मुख्य बातें
Social Media: पटना. बिहार में सोशल मीडिया के दुरुपयोग के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. इस वर्ष 1 अप्रैल से 11 नवंबर तक पुलिस मुख्यालय के सोशल मीडिया सेल (एसएमसी) के पास 584 मामले जांच के लिए पहुंचे हैं. विधानसभा चुनाव के दौरान भी सोशल मीडिया के दुरुपयोग से जुड़े मामले बड़ी संख्या में सामने आए थे, जिन पर पुलिस ने कार्रवाई की थी. 584 मामलों में आर्थिक अपराध इकाई ने 236 पर कार्रवाई की 191 मामलों में जांच चल रही है. 157 मामले में कार्रवाई जरूरी नहीं समझी गई. हाल में एक मॉर्फ वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें प्रधानमंत्री और एक महिला विधायक को लेकर आपत्तिजनक सामग्री थी. हालांकि इस मामले में आरोपी की गिरफ्तारी की जा चुकी है.
करीब एक दर्जन मामलों में हुई कार्रवाई
आपत्तिजनक पोस्टों में जन भावना को आहत करने या सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने की संभावना वाले मामलों की संख्या अधिक है. हालांकि सोशल मीडिया के आपत्तिजनक पोस्ट पर आईटी एक्ट एवं भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के तहत सख्त कार्रवाई के लिए पुलिस में एक सोशल मीडिया यूनिट का खासतौर से गठन किया गया है. बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर आदर्श आचार संहिता 6 अक्टूबर को लागू होने के बाद से चुनावी प्रक्रिया समाप्त होने तक 225 शिकायतें सामने आईं. इनमें 77 एफआईआर दर्ज की गयीं. आईटी एक्ट के अंतर्गत 93 मामले ऐसे हैं, जिन्हें विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को हटाया गया. 126 सोशल मीडिया आईडी को नोटिस भी जारी की गई थी. करीब एक दर्जन मामलों में आरोपियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई भी की गई है.
क्या कहते हैं अधिकारी
इस संबंध में बिहार पुलिस के एडीजी-मुख्यालय कुंदन कृष्णन ने कहा कि सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट डालना और इसे शेयर करना या अशोभनीय पोस्ट, महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाले पोस्ट डालना, शेयर करना गैर-कानूनी है. इनसे भावना आहत होती है और सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने की आशंका होती है. ये दंडनीय अपराध है. ऐसे व्यक्ति के खिलाफ कांड दर्ज कर गिरफ्तारी का भी प्रावधान है. यह राज्य सरकार एवं बिहार पुलिस का दृढ़ संकल्प है कि इस तरह के आपत्तिजनक पोस्ट करने वाले व्यक्ति के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
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