साथ जल, जमीन और जंगल को बेहतर करने की योजनाओं पर काम हो रहा है. इसके तहत सूखते वेट लैंड्स को बेहतर करने के साथ ही हरियाली बढ़ाने के लिए वित्तीय वर्ष 2025-26 में पांच करोड़ पौधारोपण के लक्ष्य पर काम हो रहा है.

छोटी नदियों को बचाने और प्रदूषण नियंत्रण करने का प्रयास

नदी जोड़ योजनाओं से छोटी नदियों को बचाने सहित प्रदूषण नियंत्रण करने के लिए कई उपाय किये गये हैं. जैव विविधता संरक्षण के तहत पुराने पेड़ों को जीवित रखने, ग्राउंड वाटर लेवल बढ़ाने के उपायों पर भी पहल की गई है. वहीं सौर ऊर्जा को बढ़ावा देकर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम हो रहा है. रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से जल संरक्षण की पहल की गयी है.

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ग्राउंड वाटर लेवल में हो रहा सुधार

सूत्रों अनुसार राज्य में जल-जीवन-हरियाली अभियान 2019 में लागू होने के बाद से ग्राउंड वाटर लेवल में सुधार होने लगा है. करीब 101 क्रिटिकल जोन में जा चुके प्रखंडों में से अधिकतर इस जोन से बाहर निकल चुके हैं. 2011 में हरियाली मिशन के तहत अभियान के तहत पौधारोपण की शुरुआत होने से करीब सात फीसदी हरित आवरण में बढ़ोतरी दर्ज की गयी है.

हरियाली मिशन से दिखा बदलाव

18 नवंबर, 2000 को झारखंड से अलग होने के बाद बिहार का हरित आवरण नौ प्रतिशत से भी कम रह गया था. 2011 में हरियाली मिशन का शुभारंभ कर सरकार ने 24 करोड़ वृक्ष लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया था. 16% हरित आवरण हो चुका है और 17% प्राप्त करने का लक्ष्य है.

राज्य के भौगोलिक क्षेत्रफल के करीब 4.4% हिस्से में वेटलैंड्स

सूत्रों के अनुसार राज्य के 25 जिलों में 100 हेक्टेयर से बड़े करीब 133 वेटलैंड्स हैं. इनके अलावा नेशनल वेटलैंड एटलस के अनुसार बिहार के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल के करीब 4.4% हिस्से में वेटलैंड्स हैं. इनका क्षेत्रफल करीब चार लाख तीन हजार 209 हेक्टेयर और इनकी संख्या 21 हजार 998 है. इनमें से सवा दो हेक्टेयर से बड़े 4416 वेटलैंड्स हैं. ये करीब तीन लाख 85 हजार 627 हेक्टेयर इलाके में फैले हुये हैं. इन सभी वेटलैंड्स को बेहतर बनाने की चरणबद्ध तरीके से तैयारी है. फिलहाल तीन वेटलैंड को रामसर साइट घोषित किया गया है. इनमें बेगूसराय जिले में काबरताल, जमुई में नागी बर्ड सेंचुरी सहित जमुई में ही नकटी बर्ड सेंचुरी शामिल हैं.

सौर ऊर्जा में बढ़ोतरी की तैयारी

जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत विद्युत वितरण कंपनियों द्वारा निजी भवनों के छतों पर रूफटॉप सोलर पावर प्लांट लगाने का कार्य किया जा रहा है. इसके लिए केन्द्रीय अनुदान के अतिरिक्त बिहार सरकार द्वारा भी 25 प्रतिशत अनुदान राशि की स्वीकृति दी गई है. बिहार की दोनों वितरण कंपनियों द्वारा ग्रिड कनेक्टेड रुफटॉप सोलर पैनल में करीब 643 घरों पर कुल 2.06 मेगावाट क्षमता के रूफटॉप सोलर पैनल का स्थापित किया जा चुका है. इस योजना के अंतर्गत दो और तीन हॉर्स पावर के कुल 2771 सोलर वाटर पम्प स्थापित किये जा चुके हैं. इससे बिजली उत्पादन में कार्बन उत्सर्जन में कमी आ सकेगी और पर्यावरण संरक्षण हो सकेगा.

नदी जोड़ योजना पर काम

राज्य में छोटी नदियों को बचाने और ग्राउंड वाटर लेवल बढ़ाने के लिए नदी जोड़ योजना पर काम हो रहा है. इसमें बड़ी नदियों में कोसी-मेची लिंक, सकरी-नाटा परियोजना, बागमती-गंगा लिंक, बागमती (बेलवाधार)-बूढ़ी गंडक लिंक, बूढ़ी गंडक नून वाया गंगा लिंक और कोसी-गंगा लिंक योजना शामिल हैं. इसके अलावा राज्य सरकार अपने संसाधनों से उत्तर बिहार में बागमती, कमला और कोसी बेसिन सहित दक्षिण बिहार में पुनपुन, किऊल-हरोहर बेसिन में छोटी नदियों को जोड़ने और उससे होने वाले फायदे पर भी काम कर रही है.

ईंट-भट्ठों में जिगजैग तकनीक

वायु प्रदूषण कम करने के लिए ईंट-भट्ठों में जिगजैग तकनीक की चिमनी इस्तेमाल करना अनिवार्य किया गया है. इसके साथ ही वायु प्रदूषण मापक यंत्र भी अलग-अलग शहरों में लगाये जा रहे हैं. इससे यह वायु प्रदूषण पर नजर रखी जा रही है. इसी तरह ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए उच्च तीव्रता वाले उपकरणों पर रोक लगाई गयी है.

क्या कहते हैं मंत्री

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ सुनील कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल से जल-जीवन-हरियाली अभियान लागू होने के बाद पर्यावरण संरक्षण को लेकर हर स्तर पर काम हो रहा है. इसमें सभी विभागों को जिम्मेदारी दी गई है. पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा हरियाली बढ़ाने के लिए लगातार पौधारोपण किया जा रहा है. लगाये गये पौधों में से उनके जीवित रहने की दर 70 फीसदी से अधिक है. वहीं करीब आठ हजार जल संचयन संरचनाओं का निर्माण किया गया है. वन क्षेत्रों में इको-टूरिज्म विकसित किया जा रहा है.

राजगीर और बोधगया सैलानियों की पसंद

इन दिनों नवादा के ककोलत जलप्रपात स्थल पर 12 हजार लोग प्रतिदिन जाते हैं. 2024 में सर्वे में यह पता चला कि देश में सबसे अधिक सैलानी राजगीर और बोधगया पहुंचे. इसके साथ ही दुर्गावती जलाशय, कटकडगढ़ फॉल को बेहतर किया जा रहा है. देश का दूसरा वानिकी कॉलेज मुंगेर में खुला है. पक्षी अभ्यारण्यों को बेहतर किया गया है.बक्सर के गोकुल जलाशय को बेहतर करने के लिए केंद्र सरकार ने भी 31 करोड़ रुपये का सहयोग किया है.

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